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वर्कप्‍लेस पर महि‍लाओं के यौन उत्‍पीड़न रोकने को बनाई ICC, 111 विभागों ने नहीं द‍िखाई कोई द‍िलचस्‍पी - Prevention of Sexual Harassment - PREVENTION OF SEXUAL HARASSMENT

दिल्ली सरकार के विभागों में सेक्सुअल हैरेसमेंट को रोकने के लिए बनाई गई आंतर‍िक श‍िकायत सम‍िति के प्रति विभाग दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. दिल्ली के मुख्य सचिव के आदेशों पर व‍िभागों को सख्‍त आदेश जारी क‍िए गए हैं.

आंतर‍िक श‍िकायत सम‍िति को लेकर विभागों की दिलचस्पी नहीं.
आंतर‍िक श‍िकायत सम‍िति को लेकर विभागों की दिलचस्पी नहीं. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 30, 2024, 2:05 PM IST

नई द‍िल्‍लीः द‍िल्‍ली सरकार के व‍िभागों में काम करने वाली मह‍िलाओं के साथ वर्कप्‍लेस पर होने वाली यौन उत्‍पीड़न की घटनाओं को रोकने के ल‍िए खास कदम उठाए गए हैं. इसको लेकर द‍िल्‍ली सरकार के सभी 235 व‍िभागों और न‍िकायों में आंतर‍िक श‍िकायत सम‍िति (ICC) गठ‍ित की गई हैं. व‍िभागों में गठ‍ित यह आईसीसी क‍िस तरह का कामकाज कर रही हैं और यौन उत्‍पीड़न रोकथाम में कैसा काम कर रही हैं, इसकी जांच करने को प‍िछले द‍िनों व‍िशेष कमेटी गठित की गई थी ज‍िसने इनके कामकाज और गठन पर बड़े सवाल खड़े क‍िए थे. इतना ही नहीं, यह व‍िभागीय आईसीसी व‍िशेष कमेटी की ओर से दी गईं स‍िफार‍िशों को लागू करने में कोई खास द‍िलचस्‍पी नहीं द‍िखा रही हैं. इसके बाद अब एक बार फ‍िर से दिल्ली के मुख्य सचिव के आदेशों पर व‍िभागों को सख्‍त आदेश जारी क‍िए गए हैं.

द‍िल्‍ली सरकार के सर्व‍िसेज व‍िभाग की ओर से 28 मार्च, 2024 को एक पत्र जारी क‍िया गया था ज‍िसमें व‍िभागीय आईसीसी के गठन के कामकाज की जांच करने को लेकर गठ‍ित व‍िशेष कमेटी की ओर से तमाम खाम‍ियों को उजागर क‍िया गया था. आतंर‍िक श‍िकायत कमेट‍ियों के कामकाज और उनके गठन को लेकर कमेटी ने कई बड़े सवाल खड़े क‍िए थे. कमेटी ने इन सभी के कामकाज की जांच करने के बाद डिटेल र‍िपोर्ट सौंपी थी ज‍िसमें इन कमि‍यों को उजागर करते हुए दूर करने की कार्रवाई की सिफार‍िश की गई थी. इस कार्रवाई को करने के बाद सभी संबंध‍ित व‍िभागों की ओर से एक्‍शन टेकन र‍िपोर्ट नोडल व‍िभाग के रूप में महिला एवं बाल विकास विभाग को एक समयसीमा के भीतर भेजे जाने के ल‍िए कहा था, लेक‍िन व‍िभागों की ओर से इस पर कोई खास ध्‍यान नहीं द‍िया है.

द‍िल्‍ली के चीफ सेक्रेटरी की ओर से कमेटी द्वारा उठायी गई कम‍ियों को दूर करने से जुड़ी एक्‍शन टेकन र‍िपोर्ट और ट‍िप्‍पण‍ियां डि‍टेल्‍ड र‍िपोर्ट के साथ व‍िभागों को 6 मई, 2024 तक जमा करने के न‍िर्देश द‍िए गए थे. लेक‍िन यह डेडलाइन बीतने के बाद अब एक बार से सभी व‍िभागों को आईसीसी को लेकर एक और आदेश जारी क‍िया गया है. सेवाएं व‍िभाग की ओर से 22 मई को एक और न‍िर्देश जारी क‍िया गया. इसमें कहा गया है क‍ि फ‍िर से आग्रह क‍िया जाता है क‍ि कमेंट्स के साथ अब तक जमा नहीं करवाई गई एटीआर को जल्‍द से जल्‍द सीधे नोडल व‍िभाग डब्‍ल्‍यूसीडी को भेजा जाए. इसके बाद संबंध‍ित फाइल को द‍िल्‍ली चीफ सेक्रेटरी को भेजा जा सकेगा.

हैरान करने वाली बात यह है क‍ि द‍िल्‍ली सरकार के सभी अत‍िर‍िक्‍त मुख्‍य सच‍िव, प्रधान सच‍िव, सच‍िव, व‍िभागाध्‍यक्षों और स्‍वायत्त निकायों को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत गठ‍ित की गईं व‍िभागीय आईसीसी संबंधी र‍िपोर्ट सौंपने के कई बार आदेश द‍िए गए हैं. बावजूद इसके व‍िभागों ने इस पर कोई गंभीर रूख अख्‍त‍ियार नहीं क‍िया है.

बता दें कि सर्व‍िसेज व‍िभाग की ओर से चीफ सेक्रेटरी के आदेशों पर 4 अक्टूबर 2023 को आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) की जांच पड़ताल करने को लेकर एक कमेटी गठ‍ित की थी. कमेटी की ओर से जांच पड़ताल करने के बाद 14 दिसंबर 2023 को अपनी र‍िपोर्ट सौंप दी थी. रिपोर्ट में पीओएसएच अधिनियम, 2013 के कार्यान्वयन में कुछ कमियों का खुलासा किया गया था. साथ ही, अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए विभाग को प्रशासनिक कार्रवाई करने के लिए कमियों को दूर करने के ल‍िए स‍िफार‍िश की गई थी.

कमेटी की ओर से बताया गया था क‍ि वर्कप्‍लेस पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर संवेदनशीलता की कमी द‍िखाई दी है. द‍िल्‍ली सरकार के 235 विभागों को ईमेल के जर‍िये पूर्व सूचना दी गई. बावजूद इसके स‍िर्फ 124 विभागों से भरी हुई प्रश्नावली प्राप्त हुई है. बाकी 111 विभागों ने इसको भरने में कोई द‍िलचस्‍पी नहीं द‍िखाई.

इसके अलावा, कमेटी ने व‍िभागों में गठ‍ित आईसीसी के गठन को भी खानापूर्त‍ि बताते हुए कहा क‍ि अधिकांश संगठनों की तरह आईसीसी का अनुचित गठन क‍िया गया है. आईसीसी का गठन इस मामले में सख्‍ती द‍िखाने वाले प्रावधानों के अनुरूप नहीं क‍िया गया. आईसीसी के संबंध में क‍िसी तरह से सूचना आदि के प्रसार भी नहीं क‍िया गया ज‍िसका घोर अभाव दिखाई द‍िया.

इतना ही नहीं, व‍िभागों में गठ‍ित आईसीसी की वैधानिक भूमिका के बारे में भी जानकारी का अभाव है. आईसीसी के सदस्य इस बात से अवगत नहीं हैं कि आईसीसी के पास वही शक्तियां हैं जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत एक सिविल कोर्ट में निहित हैं. साथ ही पीओएसएच अधिनियम 2013 और नियमों के तहत निर्दिष्ट समय-सीमा का भी पालन नहीं किया जाता है. कमेटी ने आईसीसी के समक्ष कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के आने वाले मामलों की जांच प्रक्र‍िया भी सवाल खड़े कि‍ए हैं. स‍िफार‍िशों को र‍िकॉर्ड करने का पूरा ज्ञान आईसीसी को नहीं है. इन सभी मामलों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए समयबद्ध तरीके से न‍िपटारा करते हुए व‍िभागाध्‍यक्षों को न‍िर्देश द‍िए गए लेक‍िन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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