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श्रीनगर में लोगों को कचरे से मिलेगी निजात, रीसाइक्लिंग करने की तैयारी में जुटा नगर निगम - Srinagar Garbage Recycle - SRINAGAR GARBAGE RECYCLE

Srinagar Garbage Recycle श्रीनगर में आए दिन लोगों को नगर निगम के कूड़े से परेशानी का सामना करना पड़ता है. जल्द लोगों को इस समस्या से निजात मिलने वाली है. जहां मशीनों द्वारा गीले और सूखे कूड़े को अलग कर इसका निस्तारित किया जाएगा.

Srinagar Garbage Recycle
श्रीनगर में जल्द कूड़े की समस्या होगी दूर (Photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 24, 2024, 10:03 AM IST

श्रीनगर: नगर पालिका को नगर निगम बने 2 साल का समय हो गया है, लेकिन यहां कूड़े को निस्तारित करना एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है. जिसको लेकर नगर निगम प्रशासन ने रास्ता खोज निकाला है. अब इस कूड़े को निस्तारित करने के लिए वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए टेंडर प्रक्रिया संपन्न हो गयी है. अब गिरगांव स्थित टंचिंग ग्राउंड से बड़ी मशीनों के जरिये गीले और सूखे कूड़े को अलग कर इसका निस्तारित किया जाएगा.

दरअसल श्रीनगर नगर निगम पूर्व में पालिका थी, जिसका दायरा सीमित था. पालिका के समय में श्रीनगर में कुल 13 वार्ड हुआ करते थे, लेकिन अब श्रीनगर नगर निगम बन गया है. जिसके कारण निगम का दायरा बढ़ा है, जिसमें अब 40 वार्ड हैं. नगर में हर दिन 10 टन से अधिक कूड़ा एकत्र होता है. महीने के हिसाब से ये आंकड़ा 300 टन से अधिक हो जाता है. नगर निगम की कूड़ा उठाने की रफ्तार बढ़ी है. लेकिन कूड़ा निस्तारण ना होना नगर निगम के लिए सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर रहा था. जिसका अब समाधान निकाल लिया गया है. साथ मे अब कूड़े को अलकनंदा नदी के किनारे अस्थाई रूप से भी डंप नहीं किया जाएगा. जिससे स्थानीय लोग भी चैन की सांस ले सकेंगे.

जल्द लोगों को कचरे से मिलेगी निजात (Video- ETV Bharat)

नगर निगम श्रीनगर के सहायक अधिशासी अधिकारी रविराज बंगारी ने बताया कि निगम प्रशासन को सबसे पहले 18000 हजार टन कूड़े को निस्तारित करना है. इसके लिए वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है.गीले कूड़े से जहां खाद बनाई जाएगी, जबकि इनरवेस्ट का भी उपयोग कर प्लास्टिक और लोहे से निगम की आमदनी बढ़ेगी. बताया कि इनरवेस्ट राजस्थान जाकर इसका रीसाइक्लिंग होगा. उन्होंने बताया कि प्लांट लगाने के लिए टेंडर हो गए हैं, अब इसका काम शुरू कर दिया जाएगा. इसके लिए मॉकड्रिल भी होगी, जिसकी मॉनिटरिंग जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी द्वारा की जाएगी.
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