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संभल शिव मंदिर; 1978 में पलायन कर गए थे रस्तोगी समाज के लोग, बंद हो गई थी पूजा - SAMBHAL SHIV MANDIR

SAMBHAL SHIV MANDIR : बुजुर्ग विष्णु शरण रस्तोगी ने बताई दंगे की दहशत की आपबीती. मंदिर के कपाट खुलने पर जताई खुशी.

संभल शिव मंदिर.
संभल शिव मंदिर. (Photo Credit : ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 17, 2024, 4:39 PM IST

Updated : Dec 17, 2024, 6:35 PM IST

संभल :संभल निवासी विष्णु शरण रस्तोगी ने कार्तिकेय महादेव मंदिर को लेकर बड़ा खुलासा करते हुए आपबीती सुनाई है. उन्होंने 1978 से बंद महादेव मंदिर ज़िक्र करते हुए बताया कि यह मंदिर रस्तोगी समाज का मंदिर हुआ करता था, लेकिन 1978 के दंगों के बाद से यहां का पूरा रस्तोगी समाज दहशत की वजह से सुरक्षित स्थानों पर चला गया. 1978 में हुए कत्लेआम के बाद यहां पूजा पाठ भी बंद हो गई थी.

संभल शिव मंदिर के बारे में जानकारी देते विष्णु शरण रस्तोगी. (Video Credit : ETV Bharat)


बता दें, 14 दिसंबर को संभल के डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया और एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने पुलिस फोर्स के साथ संभल के दीपा सराय, खग्गू सराय, रायसत्ती आदि इलाकों में बिजली चेकिंग अभियान चलाया था. जहां खग्गू सराय मोहल्ले में 1978 से बंद भगवान शिव के मंदिर कपाट खुलवाए थे. मंदिर की वास्तविकता की जानकारी मिली तो पता चला कि यह भगवान शिव का मंदिर कार्तिकेय महादेव का मंदिर है. हालांकि अब इस मंदिर पर आस्था उमड़ रही है. प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा पाठ के लिए यहां आ रहे हैं.

मथुरा से पहुंचे स्वामी अमृतानंद महाराज. (Photo Credit : ETV Bharat)

बताया जा रहा है कि कभी इस मंदिर पर रस्तोगी समाज का वर्चस्व हुआ करता था. इस मंदिर को रस्तोगी समाज का मंदिर कहा जाता है, क्योंकि यहां पर रस्तोगी समाज के 40 से 45 परिवार रहा करते थे. इसी मोहल्ले के रहने वाले बुजुर्ग विष्णु शरण रस्तोगी (82) ने बताया कि वर्ष 1978 के दंगों के बाद यहां से रस्तोगी समाज के परिवारों ने पलायन कर लिया था. वह खुद बचपन से यहां रहे हैं. उन्होंने अपना बचपन यही बिताया था, लेकिन 1978 में दंगे हुए कत्लेआम हुए उसके बाद ऐसी दहशत फैली कि उन्हें और उनके समाज के सभी लोगों को यहां से जाना पड़ गया.

विष्णु शरण रस्तोगी ने बताया कि 1978 में जब दंगा हुआ था तो उनकी दुकान को भी जला दिया गया था. मंदिर के आसपास दूसरे समुदाय के लोगों की आबादी बढ़ती चली गई. इसके बाद दहशत में आने की वजह से उन्हें यहां से जाना पड़ा. उन्होंने बताया कि इस मंदिर की परिक्रमा भी हुआ करती थी. लगभग 4 फुट का परिक्रमा मार्ग था. कुएं के पास पीपल का पेड़ भी था, लेकिन अब प्रशासन ने मंदिर के कपाट को खुलवा दिया है, जिसे लेकर वह काफी खुश हैं.

मुरादाबाद से आए रस्तोगी दंपति ने की पूजा अर्चना

वहीं 1979 से पहले संभल के खग्गू सराय स्थित कार्तिकेय महादेव मंदिर के नजदीक रहने वाले एक बुजुर्ग दंपत्ति भी मुरादाबाद से आकर पूजा अर्चना की और मंदिर खुलने पर खुशी जताई. बुजुर्ग अनिल कुमार रस्तोगी ने कहा कि पहले यहां रहा करते थे लेकिन अब वह मुरादाबाद में जाकर बस गए हैं. उन्होंने बताया कि उनकी आढ़त की दुकान थी दंगे के दौरान उसमें आग लगा दी गई थी. करीब एक लाख का नुकसान हुआ होगा. उस समय डर के चलते यहां से सब लोग चले गए लेकिन अब मंदिर के कपाट खुलने के बाद वह अपनी पत्नी साधाना रस्तोगी के साथ यहां पर पूजा अर्चना करने आए हैं.

"हमें नहीं चाहिए देश में गंगा जमुनी तहजीब"

कार्तिकेय महादेव मंदिर के दर्शन करने मथुरा से पहुंचे स्वामी अमृतानंद महाराज ने कहा कि सनातन धर्म को बचाने के लिए सभी को आगे आना चाहिए. संभल सनातन का प्रमुख तीर्थ स्थल है. यहां से सतयुग का प्रारंभ हुआ, लेकिन सब मिटा कर रख दिया गया. इसलिए ऐसी गंगा जमुनी तहजीब देश को नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर सनातन संस्कृति को बचाना है तो अभी से जागृत हो जाएं, नहीं तो सनातन का नाम दुनिया से मिट जाएगा.

स्वामी अमृतानंद महाराज ने कहा कि वह यहां आकर बहुत प्रसन्न हैं. इसके लिए प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हैं. उन्होंने कहा कि पहले सनातन संस्कृति से जुड़े लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी नहीं थी, लेकिन अब अभिव्यक्ति की आजादी मिल गई है.

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Last Updated : Dec 17, 2024, 6:35 PM IST

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