शिमला:हिमाचल में पिछली बरसात में भीषण प्राकृतिक आपदा से लोगों को मिले गहरे जख्म चुनाव के समय कुरेदे जाने से फिर ताजा हो गए हैं. प्रदेश में आखिरी चरण में चार लोकसभा सहित विधानसभा की छह सीटों पर उपचुनाव होना है. ऐसे में दोनों ही बड़े दल कांग्रेस और भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेता चुनाव प्रचार के लिए पहाड़ पर चढ़ कर एक दूसरे के खिलाफ जमकर आरोप और प्रत्यारोप लगा रहे हैं. छोटे पहाड़ी राज्य में 30 मई को चुनाव प्रचार थम जाएगा, अब अगले दो दिनों में दोनों दलों के बीच जुबानी जंग छिड़ने से शांत राज्य में सियासी पारा और चढ़ने वाला है.
हिमाचल में अब दोनों ही प्रमुख दलों के राष्ट्रीय स्तर के स्टार प्रचारकों ने चुनाव प्रचार का जिम्मा अपने कंधों पर उठा लिया है. इस तरह से चुनावी जंग में दोनों ही दलों के बड़े नेता राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर भी एक दूसरे को खूब घेर रहे हैं. इसी कड़ी में हिमाचल में बरसात के मौसम में आई भीषण प्राकृतिक आपदा एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गई है. कांग्रेस इस मुद्दे को चुनावी सभाओं को खूब उठा रही है, लेकिन वहीं भाजपा केंद्र से मिली राहत राशि की बंदरबांट को लेकर सवाल उठाकर बचने का प्रयास करते हुए नजर आ रही हैं. ऐसे में आपदा का मुद्दा किस पार्टी को वोट बैंक के रूप में फायदेमंद साबित होगा और किस पर आफत का पहाड़ बनकर टूटेगा, ये 4 जून को चुनावी नतीजे ही बताएंगे.
मंडी में सबसे बड़ा मुद्दा बनी प्राकृतिक आपदा
हिमाचल में पिछले बरसात में अत्याधिक बारिश ने कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन और चंबा में सबसे अधिक तबाही मचाई थी. भारी बारिश से आई भीषण बाढ़ व लैंडस्लाइड से हजारों करोड़ की संपत्ति तबाह होने के साथ सैकड़ों बहुमूल्य जिंदगियां प्राकृतिक आपदा की भेंट चढ़ गई थी. प्राकृतिक आपदा से सबसे अधिक मंडी संसदीय क्षेत्र प्रभावित हुआ था, यहां दो जिलों कुल्लू और मंडी में बरसात से भारी नुकसान हुआ था. ऐसे में मंडी में प्राकृतिक आपदा का मुद्दा मंडी संसदीय सीट पर खूब गूंज रहा है. प्राकृतिक आपदा को लेकर कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमलावर हैं. कांग्रेस के नेता आरोप लगा रहे हैं कि प्राकृतिक आपदा में केंद्र की मोदी सरकार ने हिमाचल की कोई मदद नहीं की थी, अब चुनाव में वोट लेने के वक्त पीएम मोदी को अपने दूसरे घर की याद आ गई है.
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने नाहन और ऊना में चुनावी जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा था कि सुक्खू सरकार ने प्राकृतिक आपदा से हुए 9,900 करोड़ का मेमोरेंडम केंद्र को भेजा था, लेकिन पीएम मोदी ने हिमाचल को फूटी कौड़ी तक नहीं दी थी. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह भी भाजपा उम्मीदवार कंगना रनौत को प्राकृतिक आपदा के मुद्दे पर लगातार हमले कर रहे हैं. वे चुनावी सभाओं में कह रहे हैं की आपदा के समय मंडी की बेटी कंगना रनौत कहां थी? अब चुनाव के वक्त ही क्यों कंगना को मंडी के लोगों की याद सताने लगी है? वहीं, कांग्रेस की स्टार प्रचार अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी पीएम मोदी पर हिमाचल में आई आपदा को लेकर घेर रही हैं.
केंद्र से मिली राहत की हुई बंदरबाट
हिमाचल में चुनाव के समय प्राकृतिक आपदा को लेकर लगातार हमलावर हो रही कांग्रेस को भाजपा ने भी काउंटर करना शुरू कर दिया है. हिमाचल में इस सदी की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा आई थी. जिसमें सैकड़ों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था, हजारों पशु मारे गए थे और हजारों करोड़ की सार्वजनिक व निजी संपत्ति तबाह हो गई थी. हिमाचल ने अपने इतिहास में कभी ऐसी भयंकर तबाही का मंजर नहीं देखा था. ऐसे में भाजपा नेताओं को भी इस बात की जानकारी है की आपदा को लेकर काउंटर नहीं किया गया तो चुनाव में उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसको देखते हुए भाजपा केंद्र से मिली राहत की बंदरबाट पर सवाल उठा रही है और पार्टी के बचाव का प्रयास कर रही है. वहीं, 24 जून को मंडी में आयोजित चुनावी जनसभा के दौरान पीएम मोदी ने केंद्र से मिली राहत राशि को गड़बड़ी की आशंका जताते हुए मामले की जांच करने की बात कही थी. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी सुक्खू सरकार पर चहेतों को राहत राशि बांटने का आरोप लगा रही है.