कुरुक्षेत्र:नवरात्रि के शुभ पर्व के साथ इस साल फेस्टिवल की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि के बाद दशहरा और अब महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य का वरदान लेकर करवा चौथ भी नजदीक आ गया है. हिंदू पंचाग के अनुसार अश्विन महीना चल रहा है और सनातन धर्म के लोगों के लिए कई प्रमुख व्रत व त्यौहार इस महीने आते हैं. सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए सबसे बड़ा व्रत करवा चौथ कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को मनाया जाता है. इस बार करवाचौथ 20 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा.
20 अक्टूबर को करवा चौथ: अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का प्रारंभ 20 अक्टूबर को सुबह 6.40 से होगा, जबकि इसका समापन 21 अक्टूबर को सुबह 4.16 पर होगा. इसलिए करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर के दिन ही रखा जाएगा. यह व्रत विवाहित महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं. जिनको निर्जला व्रत के तौर पर रखा जाता है. रात के समय चंद्रमा के उदय होने के बाद चंद्र देवता के दर्शन करने के उपरांत ही व्रत का पारण किया जाता है. इस व्रत को करवा चौथ के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस व्रत के दिन विशेष तौर पर माता करवा की पूजा-अर्चना की जाती है. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर विवाहिताएं अपना व्रत पारण करती हैं.
विदेश में भी मनाया जाता है करवा चौथ: पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि सनातन धर्म ही नहीं दूसरे धर्म भी इस व्रत को मानते हैं. इस दिन विशेष तौर पर महिलाएं सोलह सिंगार करती हैं और उसके साथ-साथ हाथों में मेहंदी लगाती हैं. भारत ही नहीं विदेश में भी करवा चौथ के व्रत को विवाहित महिलाओं द्वारा रखा जाता है और इस व्रत की तैयारी वह काफी दिन पहले ही शुरू कर देती है. जिसमें वह अपने लिए अच्छे-अच्छे वस्त्र आभूषण सिंगार का समान इत्यादि लेती हैं. महिला की जब शादी होती है, वह ओढ़नी में अपने पति के साथ फेरे लेती हैं. पूजा के दौरान वह उस ओढ़नी को ही अपने सर पर ओढ़ती है. या फिर विवाहित महिलाएं इस दिन लाल रंग की चुन्नी या वस्त्र पहनती हैं.
श्रृंगार के बाद होगी पूजा: पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि जो महिलाएं व्रत रख रही हैं, वह सोलह सिंगार कनरे के बाद ही माता करवा की पूजा-अर्चना करें. जिसे माता करवा उनको अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं. इसके बाद व्रत कथा करें. करवा चौथ के व्रत के दिन चंद्र दर्शन करने के बाद आरती उतारें और पूजा करें. चांद को अर्घ्य दें और फिर अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण करें.
भूलकर भी न करे ये गलतियां: करवा चौथ के दिन व्रत करने के दौरान महिलाएं कई प्रकार की गलती कर देती हैं. ऐसे में ऐसी कोई भी गलती ना करें जिसे उनका व्रत खंडित हो जाए. व्रत के दिन महिलाएं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और उसे मुहूर्त में ही सरगी खाएं. जब महिलाएं पूजा के लिए सोलह सिंगार करती हैं, उसमें अगर कोई भी सोलह सिंगार की वस्तु बच जाती है. तो उसको इधर-उधर ना फेंक कर पवित्र नदी में प्रवाहित करें.
इस दिन जरुर बरतें सावधानी: करवा चौथ के दिन अपने पति के साथ बिल्कुल भी झगड़ा या बहस ना करें और किसी अन्य व्यक्ति को भी अप शब्द ना कहें. किसी नुकीली चीज का भी इस्तेमाल करने से बचाव करें. करवा चौथ के व्रत के पारण के बाद सादा भोजन ग्रहण करें. तामसिक भोजन न करें. करवा चौथ के दिन महिलाओं को अपने वस्त्र पहनते हुए भी विशेष सावधानी रखनी चाहिए. वह सफेद और काले रंग के वस्त्र भूल कर भी ना डालें. यह अच्छा नहीं माना जाता.
ऐसे करें थाली की सजावट: करवा चौथ के व्रत के दिन महिलाएं विशेष तौर पर अपनी थाली की सजावट करते हैं और उसको तैयार करती हैं. उसमें कुछ ऐसी वस्तुएं होती हैं, जिसको वह व्रत के दौरान इस्तेमाल करती हैं. सबसे पहले अपनी करवा चौथ की थाली का चयन करके उसमें मिट्टी या फिर आटे से बना हुआ दीपक रखें और दीपक में रूई की बाती रखें. उसमें जो आपने करवा लिया है, उसको रखे वह मिट्टी या किसी अन्य धातु का भी हो सकता है. करवा के साथ-साथ उसमें पानी का एक कलश भी रखें. जो भगवान चंद्रमा देव को अर्घ्य देने के लिए होता है. अपनी थाली में एक छलनी भी रखें. जिससे चंद्र देवता के दर्शन करते हैं और उसके बाद पति देव के दर्शन किए जाते हैं.