हैदराबाद: हम पृथ्वी पर रहते हैं, जो सौर मंडल का एक ग्रह है और इसका डायमीटर यानी व्यास 12,756 किलोमीटर है. अपने घर पर बैठे-बैठे, हमें अपना घर, मोहल्ला, राज्य, देश और पृथ्वी ही काफी बड़ी लगती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्रह्मांड में पृथ्वी का कितना अस्तित्व है. ब्रह्मांड में बहुत सारी आकाशगंगाएं (Galaxies) है, उन गैलेक्सीज़ में से एक गैलेक्सी का नाम मिल्की-वे गैलेक्सी है, और मिल्की-वे गैलेक्सी के अंदर हमारा पूरा सौर मंडल मौजूद है, जिसके एक ग्रह पृथ्वी पर हम रहते हैं.
ऐसे में क्या आपके मन में कभी ऐसा सवाल आया है कि हमारी मिल्की-वे गैलेक्सी कितनी बड़ी है? इसकी उत्पत्ति कब और कैसे हुई? इसके एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में कितना समय लगेगा? अगर आप ऐसे सवालों के जवाब जानना चाहते हैं तो हमारे इस विस्तृत आर्टिकल को पढ़ें. इसमें आपको मिल्की-वे गैलेक्सी के बारे में कई रोचक जानकारियां जानने का मौका मिलेगा. तो चलिए शुरू करते हैं.
मिल्की वे गैलेक्सी क्या है?
मिल्की वे गैलेक्सी को हिंदी में आकाशगंगा या क्षीरपथ भी कहते हैं. यह एक बहुत बड़ी ब्रह्मांडीय संरचना है, जिसके अंदर हमारी सौर मंडल स्थित है. यह मिल्की वे गैलेक्सी अरबों तारों, गैस, धूल और ग्रहों से बनी हुई है. इसके अंदर एक केंद्रीय घूर्णन भाग है, जिसे एक अज़ीब क्षेत्र माना जाता है और इसे गैलेक्टिक सेंटर (Galactic Center) कहते हैं. मिल्की वे गैलेक्सी को हम स्पाइरल गैलेक्सी भी कहते हैं, क्योंकि अगर आप इसे नीचे या ऊपर से देखेंगे तो आपको यह किसी घुमती हुई स्पाइरल रिंग या पिनव्हील की तरह लगेगी.
इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ एस्ट्रोफिज़िक्स (IIA) के डायरेक्टर प्रो. अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने ईटीवी भारत दिए एक खास इंटरव्यू में बताया, "मिल्की वे खुद भी एक मिनी-ब्रह्मांड की तरह ही है. इसमें कई उपग्रह आकाशगंगाएं भी हैं. आकाशगंगाएं ग्रूप्स और क्लस्टरों में बनती हैं. मिल्की वे भी ब्रह्मांड के तरह ही काफी पुरानी है."
मिल्की वे गैलेक्सी में बहुत सारी स्पाइरल यानी घुमावदार भुजाएं हैं और इसके एक घुमावदार भुजा (Spiral Arm) में सूर्य स्थित है, जो मिल्की वे गैलेक्सी के बीच से करीब 26,000 प्रकाश वर्ष (26,000 Light Years) दूर है. मिल्की वे गैलेक्सी के सेंटर से सूर्य की दूरी को हम आपको अलग तरीके से समझाते हैं. अगर आप सूर्य से चलते हुए करीब 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से भी यात्रा करेंगे तो आपको मिल्की वे के सेंटर तक पहुंचने में लगभग 26,000 साल लग जाएंगे.
मिल्की वे का जन्म कब हुआ?
हम इसी मिल्की वे गैलेक्सी के एक ग्रह में मौजूद एक देश में रहते हैं. अगर आप मिल्की वे की तस्वीर को ऊपर से देखेंगे तो यह अंतरिक्ष में एक बड़े घूमते हुए पिनव्हील की तरह दिखाई देगी. इसके अलावा, अगर आप इसे रात के साफ आसमान में देखेंगे तो यह एक धुंधली, चमकीली पट्टी या दूधिया बैंड के रूप में नज़र आएगी, जिसके कारण इसे "मिल्की वे" कहा जाता है.
हमारी गैलेक्सी का यह नाम एक लैटिन वाक्यांश विया लैक्टिया (via lactea) से आया है, जिसका मतलब "दूधिया मार्ग" होता है." इसके अलावा एक ग्रीक शब्द गैलेक्ज़ियास (Galaxias) से गैलेक्सी (Galaxy) शब्द निकला. इस तरह से हमारी इस गैलेक्सी का नाम मिल्की वे गैलेक्सी पड़ा.
मिल्की वे गैलेक्सी करीब 14 अरब साल पहले बनी थी. मिल्की वे गैलेक्सी में तारे, ग्रह, क्षुद्रग्रह (Asteroids) और धूल और गैस के बादल मौजूद हैं. इसमें मौजूद धूल और गैस के बादलों को नेब्यूला (Nebulae) कहा जाता है. धूल और गैस के बादल और तारे मिल्की वे के सेंटर से लंबी-लंबी स्पाइरल आर्म्स यानी घुमावदार भुजाओं में फैल जाते हैं.
हमने आपको इस आर्टिकल की शुरुआत में अपने ग्रह यानी पृथ्वी का व्यास बताया था, जो 12,756 किलोमीटर है. अब हम आपको मिल्की वे गैलेक्सी का व्यास बताते हैं. इसका व्यास करीब 1,00,000 प्रकाश वर्ष (1,00,000 Light Years) है.
हमारा सौर मंडल मिल्की वे गैलेक्सी के सेंटर से करीब 26,000 प्रकाश वर्ष दूर है. मिल्की वे में मौजूद सभी चीज, इसके केंद्र के चारों ओर घूमती रहती है. हमारे सूर्य (और इसके साथ पृथ्वी समेत पूरे सौरमंडल को) को मिल्की वे के केंद्र के चारों ओर सिर्फ एक चक्कर लगाने में 250 मिलियन करीब 25 करोड़ साल लगते हैं.
मिल्की वे में यूनिक क्या है?
हमारी मिल्की वे गैलेक्सी ब्रह्मांड यानी यूनिवर्स में मौजूद अरबों गैलेक्सीज़ में सिर्फ एक गैलेक्सी है. ऐसे में हम कह सकते हैं कि इस यूनिवर्स में मिल्की वे हमारी गैलेक्सी है या हमारा घर है. मिल्की वे हमारी उत्पत्ति की कहानी का एक हिस्सा है. सालों तक रिसर्च करने के बाद अभी तक में एस्ट्रोनॉमर्स ने यह जाना है कि, यह एक बड़ी स्पाइरल गैलेक्सी है, जो कई अन्य गैलेक्सीज़ की तरह ही है, लेकिन यह अपनी कुछ अनोखे इतिहास की वजह से बाकियों से अलग है. मिल्की वे के अंदर रहकर हमें इसके स्ट्रक्चर और कंटेंट को नजदीक से देखने को मौका मिलता है, जबकि हम अन्य गैलेक्सीज़ की चीजों को नहीं देख सकते. हालांकि, इसी कारण से एस्ट्रोनॉमर्स के लिए गैलेक्टिक स्ट्रक्चर की पूरी तस्वीर लेना काफी मुश्किल होता है, लेकिन मिल्की वे पर हुआई मॉडर्न रिसर्च, हमारी इस समझ को बेहतर बनाती है कि गैलेक्सी कैसे बनी है और ऐसी क्या चीज़ है, जो हमारी गैलेक्सी को आकार देती रहती है.
सुभ्रमण्यम ब्रह्मांडीय विकिरण (Cosmic Radiation) और ब्रह्मांड के शुरुआती दौर के मिल्की वे के निर्माण पर पड़े प्रभाव के बारे में चर्चा करते हुए बताया, "मिल्की वे के निर्माण के लिए किसी खास परिस्थितियों की जरूरत नहीं थी, बस इसे बहुत घने क्षेत्र में बनने से बचना था. अगर ऐसा होता तो शायद यह किसी दूसरी आकाशगंगा से टकरा कर या उसमें मिल जाती. इसी कारण यह आकाशगंगा काफी लंबे वक्त तक बची रही और अपने स्पाइरल स्ट्रक्चर को भी बनाए रखा."
इसे आसान शब्दों में कहे तो इतने अरबों सालों से मिल्की वे आकाशगंगा और उसका स्पाइरल स्ट्रक्चर इसलिए बचा रह गया क्योंकि उसका निर्माण किसी घने क्षेत्र में नहीं हुआ और इसलिए उसका किसी दूसरी आकाशगंगाओं से टकराव नहीं हुआ. इंसानों ने सबसे पहले नग्न आंखों से ही तारों को ऑब्ज़र्व करना शुरू किया था. उसके बाद धीरे-धीरे पॉवरफुल टेलीस्कोप्स का अविष्कार होता गया है और उसकी मदद से तारों और पूरी गैलेक्सीज़ के बारे में खोज होने लगी. जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी मॉडर्न होती गई, वैसे-वैसे इंसानों ने मिल्की-वे गैलेक्सी के कई रहस्यों से पर्दा उठाना शुरू कर दिया है, लेकिन पुराने रहस्यों के सुलझने के बाद, इंसानों के सामने कई नए रहस्य भी आने शुरू हो गए और वैज्ञानिकों ने उसके भी संभावित जवाब ढूंढ लिए. आइए हम आपको ऐसे ही कुछ रोचक प्रश्नों और उसके जवाबों के बारे में बताते हैं.
ब्रह्मांड की सबसे बड़ी आकाशगंगा कौनसी है?
वैज्ञानिकों को अभी तक पता चली जानकारी के अनुसार ब्रह्मांड की सबसे बड़ी गैलेक्सी का नाम एल्सियोनियस (Alcyoneus) है. इसका आकार 16.3 मिलियन यानी करीब 1 करोड़ 60 लाख, 30 हजार प्रकाश वर्ष (16.3 Million Light-Years) चौड़ी है. इसे आप मिल्की वे गैलेक्सी से तुलना करें तो, एल्सियोनियस का व्यास, हमारी गैलेक्सी से 160 गुना चौड़ा है.
रिसर्चर्स ने नए अध्ययन के बाद जानकारी दी है कि एल्सियोनियस से पहले ब्रह्मांड की सबसे बड़ी गैलेक्सी IC 1101 थी, जो 3.9 मिलियन यानी 39 लाख प्रकाश-वर्ष चौड़ी है, लेकिन अब सबसे बड़ी गैलेक्सी एल्सियोनियस है, जो IC 1101 से भी 4 गुना चौड़ी है. एल्सियोनियस का नाम एक पौराणिक दानव के नाम पर पड़ा था, जो हर्क्यूलिस से लड़ा था. ग्रीक में उस दानव के नाम का मतलब "mighty ass" होता है. हमारी पृथ्वी से एल्सियोनियस की दूरी करीब 3 बिलियन यानी करीब 300 करोड़ प्रकाश-वर्ष दूर है.
ब्रह्मांड की सबसे छोटी आकाशगंगा कौनसी है?
वैज्ञानिकों को अभी तक पता चली जानकारी के अनुसार ब्रह्मांड की सबसे छोटी आकाशगंगा यानी गैलेक्सी का नाम सेग्यू 1 (Segue 1) और सेग्यू 3 (Segue 3) है. ये दोनों सबसे छोटी गैलेक्सीज़ हैं, जो मिल्की वे के गैलेक्टिक हेलो में स्थित है. इन्हें ड्वार्फ गैलेक्सीज़ (Dwarf Galaxies) भी कहते हैं. ये काफी कमजोर हैं और कुछ सौ गुना सूर्य जितनी चमकीली हैं. इनमें 1000 से ज्यादा तारे नहीं होते. ये अंतरिक्ष में महज कुछ ही प्रकाश वर्ष में फैले हुए हैं.
हमारी गैलेक्सी में कितने तारे और ग्रह मौजूद हैं?
इस मामले को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने 6 साल की खोज की और माइक्रोलेंसिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके लाखों तारों का सर्वेक्षण किया. उसके बाद यह निष्कर्ष निकाला कि तारों के चारों ओर ग्रह का होना कोई अपवाद नहीं बल्कि एक नियम है. प्रत्येक तारों पर ग्रहों की औसत संख्या एक से अधिक है. इसका मतलब यह होता है कि पृथ्वी से सिर्फ 50 प्रकाश-वर्ष की दूरी तक में ही कम से कम 1500 ग्रह हो सकते हैं.
यह आंकड़ा प्रोबिंग लेंसिंग अनोमलीज़ नेटवर्क (PLANET) कॉलेबरेशन द्वारा 6 सालों के दौरान किए गए ऑब्ज़रवेशन पर आधारित है. इसकी स्थापना 1995 में हुई थी. इस सर्वेक्षण से प्राप्त मोटे अनुमानों से पता चलता है कि हमारी गैलेक्सी में 10 बिलियन यानी 1000 करोड़ से भी अधिक स्थलीय ग्रह (ऐसे ग्रह, जिनमें स्थल हो) हो सकते हैं.
इसी तरह हमारी गैलेक्सी में मौजूद तारों के बारे में वैज्ञानिकों का अनुमान कहता है कि, मिल्की वे में लगभग 100 बिलियन यानी करीबल 10,000 करोड़ तारे हैं. ये सभी तारे मिलकर एक बड़े डिस्क का निर्माण करते हैं, जिसका व्यास लगभग 1,00,000 प्रकाश-वर्ष है और हमारा सौर मंडल हमारी आकाशगंगा के केंद्र से करीब 25 या 26 हजार प्रकाश-वर्ष दूर है. हम अपनी आकाशगंगा यानी मिल्की वे के उपनगरों में रहते हैं.