नई दिल्लीः दिल्ली सरकार के विभागों में काम करने वाली महिलाओं के साथ वर्कप्लेस पर होने वाली यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए खास कदम उठाए गए हैं. इसको लेकर दिल्ली सरकार के सभी 235 विभागों और निकायों में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) गठित की गई हैं. विभागों में गठित यह आईसीसी किस तरह का कामकाज कर रही हैं और यौन उत्पीड़न रोकथाम में कैसा काम कर रही हैं, इसकी जांच करने को पिछले दिनों विशेष कमेटी गठित की गई थी जिसने इनके कामकाज और गठन पर बड़े सवाल खड़े किए थे. इतना ही नहीं, यह विभागीय आईसीसी विशेष कमेटी की ओर से दी गईं सिफारिशों को लागू करने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं. इसके बाद अब एक बार फिर से दिल्ली के मुख्य सचिव के आदेशों पर विभागों को सख्त आदेश जारी किए गए हैं.
दिल्ली सरकार के सर्विसेज विभाग की ओर से 28 मार्च, 2024 को एक पत्र जारी किया गया था जिसमें विभागीय आईसीसी के गठन के कामकाज की जांच करने को लेकर गठित विशेष कमेटी की ओर से तमाम खामियों को उजागर किया गया था. आतंरिक शिकायत कमेटियों के कामकाज और उनके गठन को लेकर कमेटी ने कई बड़े सवाल खड़े किए थे. कमेटी ने इन सभी के कामकाज की जांच करने के बाद डिटेल रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें इन कमियों को उजागर करते हुए दूर करने की कार्रवाई की सिफारिश की गई थी. इस कार्रवाई को करने के बाद सभी संबंधित विभागों की ओर से एक्शन टेकन रिपोर्ट नोडल विभाग के रूप में महिला एवं बाल विकास विभाग को एक समयसीमा के भीतर भेजे जाने के लिए कहा था, लेकिन विभागों की ओर से इस पर कोई खास ध्यान नहीं दिया है.
दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी की ओर से कमेटी द्वारा उठायी गई कमियों को दूर करने से जुड़ी एक्शन टेकन रिपोर्ट और टिप्पणियां डिटेल्ड रिपोर्ट के साथ विभागों को 6 मई, 2024 तक जमा करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन यह डेडलाइन बीतने के बाद अब एक बार से सभी विभागों को आईसीसी को लेकर एक और आदेश जारी किया गया है. सेवाएं विभाग की ओर से 22 मई को एक और निर्देश जारी किया गया. इसमें कहा गया है कि फिर से आग्रह किया जाता है कि कमेंट्स के साथ अब तक जमा नहीं करवाई गई एटीआर को जल्द से जल्द सीधे नोडल विभाग डब्ल्यूसीडी को भेजा जाए. इसके बाद संबंधित फाइल को दिल्ली चीफ सेक्रेटरी को भेजा जा सकेगा.
हैरान करने वाली बात यह है कि दिल्ली सरकार के सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, विभागाध्यक्षों और स्वायत्त निकायों को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत गठित की गईं विभागीय आईसीसी संबंधी रिपोर्ट सौंपने के कई बार आदेश दिए गए हैं. बावजूद इसके विभागों ने इस पर कोई गंभीर रूख अख्तियार नहीं किया है.