पटना :मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2021 में 5 सालों के बाद जनता दरबार (Nitish Kumar Janta Darbar) की शुरुआत की थी. 12 जुलाई को पहला जनता दरबार लगा था जिसमें 146 लोग पहुंचे थे. जनता दरबार को दोबारा शुरू हुए 1 साल हो गए हैं. इसमें कोरोना के कारण भी लंबे समय तक जनता दरबार का कार्यक्रम बंद रहा. विधानसभा के कारण भी जनता दरबार नहीं चला. लेकिन 1 साल में सबसे अधिक 6 दिसंबर 2021 को 200 लोगों की मुख्यमंत्री ने शिकायतें सुनी थी. हालांकि 2006 से 2016 तक जब मुख्यमंत्री जनता दरबार लगाते थे तो औसतन 800 से 1000 लोग जनता दरबार में पहुंचते थे. एक सोमवार को तो 2200 लोगों ने मुख्यमंत्री से अपनी शिकायतें जनता दरबार में सुनाई थी. लेकिन पहले की तुलना में अब पूरी तरह से बदल चुका है. जनता दरबार से लोगों की शिकायतें दूर नहीं हो रही है. मुख्यमंत्री के निर्देश को भी अधिकारी ठेंगा दिखा रहे हैं. एक साल में ही लोगों को दोबारा जनता दरबार आनी पड़ रही है.
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कैमूर से आए अखिलेश कुमार का कहना है कि मुख्यमंत्री से हम 3 साल की डिग्री 6 साल में मिलने की शिकायत लेकर गए थे. लेकिन मुख्यमंत्री ने मेरी बात को सुना ही नहीं. ऐसे लगा कि शिक्षा को लेकर कोई गंभीरता नहीं है.जिस मकसद से हम जनता दरबार आए थे कहीं से पूरा होता नहीं दिख रहा है.
''पिछले साल दिसंबर में भी हम शिकायत लेकर पहुंचे थे और उसी मामले को लेकर इस बार दोबारा आए हैं जो हम खुद भुक्तभोगी हैं. हम हाईस्कूल की जमीन बेचने के मामले को लेकर मुख्यमंत्री से शिकायत करने पहुंचे थे. पिछली बार मुख्यमंत्री ने शिक्षा मंत्री को निर्देश दिया था और शिक्षा मंत्री ने डीएम को निर्देश दिया था लेकिन उसके बाद मेरे खिलाफ वहां कार्रवाई हो गई. घर पर छापेमारी हो गई. मुझे धमकी मिलने लगा. मैं फिर से उस मामले को लेकर आज मुख्यमंत्री से मिला. मुख्यमंत्री ने पूरे मामले पर फिर से अधिकारियों को निर्देश दिया. लगता है मुख्यमंत्री चाहते हैं, लेकिन उनके अंदर जो अधिकारी हैं वह नहीं चाहते हैं कि समस्याओं का समाधान हो. या तो पैसे लेकर या पैरवी पर काम होने नहीं देते हैं.''- नवीन सिन्हा, जनता दरबार में सिवान से पहुंचे फरियादी
औरंगाबाद के रईस राम अपनी समस्या को लेकर औरंगाबाद से रविवार को ही पटना पहुंच गए. रात भर स्टेशन पर ही रहे और आज जनता दरबार के बाहर पहुंचे. इस उम्मीद से कि मुख्यमंत्री से मुलाकात होगी, लेकिन मुख्यमंत्री से नहीं मिल पाने के कारण निराश दिखे. कह रहे थे कि इस तरह के जनता दरबार का क्या मतलब, जब हम मुख्यमंत्री से मिल ही नहीं सकते हैं. जनता दरबार लगाते हैं तो यह व्यवस्था होनी चाहिए कि सब से मुलाकात हो जाए.
कोरोना काल में नीतीश कुमार के जनता दरबार में कई बदलाव किए गए हैं:-