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अनुबंध कर्मियों की सीनियोरिटी से जुड़ा बिल, जानिए विरोध में क्या बोले थे बीजेपी के ये विधायक - HIMACHAL ASSEMBLY WINTER SESSION

हिमाचल सरकारी कर्मियों की भर्ती-सेवा शर्तें विधेयक पास हो गया है. विधायक रणधीर शर्मा-हंसराज ने इस विधेयक का विरोध किया था.

भाजपा के विरोध के बीच विधानसभा में पास हुआ विधेयक
भाजपा के विरोध के बीच विधानसभा में पास हुआ विधेयक (हिमाचल विधानसभा)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 22, 2024, 2:53 PM IST

Updated : Dec 23, 2024, 11:06 AM IST

शिमला: हिमाचल की सियासत को प्रभावित करने में कर्मचारी वर्ग का बड़ा रोल रहता है. हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा के विंटर सेशन सबसे अधिक चर्चा का विषय अनुबंध कर्मचारियों की सेवा और शर्तों से जुड़ा बिल रहा है. विपक्ष के विरोध के बाद भी ये बिल बहुमत से पारित हो गया है. सोशल मीडिया पर कर्मचारी वर्ग इस बिल को लेकर अलग अलग तरह की प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहा है. ये जानना दिलचस्प रहेगा कि बिल के पारित होने से पहले बीजेपी सदस्यों ने सदन में चर्चा के दौरान क्या क्या कहा था.

ईटीवी भारत हिमाचल पर अभी तक बीजेपी के दो सदस्यों त्रिलोक जम्वाल और जीत राम कटवाल की तरफ दिए गए संशोधनों और उनपर दोनों सदस्यों के तर्कों से जुड़ी खबर विधानसभा की कार्रवाई के आधार पर दी जा चुकी है. अब यहां जानिए बीजेपी विधायक रणधीर शर्मा और डॉक्टर हंसराज ने विरोध में क्या क्या तर्क रखे.

रणधीर शर्मा ने बिल पर सदन में चर्चा के दौरान कहा था कि, अनुंबध कर्मचारी भी पब्लिक सर्विस कमीशन-सर्विस सलेक्शन बोर्ड का इंटरव्यू पास करके आते हैं. सरकार की पॉलिसी के तहत दो साल बाद इन्हें नियमित किया जाता है. इन कर्मचारियों का यह पीरियड सीनियोरिटी और अन्य लाभों के लिए कंसिडर हो इसका लाभ कर्मचारियों ने कोर्ट में जाकर लिया है, लेकिन आज इस संशोधन को लाकर हम उनके बेनिफिट को छीन रहे हैं. ये बिल्कुल कर्मचारी विरोधी संशोधन है. इससे इस सरकार का कर्मचारी विरोधी चेहरा उजागर होता है.

रणधीर शर्मा ने कहा कि ये चाहे रेट्रोस्पेक्टिव हो या प्रोस्पेक्टिव, किसी भी स्तर पर संशोधन लाने की कोई आवश्यकता नहीं है. कोर्ट से निर्णय होने के बाद आप संशोधन ला रहे हैं, जो ठीक नहीं है. आप बहुमत में है इसलिए आप इस संशोधन को पास कर देंगे, लेकिन वो कर्मचारी फिर कोर्ट जाएंगे. सरकार जो पैसा बचाने की बात कर रही है उससे ज्यादा पैसा वकीलों को दिया जाएगा. इसलिए मेरा मुख्यमंत्री से आग्रह है कि आप प्रेस्टिज इश्यू न बनाकर इस अमेंडमेंट को प्रदेश-कर्मचारी हित में वापिस लें.

वहीं, बीजेपी विधायक डॉ. हंसराज ने एक उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि, यदि कोई व्यक्ति डायरेक्ट टीजीटी लगता है और उसे पांच साल का अनुबंध पीरियड दिया जाता है और उसके साथ कोई नियमित जेबीटी लग जाता है तो वो जेबीटी जब परमोट होगा तो वो टीजीटी उस जेबीटी के अधीनस्थ आ जाएगा. मैं मुख्यमंत्री को याद दिलाना चाहूंगा कि उप-मुख्य मंत्री ने कई बार अपने राजनीतिक भाषणों में कहा है कि हम अनुबंध कर्मचारियों को सारी सुविधाएं देंगे, लेकिन आप ये संशोधन लाकर दोहरे मापदंड अपना रहे हैं.

विधायक हंसराज ने आगे कहा था कि, हमने कॉलेज कैडर के कर्मचारियों को 40-50 लाख रुपये का लाभ एरियर के रूप में दे दिया है और दूसरी तरफ आप इस अमेंडमेंट को लाकर उन सब कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रहे हैं, जिन लोगों ने ओपीएस के माध्यम से आपकी सरकार लाने में मदद की थी, वही कर्मचारी जो लगभग 1.36 लाख हैं, इस संशोधन की तरफ देखेंगे कि ये विषय नहीं आना चाहिए था. मेरा सरकार से यही आग्रह है कि आपको इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. मैं मानता हूं कि हमारी वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि उस संदर्भ में इस बिल को नहीं लाना चाहिए.

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Last Updated : Dec 23, 2024, 11:06 AM IST

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