चमोली: जोशीमठ में दरार और भू धंसाव के बाद खतरा बरकरार है. जोशीमठ को लेकर तमाम तरह के अध्ययन हो रहे हैं. वैज्ञानिकों ने जोशीमठ को हाई रिस्क जोन, मिडिल रिस्क जोन और लो रिस्क जोन में बांटा है. जिसके बाद लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं. वहीं, सरकारी अमला अपने विभागों को शिफ्ट करने में जुट गया है. इसके अलावा लोगों से भी शिफ्ट करने की अपील की जा रही है, लेकिन जोशीमठ के आपदा प्रभावित अपने पैतृक घर नहीं छोड़ना चाहते हैं.
सीबीआरआई रुड़की ने 1200 घरों को हाई रिस्क जोन में रखा:दरअसल, हाल ही में जोशीमठ में भू धंसाव को लेकर सीबीआरआई (सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) रुड़की के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन रिपोर्ट शासन को सौंपी है. रिपोर्ट के मुताबिक, 1200 घरों को हाई रिस्क जोन में रखा गया है. यानी जोशीमठ में 14 जगहों पर 1200 घर ऐसे हैं, जो रहने के लिहाज से बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं. लिहाजा, इस रिपोर्ट के बाद सरकारी विभागों और स्कूलों को भी शिफ्ट करने की बात हो रही है.
28 भवनों की काटी जा चुकी विद्युत एवं पेयजल आपूर्ति:जोशीमठ नगर क्षेत्र में पिछले साल रेड जोन घोषित प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया था. साथ ही उन्हें मुआवजा राशि का भुगतान भी कर दिया गया, लेकिन ये लोग अपने पैतृक घर छोड़ना ही नहीं चाहते हैं. ऐसे में अब उनके विद्युत और पानी के कनेक्शन काटे जा रहे हैं. मनोहर बाग क्षेत्र में ऊर्जा निगम और पेयजल निगम ने 28 भवनों की विद्युत एवं पेयजल आपूर्ति बंद कर दी है. ताकि, लोग इन भवनों को छोड़ें.