शिमला: राधास्वामी सत्संग ब्यास यानी डेरा बाबा जैमल सिंह ब्यास पंजाब का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. डेरा प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह महाराज के साथ आशीर्वाद लेने के लिए कद्दावर नेताओं का आना-जाना लगा रहता है. इसी डेरा ब्यास के पास हिमाचल में सैकड़ों बीघा जमीन है. हमीरपुर के भोटा में डेरा ब्यास एक धर्मार्थ अस्पताल चलाता है, ये अस्पताल डेरा ब्यास की सिस्टर आर्गेनाइजेशन महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी की पोजेशन में है. अब डेरा ब्यास प्रबंधन ये चाहता है कि जमीन का मालिकाना हक भी महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर कर दिया जाए.
इसके लिए सरकार को आग्रह पत्र दिया गया है. डेरा ब्यास प्रबंधन ने ऐसा न होने की सूरत में पहली दिसंबर से अस्पताल बंद करने का नोटिस गेट पर चिपकाया था, लेकिन उसी दिन यानी रविवार को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई और फैसला लिया कि विधानसभा के विंटर सेशन के पहले ही दिन लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन का बिल रखा जाएगा. अब यहां सवाल पैदा होता है कि आखिर क्या है दि हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट,1972 और क्या सुखविंदर सिंह सरकार इस मामले को सिरे चढ़ा पाएगी. आगे की पंक्तियों में इस सारे मामले को आसान शब्दों में समझने का प्रयास करेंगे.
क्या है लैंड सीलिंग एक्ट, क्यों पड़ी जरूरत?
हिमाचल एक छोटा पहाड़ी राज्य है. यहां खेती लायक जमीन की उपलब्धता बहुत कम है. हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार इस तथ्य से भली-भांति परिचित थे कि छोटे पहाड़ी में अधिकांश ग्रामीण खेती-बाड़ी पर निर्भर होंगे. यदि उनकी जमीनों को धन्ना सेठों से बचाने का प्रयास न किया गया तो बाहरी राज्यों के अमीर लोग यहां जमीन खरीदते रहेंगे. ऐसे में बाहरी राज्यों के लोगों के लिए जमीन खरीदने की संभावना न के बराबर रहें, इसके लिए धारा-118 का प्रावधान किया गया. साथ ही कोई व्यक्ति बहुत अधिक जमीन न रख सके, इसके लिए हिमाचल में सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट भी लागू किया गया. हिमाचल में बाहरी राज्यों का कोई व्यक्ति यदि जमीन खरीदना चाहता है तो उसे राज्य सरकार के पास आवेदन करना होता है. तय प्रक्रिया के बाद ही उसे जमीन खरीदने की अनुमति मिलती है. इसके अलावा लैंड सीलिंग एक्ट में भी वर्गीकरण कर अधिकतम जमीन रखने की सीमा तय की गई है.
कितना रख सकते हैं जमीन
लैंड सीलिंग एक्ट के चैप्टर-दो के प्रावधानों के अनुसार साल में दो फसलें देने वाली और पानी से लगती जमीन 10 एकड़ रखी जा सकती है. यानी ऐसी कंडीशन में लैंड की सीलिंग दस एकड़ तय की गई है. साल में सिंचाई सुविधा युक्त एक फसल देने वाली जमीन 15 एकड़ रखी जा सकती है. अन्य बागीचों के लिए जमीन रखने की सीमा 30 एकड़ है. जनजातीय इलाकों के लिए ये सीमा 70 एकड़ है. एक्ट के प्रावधान राज्य व केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली जमीनों व पंजीकृत सहकारी कृषि समितियों पर लागू नहीं होते. इसके अलावा चाय बागानों को भी छूट है. साथ ही उस धार्मिक संस्था को भी लैंड सीलिंग एक्ट में तय सीमा से अधिक जमीन रखने की छूट है, जो धार्मिक, सामाजिक कार्यों के साथ जाति-पाति के खिलाफ व नशे की बुराई को दूर करने का काम कर रही हो.
इस कड़ी में राधास्वामी सत्संग ब्यास को भी लैंड सीलिंग एक्ट में छूट मिली है. प्रदेश में यही एकमात्र धार्मिक संस्था है, जिसे एक्ट में छूट मिली है, लेकिन ये छूट शर्त सहित है. छूट पाने वाली ये धार्मिक संस्था न तो जमीन को लीज पर दे सकती है, न ही गिफ्ट डीड कर सकती है और न ही मार्टगेज कर सकती है. अब संस्था चाहती है कि भोटा चैरिटेबल अस्पताल की जमीन का मालिकाना हक महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को दिया जाए.