रोहतक:काला पीलिया लिवर में होने वाला खतरनाक वायरल इंफेक्शन है. यह हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस के कारण होता है. हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस के इंफेक्शन के कारण शरीर में बिलीरुबिन का लेवल बढ़ जाता है. इस स्थिति को ब्लैक जॉन्डिस कहते हैं. यदि समय पर इस बीमारी का उपचार न हो तो इंफेक्शन बढ़ने की वजह से जान तक जा सकती है. काला पीलिया पर पंडित भगवत दयाल PGIMS के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में सीनियर प्रोफेसर हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ. प्रवीण मल्होत्रा ने अधिक जानकारी देते हुए इसके लक्षण और बचाव के बारे में बताया है.
कैसे फैलता है काला पीलिया ?: डॉ. प्रवीण मल्होत्रा बताते हैं कि जब आदमी का लिवर डैमेज हो जाता है, तो उसे काला पीलिया होता है. दरअसल, समय पर इलाज नहीं करवाने के कारण लिवर में कार्बन जमा होने लगता है और व्यक्ति क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी का शिकार हो जाता है. इससे लीवर के डैमेज होने और कैंसर तथा किडनी खराब होने जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इस बीमारी के कारण पीड़ित का रंग काला पड़ने लगता है. इसलिए इस बीमारी को ब्लैक जॉन्डिस भी कहा जाता है.
ब्लैक जॉन्डिस के लक्षण:
- बुखार रहना
- हमेशा थकान का एहसास होना
- यूरिन का रंग पीला होना
- नाखूनों का रंग पीला होना
- आंखों का पीलापन
- स्किन में इचिंग, भूख नहीं लगना
- जोड़ों में दर्द रहना, उल्टी और डायरिया की शिकायत
- पांव पर सूजन, पेट में पानी होना और शौच के साथ खून आना
क्या है बचाव के उपाय?: डॉ. मल्होत्रा ने बताया कि लोगों को अपने शरीर पर टैटू आदि बनवाने का भी परहेज करना चाहिए. यदि आप बाहर हेयर कटिंग कराते हैं तो आप अपने साथ साफ ब्लैड लेकर जाएं और वही प्रयोग करें. जिस घर में जिस व्यक्ति को काला पीलिया है, उसका टूथब्रश ,तोलिया ,नेल कटर, चाकू यह सब अलग रखना चाहिए. ताकि वह किसी दूसरे व्यक्ति के संपर्क में ना आए. डॉ. प्रवीण मल्होत्रा का कहना है कि अब काला पीलिया लाइलाज नहीं है और लगभग सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में इसके मुफ्त टेस्ट और दवाई दी जाती है. इसलिए अपने जीवन की रक्षा के लिए अपने शरीर की जांच करवाएं और यदि हेपेटाइटिस बी और सी मिलता है, तो इसका तुरंत इलाज संभव है.