राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

Rajasthan: पत्थरों को तराश कर ऊंचा कर रहे बुटोली का नाम, 1975 से परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा रहे लोग

अलवर में पत्थर से मूर्तियां तराशने का काम फल फूल रहा है. बुटोली गांव में तो 1975 से मूर्तिकला का काम चल रहा है.

Sculpture is flourishing in Alwar
मूर्तिकला (Photo ETV Bharat Alwar)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 4 hours ago

अलवर: जिले में पत्थरों से मूर्ति बनाने का काम आम सा हो गया है. कई गांवों कस्बों में कारीगरों द्वारा मूर्तियां बनाई जाने लगी है. जिले का बुटोली एक ऐसा गांव है, जहां 1975 में लोग मूर्तियां बना रहे हैं. उस समय लोग अपने घरों से निकल कर मूर्ति बनाने की कला सीख कर आए और अपने गांव में इस कार्य को शुरू किया. आज इस गांव के लोग अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. इस गांव के हर घर से छेनी व हथोड़ी की आवाज़ सुनाई देती है. यहां से लोग निकलकर अलवर के अलग-अलग हिस्सों में अपनी मूर्तिशिल्प के माध्यम से गुजर बसर कर रहे हैं.

बुटोली गांव के शिल्पकार कांति शर्मा ने बताया कि मूर्ति बनाने की कला बारीक काम है. एक मूर्ति बनाने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है और छोटी सी एक गलती कारीगर की पूरी मेहनत को खराब कर सकती है. उन्होंने बताया कि इस गांव में 1975 से कुछ लोग बाहर से इस कार्य को सीख कर आए और यहां आकर शुरुआत की. आज अपने परिवार के बड़ों की परंपरा को लोगों ने सहेज कर रखा है और वह अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. कांति ने कहा कि एक ही गांव के करीब 40 लोग इस कार्य को कर रहे हैं. साथ ही कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने यहां से निकलकर अन्य शहरों, कस्बे व गांवों में इस काम को आगे बढ़ाया है. उनका कहना था कि उनके पिता द्वारा शुरू किए गए कार्य को ही वे संभाल रहे हैं.

कई सालों ने मूर्तिकारों का काम कर रही हैं पीढियां (Video ETV Bharat Alwar)

पढ़ें: सी-विदेशी मूर्ति कलाकारों का मेला, अल्कोहल इंक से बना रहे आर्ट

बुटोली से निकल कर अलवर में बना रहे मूर्ति: मूर्ति बनाने वाले शिल्पकार अशोक शर्मा ने बताया कि इस कार्य का जुड़ाव बुटोली गांव से रहा है. पहले के समय में वहां पत्थरों का काम किया जाता था, घर बनाने के काम में लिए जाने वाले पत्थरों के लिए लोग बुटोली का नाम सबसे पहले लेते थे. अशोक शर्मा ने बताया कि बुटोली गांव में बुजुर्गों ने इस कार्य की शुरुआत की, तो उनके परिवार के लोगों ने आज इस कार्य को बड़े स्तर पर पहुंचा दिया है.

यहां बनी मूर्तियों की पूरे देश में है डिमांड (फोटो ईटीवी भारत अलवर)

टेक्नोलॉजी से काम हुआ आसान: शिल्पकार अशोक शर्मा ने बताया कि मूर्ति बनाने का काम बड़ा जटिल है, लेकिन जब से मशीनें आई है, कारीगरों का काम 50% से ज्यादा तक आसान हो गया है. आज एक मूर्ति पर कलाकारी करने के लिए मशीनों का सहारा लिया जाता है. जबकि पहले के समय में हथौड़े व अन्य औजार से मूर्ति पर कलाकारियों को करने में काफी समय लगता था.

कई सालों से मूर्तिकारों का काम कर रही हैं पीढिय़ां (फोटो ईटीवी भारत अलवर)

पत्थर व मूर्ति के डिजाइन पर निर्भर है क़ीमत: शिल्पकार अशोक ने बताया कि अलवर में मूर्ति बनाने के लिए तीन से चार तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है. यहां विदेश से आने वाला पत्थर भी काम में लिया जाता है. उन्होंने बताया कि एक मूर्ति की कीमत पत्थर व मूर्ति पर होने वाली डिजाइन पर निर्भर रहती है. उनका कहना है उनके पास 5 लाख रुपए तक की मूर्तियां भी तैयार होती है. शर्मा ने बताया कि इन दिनों धार्मिक मूर्तियों का चलन ज्यादा है, जिसमें लोग राम दरबार, श्रीकृष्ण, हनुमान जी, भोलेनाथ, माता जी, राधा कृष्ण सहित अन्य तरह की धार्मिक मूर्तियों की डिमांड ज्यादा कर रहे हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details