वाराणसी:बुजुर्ग घर की नींव होते हैं, लेकिन वर्तमान समय में आधुनिकता के दौर में लोग अपने घर के बुजुर्ग को भूलते जा रहे हैं,और उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं. जो मां-बाप उन्हें बचपन से पाल पोष कर उन्हें समाज में चलने योग्य बनाते हैं.बुढ़ापे में वही संतान मां-बाप को या तो वृद्ध आश्रम में छोड़ आती है, या फिर घर के किसी कोने में असहाय छोड़ देती है.दुःख की बात ये है कि, बुजुर्ग भी अपनी किस्मत मानकर उनकी इस ताड़ना को सहते हैं. आज अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस है.जहां बुजुर्गों के हित की बात होती है. ऐसे में हम आपको बुजुर्गों के उन कानूनी अधिकार के बारे में बताएंगे जो उन्हें पावरफुल बनाता है और वो खुद की सुरक्षा करने के लिए बच्चों को और विवश कर सकते है.
जी हां! हर वर्ष 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य बुजुर्गों के प्रति लोगों को जागरूक करना है. इस बार अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस की थीम, सम्मान के साथ वृद्धावस्था: "दुनिया भर में वृद्धि जनों के लिए देखभाल और सहायता प्रणालियों को मजबूत करने का महत्व" रखा गया है. इसके इतिहास की बात करें तो 14 दिसंबर 1990 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आज से इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी. जिसके बाद इसकी शुरुआत हुई. हर वर्ष आज के दिन बुजुर्गों के स्वास्थ्य, उनके अधिकार और उनकी सुरक्षा पर चर्चा की जाती है. साथ ही लोगों को जागरूक किया जाता है.
ये कानूनी अधिकारी जो बुजुर्गों को बनाते है पॉवरफुल:बुजुर्गों के कौन-कौन से कानूनी अधिकार है,जिससे वो सुरक्षित रह सकते है, उसको लेकर के ईटीवी भारत की टीम ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता सौरभ तिवारी से खास बातचीत की. सौरभ ने बताया, कि कुछ कानूनी अधिकार बनाए गए हैं जिनमें से सबसे मजबूत अधिकार सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 है जो उन्हें बुजुर्गो को बेहद पावरफुल बनता है. उन्होंने बताया कि इस एक्ट में जिनकी उम्र 60 साल या उससे अधिक है वह आते हैं. आवश्यकता पड़ने पर वह इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
बुजुर्गों के कानूनी अधिकारों की हाईकोर्ट अधिवक्ता ने दी जानकारी (photo credit- Etv Bharat)
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क्या है सिनियर सिटीजन एक्ट: अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया, कि बुजुर्गों के साथ हो रहे हैं अत्याचार को रोकने के लिए, उनके भरण पोषण के लिए 2007 में सीनियर सिटीजन एक्ट वरिष्ठ नागरिक अधिनियम को लागू किया गया था. वो कहते हैं कि, सामान्य तौर पर बुजुर्ग अपनी संपत्ति प्रॉपर्टी, अपना धन अपनी आने वाली पीढ़ी के नाम कर देते हैं. यह उम्मीद करते हैं, कि बच्चे उनकी देखभाल करेंगे, उनकी बुनियादी सुविधाओं का ख्याल रखेंगे. लेकिन, वर्तमान में अधिकतर बच्चे ऐसे हैं, जो बुजुर्गों का ख्याल नहीं रखते और उन्हें वृद्ध आश्रम की राह दिखा देते हैं. लेकिन, यदि किसी बुजुर्ग के साथ ऐसा होता है तो वह सीनियर सिटीजन एक्ट का इस्तेमाल कर अपनी सुरक्षा कर सकते हैं. जिसके तहत बुजुर्गों को बच्चों के जरिए आर्थिक रूप से मजबूती, मेडिकल सिक्योरिटी, जरूरी खर्च और प्रोटेक्शन देने का प्रावधान किया गया है.
सौतेले गोद लेने वाले बच्चों पर भी किया जा सकता है दावा: सौरभ तिवारी ने बताया, कि इसका प्रयोग जन्म देने वाले माता-पिता, गोद लेने वाले माता-पिता और सौतेले माता-पिता भी कर सकते हैं. वह अपने संपत्ति और आय के जरिए अपना खर्च वहन नहीं कर पा रहे हैं तो इस अधिनियम के जरिए वह अपने बच्चों पर मेंटेनेंस का दावा कर सकते हैं. यह दावा वह अपने एक से अधिक बच्चों पर कर सकते हैं, जिनमें बेटा बेटी के साथ पोता पोती भी शामिल है. उन्होंने बताया कि यदि बुजुर्ग मेंटेनेंस का दावा करते हैं, तो बच्चों के जरिए उनके भरण पोषण, मेडिकल सुरक्षा और सुरक्षा की जिम्मेदारी रहेगी.
रिश्तेदारों पर भी हो सकता है दावा: इस एक्ट के सेक्शन 23 में विशेष संपत्ति ट्रांसफर को शून्य करने का भी अधिकार है.जिसमें यदि कोई रिश्तेदार सीनियर सिटीजन से यह वादा करता है, कि वह उनका ख्याल रखेगा और उनकी प्रॉपर्टी को अपने नाम कर लेता है. बाद में वो ख्याल नहीं रखता, बल्कि उन्हें घर से निकाल देता है तो वह ट्रिब्यूनल में जाकर उसके खिलाफ केस कर सकते हैं. जिसके बाद ट्रिब्यूनल ट्रांसफर प्रॉपर्टी को शून्य कर देगा. इसके साथ ही इसमें वह बुजुर्ग भी शामिल है, जिनके कोई बच्चे नहीं है. लेकिन, उनके प्रॉपर्टी का प्रयोग उनके रिश्तेदार कर रहे हैं. तो उन पर भी उनके वारिस होने उनके जायजात की देखभाल करने का अधिकार बताते हुए मेंटेनेंस का दावा किया जा सकता है.
यहां कर सकते है आवेदन:सौरभ तिवारी बताते हैं कि, सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत शिकायत के लिए हर राज्य में स्पेशल ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है. जिसकी अध्यक्षता सबडिवीजन अधिकारी यानी कि एसडीओ रैंक का अफ़सर करता है. ऐसे मामले में एसडीओ को लिखित आवेदन देकर शिकायत की जा सकती है. इसके लिए एसडीओ ऑफिस में जाना होगा नाम एड्रेस जरूरी जानकारी के साथ आवेदन करने होंगे.उसके बाद कोर्ट के द्वारा बच्चों को बुलाकर के सुनवाई की जाएगी और बुजुर्ग के अधिकार व स्वास्थ्य की देखभाल की जाएगी. इसके साथ ही वरिष्ठ नागरिक जिलाधिकारी के पास जाकर के भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
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