देहरादून: हरिद्वार लोकसभा उत्तराखंड की सबसे हॉट लोकसभा सीट है. बीजेपी ने यहां से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनावी मैदान में उतारा है. त्रिवेंद्र सिंह रावत बीजेपी के बड़े नेताओं में शामिल हैं. वे उत्तराखंड के 8वें मुख्यमंत्री थी. साल 2021 में बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह को सीएम पद से हटाया. जिसके तीन साल तक त्रिवेंद्र सिंह को कोई बड़ा पद नहीं दिया गया. साल 2024 में बीजेपी ने पहले त्रिवेंद्र को मेनिफेस्टो कमेटी की जिम्मेदारी दी. उसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत को हरिद्वार लोकसभा से कैंडिडेट बनाया. ईटीवी भारत की पॉलिटिकल KYC सीरीजके दूसरे अंक में पाठकों को त्रिवेंद्र सिंह रावत के राजनैतिक, सामाजिक जीवन के अलावा उनकी आर्थिकी से जुड़ी जानकारियां देंगे. इसके साथ ही पॉलिटिकल KYC सीरीज में त्रिवेंद्र के अब तक सियासी सफर का लेखा लेखा भी पाठकों तक पहुंचाएंगे. तो चलिये एक नजर डालते हैं त्रिवेंद्र सिंह रावत के पॉलिटिकल खाते में क्या कुछ हैं.
पौड़ी के खैरासैंण गांव में हुआ जन्म:त्रिवेंद्र सिंह रावत का जन्म दिसम्बर1960 में पौड़ी जिले के खैरासैंण नामक गांव में हुआ. उनके पिता का नाम प्रताप सिंह और माता का नाम बोछा देवी था. त्रिवेंद्र सिंह राजपूत हैं. वे अपने परिवार में सबसे छोटे हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत के परिवार के कई लोग सेना में सेवाएं दे चुके हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत की पत्नी का नाम सुनीता रावत है. वे पेशे से शिक्षक हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत की दो बेटियां हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने श्रीनगर गढ़वाल से पत्रकारिता की पढ़ाई की है.
19 साल की आयु में संघ से जुड़े: त्रिवेंद्र सिंह रावत 19 वर्ष की आयु में संघ से जुड़ गये थे. बताया जाता है कि 1979 में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आरएसएस की सदस्यता ली. 1985 में त्रिवेंद्र सिंह रावत देहरादून महानगर प्रचारक बने. संघ प्रचारक के दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत ने समाज के साथ ही राजनीति को बारीकी से जाना. इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीजेपी ज्वाइन की. बीजेपी के साथ ही त्रिवेंद्र सिंह रावत संघ में भी सक्रिय रहे.
संघ के साथ बीजेपी में सक्रिय रहे त्रिवेंद्र: 1993 का दौर त्रिवेंद्र सिंह रावत के जीवन में बड़ा मोड़ लेकर आया. इस साल त्रिवेंद्र सिंह रावत की मुलाकात भाजपा के सीनियर लीडर लाल जी टंडन से हुई. इस दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड आंदोलन में भी सक्रिय रहे. जिसके लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत कई बार गिरफ्तार हुये.1993 में त्रिवेन्द्र रावत बीजेपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री बने.
2002 में त्रिवेंद्र ने जीता पहला विधानसभा चुनाव:साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर नये राज्य उत्तराखंड का निर्माण हुआ. ये बदलाव त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए भी हो रहा था. अब त्रिवेंद्र सिंह रावत को बीजेपी हाईकमान ने पहली बार बड़ा पद दिया.इसके बाद साल 2002 में पहली बार उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव हुये. जिसमें त्रिवेंद्र सिंह रावत ने डोईवाला सीट से चुनाव लड़ा. पहले ही चुनाव में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विजय श्री हासिल की.
2007 में कैबिनेट मंत्री बने त्रिवेंद्र: इसके बाद 2007 में भी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यहीं से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की. इस जीत के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत को सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया. त्रिवेंद्र सिंह रावत को कृषि मंत्री की जिम्मेदारी दी गई.इसके बाद 2012 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को रायपुर से चुनाव लड़वाया गया. जिसमें वे हार गये. इसके बाद साल 2013 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को भारतीय जनता पार्टी का महासचिव बनाया गया. इस दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत के संघ का अनुभव काम आया. त्रिवेंद्र सिंह रावत के अंदाज और सक्रियता से अमित शाह प्रभावित हुये. जिसके बाद अमित शाह ने 2014 लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें अपनी यूपी टीम में शामिल किया.