भरतपुर : शहर के शास्त्री पार्क में चल रहे तीन दिवसीय मेगा फ्लावर शो में रंग-बिरंगे फूलों और अनोखे पौधों का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है. इस भव्य आयोजन का सबसे बड़ा आकर्षण बना है दुर्लभ कैक्टस का संसार. इस फ्लावर शों में 500 से अधिक दुर्लभ प्रजातियों के कैक्टस मौजूद हैं, जिनमें कुछ तो 23 साल तक पुराने हैं और उनकी कीमत हजारों से लेकर लाखों तक पहुंच रही है. ये कैक्टस के पौधे लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं. इनमें से कई कैक्टस अफ्रीका और मैक्सिको जैसे दूर-दराज के देशों से आए हैं, जबकि कुछ भारत में ही उगाए गए हैं. यह फ्लावर शो सिर्फ एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि प्रकृति प्रेमियों के लिए एक अनोखा अनुभव बन गया है, जहां वे इन रेयर कैक्टस की खूबसूरती और देखभाल के रहस्यों से रूबरू हो रहे हैं.
500 से अधिक दुर्लभ कैक्टस बने लोगों का आकर्षण :फ्लावर शो में राजेश दीक्षित द्वारा प्रदर्शित किए गए 500 से अधिक प्रजातियों के कैक्टस लोगों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बने हुए हैं. इनमें कुछ कैक्टस ऐसे हैं जो 23 साल तक पुराने हैं और उनकी कीमत हजारों से लेकर लाखों तक है. राजेश दीक्षित ने बताया कि वे वर्षों से कैक्टस के पौधों का पालन-पोषण कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि कैक्टस का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये कम पानी में भी जीवित रह सकते हैं और इनका रखरखाव आसान होता है, लेकिन सही मिट्टी और पोषण का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. उनका कहना है कि उन्होंने अपने घर के गार्डन में सैकड़ों दुर्लभ कैक्टस संजोए हैं, जिनमें से कई को इस शो में प्रदर्शित किया गया है.
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कैक्टस की देखभाल और रखरखाव :राजेश दीक्षित ने बताया कि कैक्टस की देखभाल अन्य पौधों की तुलना में आसान होती है, लेकिन इसके लिए सही तकनीक अपनाना आवश्यक होता है. उन्होंने बताया कि सर्दियों में कैक्टस को डेढ़ माह में एक बार पानी देना पर्याप्त होता है, जबकि गर्मियों में इसे सप्ताह में एक बार पानी देना चाहिए. मिट्टी का सही मिश्रण तैयार करना भी कैक्टस के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके लिए विशेष प्रकार का खाद और मिट्टी का उपयोग किया जाता है, जिसमें निम्नलिखित सामग्री मिलाई जाती है.
- सिंडर– यह मिट्टी को हल्का और हवादार बनाए रखने में मदद करता है.
- लीफ कंपोस्ट– पौधों को पोषण देने के लिए यह आवश्यक होता है.
- बोन मील– जड़ों की मजबूती और अच्छे विकास के लिए यह उपयोगी होता है.
- बजरी और हल्की रोड़ी (किनकी)– यह मिश्रण जल निकासी को बेहतर बनाता है, जिससे जड़ों में सड़न की समस्या नहीं होती.