सिरोही: सिक्किम के राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर के रविवार को सिरोही आगमन पर शहर के स्वामीनारायण मंदिर में नागरिक अभिनंदन समारोह आयोजित हुआ. समारोह को संबोधित करते हुए सिक्किम के राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर ने अपना राजनीतिक अनुभव साझा किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि पहले कार्यकर्ताओं को कई बार जबरदस्ती चुनाव लड़वाते थे, अब जीतने के लिए चुनाव में उतारा जाता है.
ओमप्रकाश माथुर ने शेयर किया अपना राजनीतिक सफर (ETV Bharat Sirohi) ऐसे हुई भैरोसिंह से मुलाकात:उन्होंने खुद के राजनीतिक सफर का जिक्र करते हुए कहा है कि उस वक्त जालौर, सिरोही और पाली में कोई नहीं कह सकता कि वहां बीजेपी जीतेगी. वहां केवल सबसे पहले किसान संघ खड़ा हुआ था. किसान संघ की ओर से ऐतिहासिक जीरा आंदोलन की रैली के बाद कानून बदलना पड़ा. उस वक्त हुई रैली के बाद मेरे दिन फिरे और तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत की नजर मुझ पर पड़ी. उन्होंने सोहन सिंह और लक्ष्मण सिंह को कहा कि इस जवान माथुर को मुझसे से मिलाओ.
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9 की जगह 13 सीटों पर मिली जीत:माथुर ने कहा कि फिर भैरोसिंह जी से बातचीत हुई और सन 1985 में 16 सीटों में से भाजपा के पास केवल तीन सीट थी. भैरोसिंह जी ने मुझसे कहा कि हमारे लोग वहां जीतते नहीं, तो मैंने कहा कि हमारे हिसाब से टिकट दे दो, जीत जाएंगे. मैंने 16 में से 9 सीटें देने का वादा किया. हमारी संघ और भैरोसिंह जी के साथ 8 बैठक हुई थी. टिकट फाइनल होने के बाद भैरोंसिंह जी ने मुझसे कहा 9 की 13 कर देना और आप विश्वास नहीं करोगे कि उस रिजल्ट में जालौर, सिरोही और पाली की 16 में से 13 सीटें भाजपा ने जीती. यह कमाल ओम माथुर का काम नहीं था, यह कार्यकर्ताओं की निष्ठा की वजह से हुआ.
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समर्पण और कार्यकर्ताओं की पार्टी:ओमप्रकाश माथुर ने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय हमेशा जालौर वालों को टिकट मिलता था. तो मैंने सोचा अबकी बार तो सिरोही वालों को टिकट मिलना चाहिए. तो लुंबाराम जैसे साधारण व्यक्ति को टिकट मिला और साधारण कार्यकर्ता को टिकट मिलने से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच से कहा कि तपस्वी कार्यकर्ता लुंबाराम को वोट देना है. यह समर्पण और कार्यकर्ताओं की पार्टी है.
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आज जीतने के लिए लड़ाते हैं चुनाव:उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को निजी स्वार्थ छोड़कर पूर्ण समर्पण से कार्य करने पर ही सफलता मिलेगी. मैं महामहिम ऐसे ही नहीं बना हूं. 52 सालों बाद साइकिल से शुरू करके राजभवन में पहुंचा हूं. इसके पीछे सिर्फ कार्यकर्ताओं का समर्पण और एकाग्रता है जिससे मुझे समय-समय पर संबल मिला है. इन 52 सालों में क्या-क्या संघर्ष नहीं देखा है. उस वक्त कार्यकर्ताओं को कई बार जबरदस्ती चुनाव लड़ाया जाता था. इसके बाद अगर जमानत जब्त होने से बच जाते, तो मिठाई बांटते थे. आज जीतने के लिए लड़ाते हैं.
भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर:उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है. पूरी दुनिया हिंदुस्तान की बात मानने लगी है. दुनिया का सबसे बड़ा देश रसिया और यूक्रेन के झगड़े चल रहे हैं. दोनों देशों को सुलह के लिए केवल भारत से उम्मीद है. दोनों देशों का मानना है कि केवल हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हमारी सुलह कर सकते हैं. इस अवसर पर राज्य मंत्री ओटाराम देवासी, सांसद लुंबाराम चौधरी व जिला प्रमुख अर्जुन पुरोहित में भी संबोधित किया.