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दीपावली 2019: इस मुहूर्त में करें पूजा, घर आएंगी लक्ष्मी, होगी धनवर्षा

दीपावली में मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है. इस दिन उनकी पूजा करने से धन की वर्षा होती है. आज के दिन लोग शाम को अपने घरों में दिए जलाते हैं और पूजा-पाठ करते हैं. इस दिन धन की देवी दीपावली पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और किस समय पूजा करना होगा शुभ, आइए हम बताते हैं.

दीपावली

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Published : Oct 27, 2019, 7:06 AM IST

पटना: दीपावली पर्व का उत्सव आज पूरे देश में मनाया जा रहा है. दीपावली का पांच दिवसीय पर्व धनतेरस से शुरू होता है जो छोटी दीपावली, दीपावली,गोवर्धन पूजा के बाद भाई दूज पर समाप्त होता है. शनिवार को छोटी दीपावली का उल्लास पूरे देश में देखने को मिला.

दीपावली मनाती महिलाएं
आज के दि‍न मां लक्ष्‍मी, गणेश जी और मां सरस्‍वती की पूजा भी होती है. ऐसा कहा जाता है क‍ि गणेश जी बुद्ध‍ि के देवता हैं और बौद्ध‍िक बल के बगैर मां लक्ष्‍मी को रोकना मुश्‍कि‍ल है और ब‍िना सरस्‍वती के लक्ष्‍मी को प्राप्‍त करना भी कठ‍िन है. इसलिए इस द‍िन धन की देवी मां लक्ष्‍मी के साथ गणपत‍ि और मां सरस्‍वती की भी पूजा की जाती है.
दीपावली के लिए बाजार में सजी पटाखे की दुकान
दीपावली पर बन रहा ये शुभ संयोगहिन्दू पंचाग के अनुसार दीपावली पर इस बार शुभ संयोग बन रहा है. कई वर्षों के बाद इस बार दीपावली में दो अमावस्‍या पड़ रही हैं. 27 अक्टूबर को अमावस्या तिथि 11.30 बजे से ही प्रारम्भ हो जाएगी, जो कि अगले दिन सुबह 9.23 बजे तक रहेगी. इस दिन, आयुष्यमान और सौभाग्य योग रहेगा. ऐसे में दीपावली, चतुर्दशी तिथि से लगी हुई अमावस्या को मनाई जाएगी.
आर्कषक लाइटें
लक्ष्मी पूजा की आवश्यक सामग्रीलक्ष्मी के ऐरावत हाथी की प्रिय खाद्य-सामग्री ईख है. बताशे या गुड़ दीपावली पर्व के मांगलिक चिह्न हैं. पूजन के समय तिलक लगाया जाता है ताकि मस्तिष्क में बुद्धि, ज्ञान और शांति का प्रसार हो. लच्छा या धागा पूजा के समय कलाई पर बांधा जाता है. लक्ष्मी पूजन की थाली में कौड़ी रखने की पुरानी परंपरा है. यह काम करने से धन बढ़ता है.
दीपावली के लिए सजा बाजार

स्वास्तिक की चार भुजाएं उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम चारों दिशाओं को दर्शाती हैं. आम या पीपल के नए कोमल पत्तों की माला को वंदनवार कहा जाता है. इससे सभी देवी-देवता आकर्षित होते हैं. पान घर की शुद्धि करता है और चावल घर में कोई धब्बा नहीं लगने देते. इसके अलावा दीपक, प्रसाद, कुमकुम, फल-फूल भी पूजा के लिए जरूरी माने जाते हैं.

दीपावली के मौके पर बाजार में सजी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां

शाम के समय माता लक्ष्मी की पूजा होती है. लक्ष्मी जी के पूजन लिए विभिन्न पूजा सामग्री की जरूरत होती है. दीपक, प्रसाद, कुमकुम, फल-फूल के अलावा कई चीजें आवश्यक हैं. जैसे पान, चावल, गन्ना, बताशे या गुड़, तिलक, लच्छा या धागा, कौड़ी, स्वास्तिक, वंदनवार जरूरी समग्री हैं.
दीपावली पूजन विधि:

  • चौकी पर लक्ष्मी-गणेश की स्थापना पूरब या पश्चिम दिशा की ओर मुख कर करें.
  • लक्ष्मी प्रतिमा को गणेश जी के दाहिने और वरुणदेव के प्रतिक कलश को मां लक्ष्मी के पास ही चावल पर ही स्थापित करें.
  • तेल और घी के दो दीपक जलाएं और उन्हें लक्ष्मी प्रतिमा व कलश के पास स्थापित करें.
  • मां के आह्वान के साथ ही दोनों प्रतिमाओं का आचमन करें लाल रंग के नववस्त्रों, कमल पुष्प से सुसज्जित करें.
  • पंचगव्य (दुग्ध, दही, मधु, गंगाजल और शर्करा) का भोग लगाएं. भोग को चांदी के पात्र में लगाएं.
  • पूजन और आरती के बाद चूरा, खील बताशे, लईया, गट्टे, सफ़ेद मिष्ठान और मौसमी फल चढ़ाएं.
  • इस दिन गहनों,पैसों और बहीखातों की भी पूजा करें.
  • आरती करें. आरती के पश्चात परिक्रमा करें.
  • पूजन के दौरान 'ॐ भूर्भव: स्व: महालाक्ष्मै नम:' का जाप करें.
    दीपावली पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लक्ष्‍मी पूजा मुहुर्त
शाम 7 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक.
प्रदोश काल:
शाम 6 बजकर 4 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक.
वृषभ काल:
शाम 7 बजकर 15 मिनट से 9 बजकर15 मिनट तक.
अमावस्या तिथि आरंभ- 12:23 (27 अक्टूबर).
अमावस्या तिथि समाप्त- 09:08 (28 अक्टूबर).

दीपावली के लिए सजा बाजार

इससे जुड़ी हैं पौराणिक कथाएं
रामायण के मुताबिक, त्रेतायुग में जब भगवान राम रावण का वध करके अयोध्या लोटे तो अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था. इसी कारण प्रतिवर्ष दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं और घर के आगे रंगोली बनाते हैं और दीप जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं.

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