इंदौर। देश के आम बजट में जहां मोदी सरकार ने इस बार गरीब कल्याण के लिए 9 प्राथमिकताएं तय की है. वहीं बजट में फोकस युवा गरीब किसान के बाद देश की आधी आबादी यानि की महिलाओं की देश के विकास में भागीदारी को प्राथमिकता दी है. यह पहला मौका है, जब केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महिलाओं की मैन्युफैक्चरिंग और उद्योगों में भागीदारी बढ़ाने के लिए 3 लाख करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया है. इस राशि से महिला स्वरोजगार और मैन्युफैक्चरिंग को प्राथमिकता देते हुए उन्हें एंटरप्रेन्योरशिप के क्षेत्र में आगे बढ़ाया जा सकेगा.
स्टार्टअप में महिलाओं की सहभागिता पर ध्यान
दरअसल, वर्तमान में देश भर में कुल उद्योगों में मात्र 20 प्रतिशत महिलाएं ही नेतृत्व कर रही हैं. यही वजह है कि देश में स्टार्टअप उपक्रमों में महिलाओं की सहभागिता पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया गया है. यह बात लगातार सामने आई है कि उद्योग व्यापार वाणिज्य जैसी आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की सहभागिता बहुत कम है. इसकी वजह महिला उद्यमिता का अभाव देखा जा रहा है. यह बात और है कि अब महिलाएं अपने उद्यमिता कौशल से ई-कॉमर्स डिजाइनिंग विज्ञान, विज्ञापन मीडिया और मनोरंजन आदि क्षेत्र में अपनी सक्रिय भागीदारी दिखा रही है. स्वरोजगार के क्षेत्र में भी अब आगे बढ़ रही हैं.
एंटरप्रेन्योरशिप में महिलाओं को आगे लाने
फिलहाल देश में 8000 से ज्यादा स्टार्टअप उपक्रम ऐसे हैं. जिनका नेतृत्व महिलाएं करती हैं. इन उपक्रमों की वित्तीय भागीदारी 1.90 लाख करोड़ रुपए बताई जाती है. इस स्थिति के मद्देनजर माना जा रहा है कि अगले 5 सालों में देश में महिला उद्यमियों की हिस्सेदारी करीब एक तिहाई तक हो सके. इसके लिए भारत सरकार अब महिलाओं को स्वरोजगार के अलावा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और इंडस्ट्री में भागीदारी को लेकर फोकस कर रही है. जिससे कि बड़े पैमाने पर स्वरोजगार के क्षेत्र में आगे बढ़ाने वाली महिलाओं को एंटरप्रेन्योरशिप के क्षेत्र में आगे लाया जाए.