पन्ना: मंदिरों की नगरी के लिए पहचाने जाने वाले पन्ना में कई ऐसे कुंड हैं जिनका दैवीय और औषधीय महत्व है. बृहस्पति कुंड, भैरव कुंड के बाद एक और यहां चमत्कारी कुंड है. यह स्थान पन्ना से लगभग 25 किलोमीटर दूर है. इसे बंदर खोह के नाम से जाना जाता है. इसी स्थान पर एक दैवीय कुंड है. जिसका पानी कभी कम नहीं होता और पहाड़ की तलछठी से रिसकर इस कुंड में पानी हमेशा पहुंचता रहता है.
बाघिन नदी का उद्गम स्थान है यह कुंड
मंदिर के पुजारी महेश प्रसाद त्रिवेदी बताते हैं कि "बंदर खोह स्थित कुंड का पानी कभी कम नहीं होता. यूं ही पहाड़ की तलछटी से झिरता रहता है. यह कुंड बाघिन नदी का उद्गम स्थान भी है. यहीं से आगे चलकर बाघिन नदी का रूप ले लेता है. यही नदी बृहस्पति कुंड जलप्रपात भी बनाती है. इसी नदी में कहीं-कहीं हीरे भी लोग खोजते हैं. यह नदी बृजपुर क्षेत्र अंतर्गत रमखिरिया गांव से होकर निकलती है और आगे चलकर बड़ा रूप ले लेती है. बरसात में इस नदी का स्वरूप देखते ही बनता है."
पन्ना के बंदर खोह में है पंचमुखी हनुमान मंदिर (ETV Bharat) '5 हाथी भी कम नहीं कर पाए कुंड का पानी'
स्थानीय निवासी पंडित सीताराम मिश्रा बताते हैं कि "इस कुंड का पानी कभी कम नहीं होता है. भीषण गर्मी में भी पानी ऐसे ही पहाड़ की तलछटी से झिरता रहता है और निकलता रहता है. इस कुंड को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यहां एक बार 5 हाथियों ने एक साथ इस कुंड का पानी पीया था फिर भी हाथी पानी खत्म नहीं कर पाए थे. साल भर यूं ही पानी रिसता रहता है और कोई नहीं जानता कि यह पानी कहां से आता है. इस कुंड की मान्यता बहुत अधिक है."
पन्ना के इस कुंड का कभी कम नहीं होता पानी (ETV Bharat) भक्त पहुंचकर ग्रहण करते हैं इस कुंड का पानी (ETV Bharat) पंचमुखी हनुमान मंदिर में दूर-दूर से आते हैं भक्त
हनुमान भक्त सीताराम मिश्रा बताते हैं कि "बंदर खोह एक दैवीय स्थान है और यहां पहाड़ी पर पंचमुखी हनुमानजी का प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर में सालभर कीर्तन चलते रहते हैं. मंगलवार को यहां बड़ी संख्या में हनुमान भक्त पहुंचते हैं. यहां स्थित मंदिर में भंडारा भी चलता रहता है. इसी कुंड के पानी से भंडारे का प्रसाद बनता है और भक्तों की प्यास बुझाई जाती है. कहा जाता है कि कितने भी भक्त आ जाएं इस कुंड का पानी कभी खत्म नहीं होता."