भोपाल।ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए मध्य प्रदेश से कई दावेदार दम भर रहे थे. लग भी रहा था कि इन दावेदारों में एक नाम तय हो जाएगा. लेकिन बीजेपी ने हमेशा की भांति चौंकाते हुए एक ऐसा नाम फाइनल किया, जिसे सुनकर हर कोई चौंक गया. बीजेपी ने लंबी कवायद के बाद केरल के पार्टी के वरिष्ठ नेता और मोदी सरकार में मंत्री जॉर्ज कुरियन को मध्यप्रदेश से राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है. मध्यप्रदेश विधानसभा में बीजेपी की विधायकों की संख्या को देखते हुए उनका चुना जाना तय है.
मध्यप्रदेश से पहली बार ईसाई सांसद बनेगा
केरल में बीजेपी के लिए कई सालों से समर्पित भाव से काम कर रहे जॉर्ज कुरियन ईसाई हैं. इस प्रकार मध्य प्रदेश से पहली बार कोई ईसाई सांसद बनने जा रहा है. बता दें कि 4 माह पहले बीजेपी ने तमिलनाडु के एल मुरुगन को भी मध्यप्रदेश के कोटे से राज्यसभा भेजा था. अब 4 माह बाद मध्यप्रदेश से एक और दक्षिण भारतीय नेता जॉर्ज कुरियन राज्यसभा में जाएंगे. कुरियन का कार्यकाल 4 साल न होकर 2026 तक ही रहेगा. क्योंकि सिंधिया अगर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ते तो उनका दो साल का कार्यकाल बचा था.
बीजेपी अपनी छवि बदलने की कोशिश में
बीजेपी को विशुद्ध रूप से हिंदुओं की पार्टी माना जाता है. बीजेपी हर चुनाव में हिंदू और हिंदुत्व के मुद्दे पर काफी आक्रामक रहती है. लेकिन बीच-बीच में बीजेपी का थिंक टैंक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधारने के लिए इस प्रकार के फैसले लेती है, जिससे ये साबित किया जा सके कि बीजेपी हर धर्म को एक नजर से देखती है. बीजेपी अपने अल्पसंख्यक मोर्चा के जरिए इस बात को प्रचारित भी करती है. कुछ मुस्लम के अलावा सिख समुदाय को भी पार्टी व सरकार में प्रतिनिधित्व भी देती है. मुख्तार अब्बास नकवी, सैयद शाहनवाज़ हुसैन जैसे कुछ मुस्लिम नेताओं को बीजेपी ने काफी तवज्जो भी दी.
हार्डकोर हिंदुत्व को नरम करने की रणनीति
बीजेपी के विस्तार में हार्डकोर हिंदुत्व का मुद्दा बहुत अहम रहा है. आमतौर पर माना जाता है कि मुस्लिम समाज बीजेपी के विरोध में रहता है. लेकिन बीच-बीच में कुछ ऐसी घटनाएं और बीजेपी नेताओं के ऐसा बयान भी आते रहे, जिससे ईसाई समाज को ये लगने लगा कि बीजेपी उसके धर्म को टारगेट करती है. बीजेपी शासित राज्यों में कई मिशनरी स्कूलों पर की गई कार्रवाई इस आशंका को बलवती भी करती है. इसीलिए अब कुछ सालों से बीजेपी अपनी इमेज चेंज करने के प्रयास में रहती है. केरल में आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ हिंसा के मामलों को लेकर भी बीजेपी काफी आक्रामक रही है. केरल में इसी आक्रामकता के कारण ही बीजेपी घुसपैठ करने में कामयाब रही है.
क्या संदेश देना चाहती है बीजेपी
मध्यप्रदेश से खाली हुई राज्यसभा सीट पर केरल के बीजेपी नेता जॉर्ज कुरियन को देने के पीछे बीजेपी की सोची-समझी रणनीति है. पहला तो ये कि बीजेपी ईसाई समुदाय को ये भरोसा दिलाना चाहती है कि वह ईसाई विरोधी पार्टी नहीं है. इसके साथ ही केरल के बीजेपी नेताओं व कार्यकर्ताओं को भी ये संदेश देना चाहती है कि पार्टी के लिए समर्पित भाव से काम करने वालों को पर्याप्त सम्मान व बड़ा पद दिया जाएगा. जॉज कुरियन के एमपी से राज्यसभा सदस्य बनने को लेकर सियासत में गहरी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार केडी शर्मा कहते हैं "बीजेपी कोई भी फैसला अन्य दलों की तुलना में बहुत सोच-समझकर करती है. जॉर्ज कुरियन के बहाने बीजेपी ने केरल में अपनी जड़ें मजबूत करने की ओर एक और कदम बढ़ाया है. दरअसल, बीजेपी दक्षिण भारत में अपनी जड़े नहीं जमा पा रही है. इसीलिए तमिलनाडु के एल मुरुगन को भी मध्यप्रदेश के कोटे से राज्यसभा भेजा गया था. इसके साथ ही जॉर्ज कुरियन के नाम से बीजेपी ईसाई समाज को भी बड़ा संदेश देना चाहती है."