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रिटायर्ड IAS राम सुभग सिंह पर फिर मेहरबान हुई सुखविंदर सरकार, एक साल और बने रहेंगे CM के प्रधान सलाहकार - ias ram subhag singh extension - IAS RAM SUBHAG SINGH EXTENSION

वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राम सुभग सिंह एक और साल के लिए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान सलाहकार बने रहेंगे. राम सुभग सिंह 1987 बैच के IAS अधिकारी हैं. बुधवार को राज्य सरकार ने उन्हें सीएम के प्रधान सलाहाकर के पद पर एक साल के लिए और सेवा विस्तार दिया है.

राम सिंह सुभाग फाइल फोटो और सरकार की तरफ से जारी की गई नोटिफिकेशन
राम सिंह सुभाग फाइल फोटो और सरकार की तरफ से जारी की गई नोटिफिकेशन (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 31, 2024, 5:34 PM IST

शिमला: विवादों में रहे सीनियर आईएएस राम सुभग सिंह पर सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने फिर से मेहरबानी की है. राम सुभग सिंह एक और साल के लिए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान सलाहकार बने रहेंगे. इस बारे में बुधवार 31 जुलाई को अधिसूचना जारी कर दी गई है. उल्लेखनीय है कि विवादों के कारण राम सुभग सिंह मुख्य सचिव पद से हटाए गए थे. विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने जयराम सरकार पर खूब हमले किये थे. सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने राम सुभग सिंह पर मेहरबानी दिखाई. अब एक साल के लिए उन्हें और सेवा विस्तार दिया गया है. राज्य के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की तरफ से अधिसूचना जारी की गई है. सीनियर आईएएस राम सुभग सिंह को सुखविंदर सरकार ने सेवा निवृति के बाद पिछले साल जुलाई में सीएम का प्रधान सलाहकार बनाया था और अब उन्हें एक और साल के लिए सेवा विस्तार दिया गया है.

हिमाचल में जयराम सरकार के कार्यकाल के दौरान अगस्त 2019 में रामसुभग सिंह अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर थे. जयराम सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के लिए पर्यटन विभाग ने एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया. रामसुभग सिंह पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे. उस पोर्टल पर एक विवादित डॉक्यूमेंट अपलोड हो गया. वो डॉक्यूमेंट लैंड सीलिंग एक्ट से जुड़ा हुआ था. हिमाचल में लैंड सीलिंग एक्ट और लैंड रिफॉर्म्स बहुत संवेदनशील मामले हैं. विवादित डॉक्यूमेंट के अपलोड होने से जुड़ा खुलासा हुआ तो जयराम सरकार पर दबाव पड़ा. उसी दबाव का परिणाम था कि जयराम सरकार को रामसुभग सिंह से पर्यटन विभाग वापिस ले लिया गया. राज्य सरकार की तरफ से अगस्त 2019 के आखिर में जारी अधिसूचना में रामसुभग सिंह को तत्काल प्रभाव से पर्यटन विभाग के कार्यभार से मुक्त कर दिया गया था.

इन्वेस्टर्स मीट के लिए जयराम सरकार ने राइजिंग हिमाचल पोर्टल बनाया था. उस पोर्टल पर पर्यटन निगम के 14 होटलों को लीज पर देने और चाय बागानों में लैंड सीलिंग एक्ट के प्रावधानों को दरकिनार करते हुए कमर्शियल गतिविधियां चलाने से संबंधित एक डॉक्यूमेंट अपलोड हुआ था. अचरज ये कि इस बारे में न तो कैबिनेट को पता था और न ही मुख्यमंत्री कार्यालय को. तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पूरे मामले की जांच के लिए आदेश जारी किए. उस समय के मुख्य सचिव बीके अग्रवाल से तीन दिन में रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन उससे पहले ही सरकार ने रामसुभग सिंह को हटा दिया. आरोप है कि इन्वेस्टर्स मीट के बहाने लैंड सीलिंग एक्ट बदलने और पर्यटन निगम के घाटे वाले होटल बेचने की गुपचुप तरीके से कोशिश की गई. मामले में चौतरफा घिरी जयराम सरकार ने तुरंत विवादित डॉक्यूमेंट को पोर्टल से हटाया और जांच का ऐलान किया था. तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर ने मानसून सत्र के दौरान बाकायदा सदन में स्वीकार किया कि इस किस्म का विवादित दस्तावेज सरकारी पोर्टल पर अपलोड होना दुर्भाग्यपूर्ण है. फिर अक्टूबर 2019 में ही रामसुभग सिंह को आयुर्वेद विभाग भी दिया गया, लेकिन पांच दिन बाद ही ये विभाग भी उनसे वापिस लिया गया.

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