रायपुर : फरवरी 2024 में संकष्टी चतुर्थी का पर्व 28 फरवरी दिन बुधवार के दिन मनाया जाएगा. हर साल फागुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. संकष्टी चतुर्थी के अवसर पर गणपति पूजन फलदायी माना गया है. इस तिथि पर गणेश पूजन और व्रत करने से साधक को शुभ फल मिलता है. भगवान गणेश की कृपा हमेशा साधक पर बनीं रहती है. गणपति जीवन की सभी परेशानियों से साधक की रक्षा करते हैं.
संकष्टी चतुर्थी व्रत से दूर हो सकते हैं सारे कष्ट, जानिए व्रत और पूजन विधि - गणपति
Sankashti Chaturthi Vrat भगवान गणेश देवों में प्रथम पूज्य हैं. इनको विघ्नहर्ता भी कहा जाता है.ऐसी मान्यता है कि ऐसा कोई भी कष्ट नहीं है,जिसे गणपति दूर ना कर सके. हिंदू धर्म में गणपति को प्रसन्न करने के लिए कई विधान बताएं गए हैं.उन्हीं में से एक विधान संकष्टी चतुर्थी का व्रत है.आईए जानते हैं कैसे करें संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति पूजन.Ganesh Pujan
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Feb 25, 2024, 4:39 AM IST
|Updated : Feb 26, 2024, 6:39 AM IST
कब शुरु होगी संकष्टी चतुर्थी ? :फागुन माह में चतुर्थी तिथि 28 फरवरी दिन बुधवार को रात 1 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी.29 फरवरी दिन गुरुवार सुबह 4 बजकर 18 मिनट तक ये तिथि रहेगी. जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें 28 फरवरी के दिन व्रत रखना होगा. संकष्टी चतुर्थी का दिन भगवान गणेश के भक्तों के लिए बेहद खास माना गया है. व्रत रखने के बाद गणपति पूजन और भगवान का आशीर्वाद लेना शुभ माना गया है.
घर की सारी नकारात्मकता होगी दूर :भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है. भगवान गणेश प्रथम पूज्य होने के कारण पूजा अनुष्ठान, विवाह, सगाई, मुंडन या फिर गृह प्रवेश के कार्यक्रम में सबसे पहले पूजे जाते हैं. किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश का आशीर्वाद लेने की प्रथा है. इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से घर की सारी नकारात्मकता दूर होती है.
संकष्टी चतुर्थी के दिन कैसे करें पूजा ? :संकष्टी चतुर्थी के व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद पूजा कक्ष की साफ सफाई की जानी चाहिए. भगवान गणेश की मूर्ति रखकर गाय के गोबर का दीपक जलाएं. भगवान गणेश को पीले फूल, दूर्वा घास की माला, बूंदी के लड्डू और मोदक अर्पित करें. इसके बाद संकष्टी कथा पढ़ें .आरती के साथ पूजा समाप्त करें. रात के समय भी भगवान गणेश जी की पूजा करें. व्रत करने वाले लोग शाम की पूजा के बाद प्रसाद के साथ ही अपना व्रत तोड़े.