देहरादून: 22 जुलाई से उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा शुरू होने जा रही है. कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों की तादाद में कांवड़िए गंगाजाल लेने के लिए हरिद्वार पहुंचते हैं. जहां से वे गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्यों के लिए रवाना होते हैं. कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार जिले के साथ ही ऋषिकेश क्षेत्र भी प्रभावित होता है. ऐसे में शांतिपूर्ण ढंग से कांवड़ यात्रा संपन्न हो इसके लिए अभी तक चार दौर की बैठकें की जा चुकी हैं. मुख्य रूप से इन बैठकों में डीजे साउंड सीमित रखने, बिना साइलेंसर वाली बाइक्स के बैन, कांवड़यों को अपने साथ लाठी, डंडे, बैट और त्रिशूल लाने की मनाही का फैसला लिया गया है.
इस बार पुलिस विभाग ने कांवड़ यात्रा को लेकर तैयारियां पूरी कर ली हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी लगातार कांवड़ यात्रा को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं. हर साल कावड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार में करीब तीन से चार करोड़ श्रद्धालु पहुंचते हैं. इतनी बड़ी तादाद में कांवड़ियों के पहुंचने से हरिद्वार और ऋषिकेश क्षेत्र की तमाम व्यवस्थाएं चरमरा जाती हैं. खासकर ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो जाती है. ऐसे में उत्तराखंड पुलिस उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ समन्वय बनाकर तात्कालिक स्थिति को देखते हुए रूट डायवर्ट करेगी. जिससे आम जनता को दिक्कतों का सामना न करना पड़े.
केंद्र से मांगी गई पैरामिलिक्ट्री फोर्स: गढ़वाल आईजी केएस नग्याल ने बताया कांवड़ यात्रा को लेकर जून महीने में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के स्तर पर मीटिंग हो चुकी है. जिसके तहत कांवड़ यात्रा की व्यवस्थाओं के लिए पैरामिलिक्ट्री फोर्स की जरूरत को केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया गया है. इसी के साथ एक जुलाई में कांवड़ यात्रा की व्यवस्थाओं को लेकर समन्वय मीटिंग, अन्य राज्यों के पुलिस अधिकारियों के साथ की गई. जिसमें सभी राज्यों के अधिकारियों ने सहयोग करने की बात कही.
लाठी डंडा, त्रिशूल पर लगा बैन:अन्य राज्यों के पुलिस अधिकारियोंं के साथ हुई बैठक में कई बड़े निर्णय लिये गये. इसमें डीजे साउंड नियंत्रित रखने का निर्णय लिया गया है. हरियाणा और उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक कांवड़िये आते हैं. इन राज्यों के पुलिस अधिकारियों ने कहा इस बार कांवड़ियों को लाठी डंडा, त्रिशूल समेत अन्य चीजों को न ले जाने के लिए निर्देश दिए जा चुके हैं. बिना साइलेंसर वाली बाइक्स का चालान उत्तराखंड राज्य की सीमा में किया जाएगा. इसी के साथ ही 6 जुलाई को मेरठ में भी कांवड़ यात्रा की तैयारियों को लेकर बैठक की गई. जिसमें इन्ही सब बिंदुओं पर चर्चा की गई