राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

अजमेर दरगाह और संभल मामला : AIMIM ने मुस्लिम विधायकों की चुप्पी पर खड़े किए सवाल

अजमेर दरगाह को लेकर जारी न्यायिक प्रक्रिया के बीच ओवैसी की पार्टी के नेताओं ने प्रदेश के मुस्लिम नेताओं की चुप्पी पर सवाल खड़े किए.

अजमेर दरगाह को लेकर याचिका मामला
अजमेर दरगाह को लेकर याचिका मामला (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 2, 2024, 6:30 PM IST

जयपुर : राजस्थान के अजमेर और उत्तर प्रदेश के संभल मामले को लेकर सोमवार को मुस्लिम संगठनों के पदाधिकारी सोमवार को मीडिया से रूबरू हुए. मुस्लिम संगठनों के पदाधिकारी ने आरोप लगाया कि धार्मिक स्थलों को क्षति पहुंचाने का घिनौना काम किया जा रहा है और देश के आपसी सद्भाव को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है. जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष नाजीमुद्दीन ने कहा कि मस्जिदों को मंदिर बात कर अदालत में झूठे केस दायर किया जा रहे हैं. सर्वे के नाम पर मस्जिदों के स्टेटस को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है.

ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे मंदिर होने के बहाने सर्वे करा कर देश का माहौल खराब किया गया. केंद्र सरकार वक्फ संशोधन बिल लाकर मुस्लिम को जमीनों को हड़पना चाहती है. उन्होंने कहा कि अदालत में इस मामले को सुनवाई योग्य नहीं मानना चाहिए और याचिका को खारिज करना चाहिए.

अजमेर दरगाह और संभल मामले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस (ETV Bharat Ajmer)

याचिका स्वीकार करने के आधार पर सवाल :SDPI के उपाध्यक्ष शहाबुद्दीन खान ने भी अजमेर दरगाह के ताजा विवाद पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि देश की दरगाह, मस्जिद और कब्रिस्तान पर इस तरह सवाल खड़े कर भाईचारा बिगाड़ा जा रहा है. उन्होंने इस पूरे मामले को देश के सौहार्द को बिगाड़े जाने की साजिश से जोड़कर बताया. शहाबुद्दीन ने कहा कि जिस किताब के आधार पर याचिका को स्वीकार किया गया है, उसे लिखने वाले कोई इतिहासकार नहीं है. सती मंदिर से जुड़े संदर्भ को लेकर भी उन्होंने कहा कि यह ट्रेडीशन से जोड़कर बताया गया है, जो की बुनियादी रूप से ही याचिका स्वीकार करने का आधार नहीं हो सकता है.

इसे भी पढ़ें-महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष का दावा- दरगाह में था हिंदू मंदिर, कोर्ट में दस्तावेजों के साथ पेश करेंगे याचिका

ओवैसी की पार्टी भी आक्रामक :एआईएमआईएम राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष जमील अहमद खान ने अजमेर ख्वाजा दरगाह को धार्मिक सहिष्णुता और एकता का प्रतीक बताया है. उन्होंने कहा कि 1991 के प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत किसी भी धार्मिक स्थल का स्वरूप बदला नहीं जा सकता. उन्होंने ऐसी याचिकाओं को देश का माहौल खराब करने और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिश बताया. जमील अहमद ने सवाल उठाया कि राजस्थान के 5 मुस्लिम विधायक अब तक खामोश क्यों हैं, जबकि एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी लगातार कौम और देश की एकता के लिए आवाज उठा रहे हैं.

जमील अहमद ने कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह इंसानियत और भाईचारे का संदेश देती है और ऐसे पवित्र स्थलों पर विवाद पैदा करना गलत है. जमील अहमद ने न्यायालय से अपील की कि ऐसी याचिकाओं को खारिज किया जाए, ताकि देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब और सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details