हमीरपुर:एक तरफ जहां आज कुछ लोग सड़क या रास्ता बनाने के लिए नाखून के बराबर भी अपनी जमीन नहीं छोड़ते हैं. वहीं, हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर की बड़ागांव पंचायत के चठयाल वास गांव के लोगों ने शमशान घाट के लिए सड़क बनाने में अपनी कीमती जमीन ही नहीं दी, बल्कि अपने पक्के मकान, पशुशालाएं और चारदीवारियों को तोड़ कर आपसी सहयोग से गांव के बीच तीन से चार फुट रास्ते को 10 फीट चौड़ा कर एक अनोखी मिसाल पेश की है.
रास्ते को चौड़ा करने के लिए लोगों ने अपनी जमीन तो दी है, लेकिन इसके लिए अपने मकान, पशुशालाएं तक तोड़ दी. सड़क को चौड़ा करने के लिए लोगों ने न तो सरकार और न ही प्रशासन की मदद ली. ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से ही इस काम को अंजाम दिया. इस कार्य को अंजाम देने में गांव के पूर्व सैनिक सुबेदार अशोक कुमार ने अहम भूमिका निभाई है.
अशोक कुमार ने बताया कि गांव के बीच का दशकों पुराना रास्ता जो कि शमशान घाट तक जाता है दोनों ओर रिहायाशी मकान बन जाने से केवल पैदल चलने योग्य ही रह गया था. रास्ता तंग होने के कारण बुजुर्गों और दिव्यांग लोगों को परेशानी आती थी. साथ ही किसी शव को शमशान तक पहुंचाने के लिए भी मुश्किल होती थी. इस रास्ते को सड़क में बदलने के लिए सभी गांववासियों ने मिल बैठ कर बैठक की और निर्णय लिया गया कि सड़क निर्माण में अगर किसी की जमीन,मकान, पशुशाला या चारदीवारी बाधा बनती है तो मकान मालिक या फिर भूमि का मालिक उसे हटाने के लिए हर सम्भव सहयोग करेगा. सड़क निर्माण के लिए अगर मकान को तोड़ना पड़ेगा तो भी मना नहीं करेगा. यही नहीं बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सड़क बनाने पर जो भी खर्च आएगा उसे सब ग्रामीण मिल जुल कर वहन करेंगें, जिसके चलते ग्रामीणों ने सहयोग से साढ़े तीन लाख रुपये की राशि जुटाई और अपने स्तर पर सड़क निर्माण का कार्य शुरू करवाया.