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दोनों हाथों से दिव्यांग माधव बनना चाहता है IAS, पैर से ही करता है पढ़ाई-लिखाई और चित्रकारी

माधव ने कड़ी मेहनत कर ना सिर्फ लिखना-पढ़ना सीखा, बल्कि पांव से वह कलाकारी और चित्रकारी भी कर लेता है.

माधव

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Published : Jul 26, 2019, 11:48 PM IST

बेगूसराय: कुछ करने का जुनून और इरादों में दम हो तो बड़ी से बड़ी मंजिल भी छोटी हो जाती है. कुछ ऐसे ही फौलादी इरादों वाला है बेगूसराय का माधव, जो बचपन से दिव्यांगता के कारण आम लोगों की तरह तो नहीं है लेकिन हर आम बच्चे की तरह उसने भी अपने जीवन में एम्बिशन पाल रखा है और उसका लक्ष्य आईएएस बनना है. दोनों हाथों से दिव्यांग माधव अपने पैर से ही लिखता है और पेंटिंग भी बनाता है.

बेगूसराय जिला मुख्यालय से सटे पिपरा गांव के सुरेंद्र सिंह के घर जब माधव का जन्म हुआ तो माता-पिता काफी परेशान हो उठे और इस सोच में पड़ गए कि इस बच्चे का क्या होगा. धीरे-धीरे माधव जैसे बड़ा होता गया, दिव्यांग होने के बावजूद उसने अपने आत्मबल के बूते अपने आप को समाज में स्थापित करने की लड़ाई शुरू कर दी. इस लड़ाई में माधव के माता-पिता ने उसका भरपूर सहयोग किया. काफी इलाज कराने के बावजूद जब माधव का उपचार नहीं हो सका तो माता-पिता ने उसकी जिद पर उसे पांव से लिखना-पढ़ना सिखाया.

जानकारी देते माधव के पिता व शिक्षक

पैर से ही पढ़ाई-लिखाई करता है माधव
माधव ने कड़ी मेहनत कर ना सिर्फ लिखना-पढ़ना सीखा, बल्कि पांव से वह कलाकारी और चित्रकारी भी कर लेता है. माधव ने प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद आठवीं कक्षा में बेगूसराय के नामी विकास विद्यालय में दाखिला लिया है, जहां वह अंग्रेजी माध्यम से बेहतर तालीम ले रहा है. माधव को अपने सहपाठियों और विद्यालय के शिक्षकों का भरपूर सहयोग मिलता है.

कक्षा में पढ़ाई करता माधव

12वीं तक की शिक्षा मुफ्त
माधव की शिक्षा के प्रति प्रेम और उसका हुनर देखते हुए विकास विद्यालय के डायरेक्टर राजकिशोर सिंह ने माधव के माता-पिता से घर पर जाकर मुलाकात की और माधव को अपने विद्यालय में दाखिला दिलाने का अनुरोध किया. विद्यालय प्रबंधन ने माधव को 12वीं तक की पढ़ाई मुहैया कराने का वादा किया है, जिसके बदले किसी भी तरीके की फीस माधव से नहीं ली जाएगी. स्कूल में जब भी लेखन या चित्रकला की परीक्षा होती है उसमें माधव प्रथम स्थान प्राप्त करता है.

पैर से पेंटिंग बनाता माधव

आईएएस बनना चाहता है माधव
माधव के पिता सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि शुरुआत में तो माधव को देखते हुए काफी दुख हुआ और हमने उदयपुर से लेकर देश के नामी-गिरामी स्वास्थ्य संस्थाओं में उसके इलाज के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. लेकिन माधव के मजबूत इरादों को देखकर हमने उसे पांव से ही लिखना-पढ़ना सिखाया. पिता सुरेंद्र सिंह ने कहा कि माधव का सपना बड़ा होकर आईएस बनने का है और हम उसके इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये हर कोशिश करेंगे.

माता-पिता के साथ माधव

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