भोजपुरः भोजपुर सहित पूरा बिहार कोरोना की चपेट में है. लगातार मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. हर तरफ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की जा रही है. फिर भी जिले में बालू खनन में लगे सैकड़ों लोग शारीरिक दूरी का परवाह किए बगैर अवैध खनन में जुटे हैं. जिससे हर पल संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है. कोरोना काल में भी बालू माफिया मानने को तैयार नहीं है. इनके हौसले के आगे प्रशासन पस्त नजर आता है.
दूसरे जिले से आती है नाव
सोन नदी में इन दिनों जल स्तर में वृद्धि हुई है. इसी का फायदा उठाकर सारण, वैशाली और पटना जिले से सैकड़ों नाव यहां आती है. जो की कोईलवर और जमालपुर गांव के सामने नदी से बेरोक-टोक बालू का अवैध खनन करते हैं. माफिया इतने बेखौफ हैं कि कोइलवर में निर्माणाधीन सिक्स लेन पुल के पास भी खनन करते दिख जाते हैं. इसका खतरा निर्माणाधीन पुल के पीलर पर भी मंडराने लगा है. यहां से बालू निकालकर उत्तर प्रदेश और झारखंड भेजा जाता है. जो कि ट्रक के माध्यम से वहां तक पहुंचता है.
सोशल डिस्टेंसिंग का परवार किए बगैर नाव पर सवार होकर आते हैं मजदूर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति- स्थानीय
स्थानीय निवासी मोहन कुमार ने बताया कि सोन नदी से रोजना हजारों नाव बालू निकाला जा रहा है. नदी के तट पर लोग बैठते थे, वह भी काट लिया गया. प्रशासन कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करता है. प्रशासन छापेमारी कर उधर जाता है और इधर फिर से खनन शुरू हो जाता है.
बड़े पैमाने पर हो रहा बालू का अवैध खनन प्रशासन के पास नहीं है नाव- खनन अधिकारी
वहीं, खनन अधिकारी अरविंद कुमार ने कहा कुछ दिन पहले कार्रवाई कर 6 नावों को नष्ट किया गया था. यहां प्रशासन के पास नाव उपलब्ध नहीं है. छपरा से नाव मंगाना पड़ता है. जिसे आने दो घंटे का समय लग जाता है. उन्होंने बताया प्रशासन नाव को नष्ट कर देता है, लेकिन रात में फिर से आकर मजदूर उस नाव को खींचकर लेकर चले जाते हैं.
माफियाओं को नहीं है प्रशासन का डर
बता दें कि मीडिया में अवैध कारोबार की खबर चलने के बाद प्रशासन हरकत में आता है. आनन-फानन में छापेमारी की जाती है. लेकिन अवैध खनन का कारोबार उसके बाद फिर रफ्तार पकड़ लेता है.