शिमला:वर्ष 2017 में देवभूमि हिमाचल में एक ऐसी घटना हुई, जिसने सभी को झकझोर दिया था. जिला शिमला के कोटखाई इलाके में एक बिटिया के साथ अत्यंत दरिंदगी की गई. दसवीं की एक छात्रा स्कूल से घर के लिए चली, लेकिन रास्ते में उसकी दुनिया लुट गई. गुड़िया के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई. घटना चार जुलाई 2017 की थी. दो दिन बाद उसकी लाश मिली. राज्य में तब वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. सरकार पर दबाव पड़ा तो तुरंत आईजी रैंक के अफसर की अगुवाई में एसआईटी गठित की गई. तत्कालीन डीजीपी सोमेश गोयल की मौजूदगी में मीडिया के समक्ष आईजी जहूर जैदी ने केस को सॉल्व करने का दावा किया. उस समय आईजी जहूर जैदी ने गुड़िया रेप एंड मर्डर केस को निर्भया से जटिल केस बताया था, लेकिन बाद में कथित आरोपी सूरज की कोटखाई थाने के लॉकअप में हत्या हो गई.
बस, यहीं से केस ने नया मोड़ लिया. हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए और सीबीआई ने आईजी जहूर जैदी, डीएसपी मनोज जोशी सहित अन्य पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार कर लिया. एक समय केस को क्रैक करने का दावा कर हीरो बनी एसआईटी बाद में जीरो साबित हुई और आईजी रैंक के अफसर जहूर जैदी को चार साल से अधिक समय जेल में बिताना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जहूर जैदी कुछ ही समय बाहर रहे और अब सीबीआई कोर्ट ने उन्हें व डीएसपी मनोज सहित अन्य को सूरज कस्टोडियल डेथ मामले में दोषी करार दिया है. उन्हें 27 जनवरी 2025 को सजा सुनाई जाएगी. सीबीआई अदालत के फैसले के इस नए घटनाक्रम के संदर्भ में वर्ष 2017 में गुड़िया रेप एंड मर्डर केस का फ्लैशबैक देखना जरूरी है.
6 जुलाई को मिली लाश, 13 को केस सुलझाने का दावा
जुलाई की 4 तारीख को गुड़िया लापता हुई और 6 तारीख को उसकी मृत निर्वस्त्र देह कोटखाई के दांदी जंगल में मिली. एसआईटी ने जांच शुरू की और 13 जुलाई को डीजीपी की मौजूदगी में एसआईटी ने केस सुलझाने का दावा किया. उस समय पुलिस मुख्यालय शिमला में जहूर जैदी ने सिलसिलेवार बताया कि कैसे पुलिस ने केस सुलझाया. इस केस में छह लोगों की संलिप्तता बताते हुए गिरफ्तार किया गया. तब जहूर जैदी ने बताया था कि दसवीं की छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला दिल्ली के निर्भया केस से भी अधिक उलझा हुआ था.
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जैदी के अनुसार निर्भया केस में कई तरह के साक्ष्य मौजूद थे. उस केस में निर्भया का मित्र चश्मदीद था, सीसीटीवी फुटेज थी और खुद युवती का इकबालिया बयान भी था लेकिन कोटखाई वाला मामला इससे बिल्कुल अलग था. यहां न तो कोई चश्मदीद था, न ही कोई इस तरह का क्लू, जिससे मदद मिल पाती. जैदी ने तब (13 जुलाई 2017) को कहा था कि उनकी टीम ने तत्परता से जांच कर सुबूत जुटाए. ऐसा जघन्य अपराध करने के लिए कोई बाहर से नहीं आएगा. पुलिस को स्थानीय लोगों पर ही शक था. आधुनिक जांच तरीकों का प्रयोग करते हुए कॉल डिटेल व मोबाइल लोकेशन, डंप डाटा आदि की परख की गई. पक्के सुबूत मिलने पर ही संदिग्धों पर हाथ डाला गया.
जैदी के अनुसार कुल 84 लोगों को रडार पर रखा गया था. छात्रा के स्कूल में भी पूछताछ की गई. पुलिस ने जांच में पाया कि यह अपरच्यूनिटी क्राइम था. यानी अवसर मिला तो दुष्कर्म व अपराध कर डाला. पुलिस की एसआईटी के अनुसार दरिंदों ने हवस मिटाने के लिए ये अपराध किया. ये कोई सुनियोजित अपराध नहीं था. सभी छह लोग नशे में थे. आईपीएस जहूर जैदी ने तब दावा किया था कि उनकी टीम शुरू से ही इन बिंदुओं पर काम कर रही थी. जैदी ने कहा था कि गुड़िया के साथ जंगल में ही रेप किया गया और दस फीट की दूरी पर लाश फैंक दी गई. पुलिस के अनुसार मुख्य आरोपी राजेंद्र सिंह उर्फ राजू छात्रा को पहले से जानता था. गुरुवार 13 जुलाई की प्रेस वार्ता में डीजीपी सोमेश गोयल ने वैज्ञानिक तरीकों से जांच करने और सुबूत जुटाकर दोषियों को धर दबोचने के लिए आईपीएस जहूर जैदी व उनकी टीम को बधाई दी थी. डीजीपी ने कहा कि इस केस को सुलझाने से ये साफ हुआ है कि हिमाचल पुलिस जटिल मामलों को सुलझाने में पूरी तरह से सक्षम है.