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सिर पर ईसर-गणगौर को उठाकर गणगौर घाट पर पहुंचीं महिलाएं, निकाली गई शाही सवारी - Gangaur 2024

Procession of Isar Gangaur, उदयपुर में भी गणगौर की धूम है. गुरुवार को रिमझिम बारिश के बीच ईसर-गणगौर की शाही सवारी निकाली गई. इसके साथ ही आज से मेवाड़ महोत्सव की भी शुरुआत हुई.

Mewar Festival 2024 Procession of Isar Gangaur Taken out in udaipur
Mewar Festival 2024 Procession of Isar Gangaur Taken out in udaipur

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 11, 2024, 8:48 PM IST

Updated : Apr 11, 2024, 9:45 PM IST

सिर पर ईसर-गणगौर को उठाकर गणगौर घाट पर पहुंचीं महिलाएं.

उदयपुर.राजस्थान के उदयपुर में शाही ठाठ-बाट के साथ गणगौर की सवारी निकली. उदयपुर के ऐतिहासिक गणगौर घाट पर गुरुवार को रिमझिम बारिश के बीच सजी-धजी महिलाएं शिव-पार्वती के स्वरूप गणगौर को सिर पर उठाकर गणगौर घाट पर पहुंची. पिछोला झील के किनारे उनकी पूजा अर्चना की गई. इसमें मेवाड़ का रंग, संस्कृति और परंपरा की झलक देखने को मिली. इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में देसी विदेशी सैलानी भी पहुंचे. इसके साथ ही तीन दिन तक चलने वाले इस मेवाड़ फेस्टिवल का भी आगाज हो गया.

पर्यटन उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि मेवाड़ महोत्सव के प्रथम दिन 11 अप्रैल को घंटाघर से गणगौर घाट पर शाम विभिन्न समाज की ओर से बंशी घाट से गणगौर घाट तक गणगौर की शाही सवारी निकाली गई. शाम 7 बजे से गणगौर घाट पर लोक कलाकारों की प्रस्तुति और आतिशबाजी का आयोजन किया गया. दूसरे दिन 12 अप्रैल को गणगौर घाट पर शाम 7 बजे से सांस्कृतिक संध्या और विदेशी युगल की राजस्थानी वेशभूषा प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि 11 से 13 अप्रैल तक गोगुंदा स्थित मेला ग्राउंड पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ विविध आयोजन होंगे.

पढ़ें. राजसी ठाठ और शान-ओ-शौकत से निकली ईसर-गणगौर की शाही सवारी

महोत्सव को भव्य व गौरवपूर्ण बनाएं :जिला कलक्टर अरविंद कुमार पोसवाल ने इस आयोजन में विभिन्न विभागों को अलग-अलग दायित्व सौंपते हुए सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ आयोजन को भव्य बनाने के निर्देश दिए. उन्होंने विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों और शहरवासियों को पूर्ण सहयोग प्रदान करते हुए आयोजन को सफल बनाने की बात कही है. मेवाड़ महोत्सव के दौरान आने वाले पर्यटकों को पूरा सम्मान देने, पर्यटकों के लिए बेहतर व्यवस्थाएं करने एवं सभी आयोजनों को भव्य व गौरवपूर्ण मनाने के निर्देश भी कलक्टर ने दिए.

बाड़मेर में ढोल नगाड़ों के साथ गणगौर को दी विदाई

बाड़मेर में ढोल नगाड़ों के साथ गणगौर को दी विदाई :होली के बाद शुरू हुए गणगौर पर्व, गणगौर की विदाई के साथ संपन्न हुआ. गुरुवार को बाड़मेर में गणगौर को ढोल नगाड़ा के साथ नाचते गाते हुए विदाई दी गई. अलग-अलग महिलाओं की टोलियों ने विधिवत रूप से पूजा अर्चना के बाद प्रतिमाओं को पहाड़ियों पर रखकर विदाई दी.

स्थानीय महिला रतनी बोथरा ने बताया कि होली के दूसरे दिन से 16 दिन तक गणगौर माता की पूजा करने की परम्परा है. 16 दिनों में रोज पूजा-अर्चना की जाती है. खासतौर से सुहागनें अपना सुहाग अमर करने के लिए और युवतियां अच्छा वर पाने की लालसा में माता की पूजा करती हैं. भगवान शिव-पार्वती के प्रतीक के रूप में ईसर-गणगौर की पूजा की जाती है. जिस प्रकार से शादी में कार्यक्रम होते हैं, उसी तरह से 16 दिन तक गणगौर के पर्व को मनाया जाता है.

Last Updated : Apr 11, 2024, 9:45 PM IST

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