सारण:लोकनायक जयप्रकाश नारायण (Jayaprakash Narayan) की जीवनी और उनके द्वारा आहूत सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन पर जयप्रकाश विश्विद्यालय (Jai Prakash University) में एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया, जिसमें राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने बतौर मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की.
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इस कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता के रूप में अपने संबोधन में राज्य सभा के उपसभापति डॉ. हरिवंश ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जीवन के संस्मरणों को सुनाते हुए कहा कि 1932 में उनकी गिरफ्तारी पर देश के एक बड़े अखबार ने लिखा था कि 'कांग्रेस के मस्तिष्क की हुई गिरफ्तारी'. उस समय वे महज 30 से 32 वर्ष के थे, उन्होंने 71 से 74 तक देशव्यापी रूप से भूदान आंदोलन के नए स्वरूप को गांव-गांव तक पहुंचाने का कार्य किया.
यहां तक की बिहार में नक्सल आंदोलन के शुरुआत के समय वह उत्तराखंड में स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे, जब उनको इस बारे में जानकारी मिली तो वह अगली ट्रेन से मुजफ्फरपुर के मुसहरी पहुंचे और नक्सलियों से मिले. उन्होंने उनकी समस्या और चुनौतियों को जाना. आमने-सामने वार्ता की और उन्होंने नक्सलियों को खुलकर कहा कि आप गलत रास्ते पर हैं, इस तरह का नैतिक साहस किसी भी अन्य दल या किसी अन्य राजनेताओं में नहीं था, जो लोकनायक जयप्रकाश नारायण में था.
उन्होंने जीवन के चुनौतियों को स्वीकार करना और उससे लड़ना सीखा. उन्होंने कहा कि मेरा मकसद लोकतंत्र की स्थापना है. मेरा मकसद सत्ता प्राप्त करना नहीं है. अगर वह देश के प्रधानमंत्री बनना चाहते तो बन सकते थे, लेकिन उन्होंने कभी भी चुनाव नहीं लड़ा. पंडित नेहरू ने उन्हें सरकार में शामिल होने का अवसर भी दिया, लेकिन उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया.