हैदराबाद:आंध्र प्रदेश में स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर ने अपने लॉन्च स्टेशन से 100वां रॉकेट सफलतापूर्वक लॉन्च करके इतिहास रच दिया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने 29 जनवरी, 2025 की सुबह 6:23 मिनट पर जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV-F15) लॉन्च किया. इसरो का यह रॉकेट यानी GSLV-F15 भारत के स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम यानी NavIC के लिए NVS-02 सैटेलाइट को लेकर अंतरिक्ष की ओर गया है.
यह GSLV-F15 की 17वीं फ्लाइट है, जिसने अपने साथ 2,250 किलोग्राम की भारी सैटेलाइट लेकर अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी है. यह स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण की 11वीं उड़ान थी. इस स्पेसक्राफ्ट का नाम NVS-02 है. यह मिशन देश के नेविगेशनल क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा. स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण (Indigenous Cryogenic stage) GSLV-F15 श्रीहरिकोटा से लॉन्च के बाद NVS-02 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में प्लेस करेगा.
सुबह 6:42 बजे रॉकेट से अलग हुआ सैटेलाइट
भारतीय समयानुसार, सुबह करीब 6:42 मिनट पर GSLV-F15 ने NVS-02 को उसके ऑर्बिट तक पहुंचा दिया और उसे अलग भी कर दिया. ऐसा करते ही आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर ने अपने लॉन्च स्टेशन से 100वें रॉकेट को सफलतापूवर्क लॉन्च कर दिया गया. इसरो के नए अध्यक्ष ने इस मौके पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि, "गुड मॉर्निंग इंडिया, हमने साल 2025 की पहली सैटेलाइट और सतीश धवन स्पेस सेंटर के ऐतिहासिक लॉन्च पैड से 100वें रॉकेट को लॉन्च करके, इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है."
आपको याद दिला दें कि इसरो के नए अध्यक्ष वी नारायण ने 13 जनवरी को अपना नया पदभार संभाला था और उनके नेतृत्व ने यह इसरा का पहला मिशन है, जो सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है. इस मिशन के सफल होने के बाद इसरो के नए अध्यक्ष ने अपने संबोधन में बताया कि, "10 अगस्त 1979 को श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के ऐतिहासिक लॉन्चपैड से पहला सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) लॉन्च किया था. अब 46 साल के बाद 29 जनवरी 2025 को इस लॉन्च पैड से GSLV-F15 के रूप में 100वें रॉकेट को लॉन्च किया गया है. यह सतीश धवन स्पेस सेंटर, इसरो और भारत के लिए एक शानदार पल है."
NVS-02, भारत के नेविगेशन सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसका उद्देश्य भारत में नेविगेशन की जरूरतों को पूरा करना है. इसका उपयोग निजी और रक्षा क्षेत्रों में नेविगेशन सेवाएं देने के लिए किया जा सकता है. यह भारत की नई नेविगेशन सैटेलाइट सीरीज की दूसरी सैटेलाइट है.
NVS-02 मिशन क्या है?
आपको बता दें कि GSLV-F15 अपने साथ एक नेविगेशन सैटेलाइट NVS-02 को लेकर अंतरिक्ष की ओर गया और लॉन्च के करीब 20 मिनट के बाद एक के बाद एक सभी चरणों को सफलतापूर्वक पूरा करते हुए सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में पहुंचाकर अलग कर दिया. इसी के साथ यह मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया.
यह इसरो के नेविगेशन सैटेलाइट मिशन को मजबूती देगा. यह भारतीय नेविगेशन सिस्टम का हिस्सा है, जो सेकेंड जेनरेशन की सैटेलाइट है. इसका मकसद भारत और उसके आसपास के 1500 किलोमीटर की दूरी तक की सटीक परिस्थितियों की जानकारी देना है. इसका इस्तेमाल अंतरिक्ष से कम्यूनिकेशन और मौसम की जानकारी को पुख्ता करने के लिए भी किया जाएगा.