भोपाल: मंडीदीप से इंदौर-भोपाल हाईवे को सीधे जोड़ने वाले वेस्टर्न बायपास का टेंडर प्रधानमंत्री से शिकायत के बाद कैंसिल कर दिया गया है. अब एनएचएआई एक बार फिर इसके लिए टेंडर जारी कर रहा है. दरअसल इस बायपास का टेंडर पास होते ही इसमें विवाद शुरू हो गया था. पहले इसमें पर्यावरणीय अड़चनों के कारण कैंसिल करने की मांग हो रही थी. पूर्व मंत्री और भाजपा नेता दीपक जोशी ने इस मामले में प्रधानमंत्री से शिकायत की थी.
इसमें उन्होंने बायपास के कारण बड़े तालाब, जंगल और पर्यावरण को नुकसान होने के साथ वेस्टर्न बायपास में भष्टाचार की शिकायत भी की थी. एनएचएआई के अधिकारियों ने बताया कि इस शिकायत के बाद अब नए सिरे से डीपीआर बनेगी.
डीपीआर तैयार करते समय कंसल्टेंट ने ली मोटी रिश्वत
इस पत्र ने दीपक जोशी ने लिखा था कि वेस्टर्न बायपास भोपाल की योजना और मंजूरी में एमपीआरडीसी, एनएचएआई और जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा कुछ चयनित लोगों को अवैधानिक वित्तीय लाभ पहुंचाने के लिए भ्रष्टाचार किया गया है. दीपक जोशी ने शिकायत में लिखा था कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, एनएचएआई और एमपीआरडीसी द्वारा नियुक्त सलाहकारों ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के दौरान काफी अवैध रिश्वत ली.
भोपाल में बड़े तालाब के लिए खतरा बनेगा वेस्टर्न बायपास, बाघभ्रमण क्षेत्र पर भी होगा असर
इस शिकायत के बाद वेस्टर्न बायपास की जांच के लिए पीएमओ से एक लेटर लोक निर्माण विभाग को भेजा गया. जिस पर लोक निर्माण विभाग ने वेस्टर्न बायपास की जांच के लिए एक समिति बनाई. इसमें पीडब्ल्यूडी के भोपाल के मुख्य अभिंयता को अध्यक्ष और पीडब्ल्यूडी भोपाल मंडल क्रमांक 2 के अधीक्षण मंत्री, जिला कलेक्टर और जिला पंजीयक को सदस्य बनाया है.
दायरे में आ रही नेता-मंत्री और दलालों की जमीनें
वेस्टर्न बायपास के दायरे में 3200 लोगों की करीब 250 हेक्टेयर जमीन आ रही है. दीपक जोशी ने कहा कि इनमें अधिकतर जमीन नेता, अधिकारियों, वर्तमान व पूर्व मंत्रियों और इनसे जुड़े हुए दलालों की है. जोशी ने बताया कि जब वेस्टर्न बायपास के लिए डीपीआर तैयार की जा रही थी. उसी समय रसूखदारों लोगों ने यहां सस्ते दामों पर जमीनें खरीदी. यह काम अपने ब्लैक मनी को व्हाईट करने के लिए किया गया.
वहीं दीपक जोशी ने वेस्टर्न बायपास के कंसल्टेंट एलएन मालवीय पर भी गंभीर आरोप गलाए हैं. उन्होंने कहा कि जमीनों की खरीद-फरोख्त के मामले में बड़ा नाम वेस्टर्न बायपास के कंसल्टेंट एलएन मालवीय का था जो बाद में करप्शन के अन्य मामलों में पकड़े भी गए. उनके साथ राजेश शर्मा का नाम भी था.
वेस्टर्न बायपास से जुड़े हैं आईटी रेड के तार
दीपक जोशी ने बताया कि हमारी शिकायत के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से पीडब्ल्यूडी विभाग को एक पत्र आया, जिसमें वेस्टर्न बायपास के आसपास जमीनों की खरीद-फरोख्त ज्यादा होने की बिंदुवार जांच कराने की बात कही गई थी. चूंकि जमीनों की खरीद-फरोख्त के मामले में जो बड़ा नाम था, वो वेस्टर्न बायपास के कंसल्टेंट एलएन मालवीय का था. उनके साथ राजेश शर्मा का नाम भी था. इनके साथ ही एक पूर्व मुख्य सचिव भी शामिल हैं. जोशी ने बताया कि हमारा तो सिर्फ ये कहना था कि जो बड़ा तालाब राजा भेाज ने बनाया था. हम इतना बड़ा तालाब खो चुके हैं. उसमें आधे से ज्यादा भोपाल शहर बसा हुआ है. क्या हम भोपाल को राजा भोज की विरासत जिसे देश में अच्छे तालाबों में से एक मानते हैं. उसको भी हम खत्म कर दें.
वेस्टर्न बायपास के मामले में आईटी की रेड जनता की पहली विजय
दीपक जोशी ने कहा कि हम इस बात को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय गए थे. लेकिन इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय सचिवालय बड़ी मुस्तैदी से काम कर रहा है. इसी का परिणाम आप देख रहे हैं कि आज आईटी के छापे पड़े हैं. इसी का नतीजा है कि जो हमने वेस्टर्न बायपास की लड़ाई लड़ी थी. प्रारंभिक विजय जनता के हित में होती दिख रही है. ये बायपास जो आ रहा था मंडीदीप से फंदा कला करीब 3 हजार करोड़ रुपये इसकी लागत है. ये बायपास जब झागरिया से फंदा कला जाएगा तो कोलांस नदी और उलझावन नदी इसी से होकर गुजरती है. और इसी के पानी से बड़ा तालाब भरता है. इसके अलावा जो गांव फंदा कला और झागरिया के बीच के 12 किलोमीटर दायरे में हैं. उसी के सीपेज से ये तालाब भरता है. और जब सीपेज नहीं आएगा तो तालाब भी नहीं भरेगा. ऐसे में हमें राजा भोज की 1100 साल पुरानी विरासत को बचाने के लिए आगे आना चाहिए, जिसे आज कोई नहीं बना सकता है.