गया : बिहार के गया जिले का 158 वां स्थापना दिवस मनाया (Foundation Day of Gaya District) गया. हालांकि इस पौराणिक जिले को आज भी वह लुक नहीं मिल सका है, जो इसे अपने इंटरनेशनल पैलेस की ख्याति के अनुरूप मिलना चाहिए था. यहां आज भी एक अदद फैक्ट्री की तलाश जिले के वासियों को है, तो विकास की चहुंओर धारा के लिए अभी और लंंबा सफर तय करना पड़ेगा.
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कई कार्यक्रमों का हुआ आयोजन :गया जिला का 157 वर्ष पूरे हो गए और आज 3 अक्टूबर को 158 वां वर्ष में प्रवेश कर गया है. इस अवसर पर आज 'रन फॉर गया' का भी आयोजन किया गया, जो गया के टावर चौक से गांधी मैदान मंडप तक पहुंचा. एडीएम मनोज कुमार और डीडीसी के द्वारा हरी झंडी दिखाकर इसे रवाना किया गया. इस रन फॉर गया में स्कूली बच्चे और एनसीसी कैडेट्स भी शामिल हुए. वहीं गांधी मैदान पहुंचकर अधिकारियों के द्वारा स्वच्छता अभियान भी चलाया गया, जहां गांधी मैदान में फैले कचरे को अधिकारियों के द्वारा साफ किया गया.
''हमारे गया जिला का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. आज 158 वर्ष पूरे हो गए हैं. उसके उपलक्ष्य में आज हम लोगों ने रन फॉर गया का आयोजन किया. साथ ही संध्या में समाहरणालय में केक भी काटा जाएगा.''- विनोद दुहन, डीडीसी, गया
नहीं मिल सका इंटरनेशनल लुक-गया वासी :वहीं, स्थानीय निवासियों ने गया जिले के 158 वर्ष में प्रवेश करने के मौके पर कहा कि यह खुशी की बात है. पर कड़वी सच्चाई यह है कि गया का विकास उस कदर नहीं हो सका, जितना होना चाहिए था. इसका अपना एक अंतरराष्ट्रीय लुक है, फिर भी ख्याति के अनुरूप विकास का काम नहीं हो सका. आज भी स्थानीय समस्याएं मुंह बाये खड़ी है. जिस तरह दूसरे प्रदेशों में इस तरह की नगरी को प्रसिद्धि मिलती है, उतना बिहार में गया को नहीं मिल पाई है. गया के साथ अंतरराष्ट्रीय ख्याति के अनुसार विकास में न्याय होना चाहिए.