इंदौर।देश में लगातार 7 सालों से स्वच्छता में नंबर वन रहने वाले इंदौर का नगर निगम घोटाले में भी पहले नंबर पर है. स्थिति यह है कि नगर निगम के लेखा शाखा हो, जल कार्य ड्रेनेज हो या अवशिष्ट प्रबंधन, हर विभाग में यहां करोड़ के घोटाले उजागर हो रहे हैं. स्थिति यह है कि अब दोषियों पर कार्रवाई के लिए निगम परिषद और महापौर पुष्यमित्र भार्गव को राज्य सरकार और मुख्यमंत्री के समक्ष फरियाद करनी पड़ रही है.
आए दिन हो रहे घोटाले उजागर
दरअसल, प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम में करोड़ों का बजट होने और वर्षों से जमीन अधिकारियों पर किसी का भी प्रभावी नियंत्रण नहीं होने का परिणाम है कि राज्य शासन और आम जनता से वसूल की जाने वाली करोड़ों की राशि अधिकारियों के भ्रष्टाचार के ठेके और निगम की गठित फिजूल खर्ची की भेंट चढ़ रही है. बावजूद इसके इंदौर नगर निगम हर साल न केवल संपत्तिकर बल्कि अन्य करों में भी इजाफा करके जनता से टैक्स की वसूली में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. इसके विपरीत अधिकारी और नगर निगम से जुड़े ठेकेदारों का घपले होटल में गठजोड़ होने के कारण नगर निगम में अब आए दिन करोड़ के घोटाले सामने आ रहे हैं.
ठेका फार्म से राजस्व वसूली का आरोप
ताजा मामला स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सूखे कचरे के प्लांट संचालित करने वाली ठेका फार्म से राजस्व वसूली का है, जिससे वसूली करने की बजाय उल्टे नगर निगम ने 3 साल की बजाय 7 साल का ठेका दे दिया. इतना ही नहीं नगर निगम को जो राजस्व लेना था वह भी नहीं चुकाई गई. हाल ही में यह मामला जब महापौर पुष्यमित्र भार्गव के संज्ञान में आया तो उन्होंने पूरे मामले की जांच की मांग करते हुए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र लिखकर इस घोटाले से अवगत कराया है.
महापौर ने सीएम से की फरियाद