शिमला/ठियोग:भारत आज स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. देश के बच्चे-बच्चे को ये मालूम होगा कि 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ था. आजादी के बाद प्रथम लोकसभा चुनाव होने के उपरांत चाचा नेहरू यानी पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के पहले पीएम बने थे, लेकिन बहुत ही कम लोगों को ये मालूम होगा कि आजादी के एक और परवाने सूरतराम प्रकाश देश की पहली जनतांत्रिक सरकार के प्रधानमंत्री बने थे.
जी हां, शिमला की समीपवर्ती ठियोग रियासत का शासन मानने से इनकार करने वाले स्वतंत्र चेतना के मालिक सूरतराम प्रकाश ने पांच हजार आम जन के अभिवादन के साथ ठियोग के पोटेटो ग्राउंड ( अब नेहरू ग्राउंड) में देश की पहली जनतांत्रिक सरकार बनाई थी. उनके साथ आठ सदस्यीय मंत्रिमंडल ने भी सरकार में शामिल होकर शपथ ली थी. यह 16 अगस्त, 1947 की बात है. उस समय देश की रियासतों का भारत संघ में विलय नहीं हुआ था. ठियोग रियासत भी उनमें से एक थी, लेकिन यहां सूरतराम प्रकाश व अन्यों ने रियासत का शासन मानने से इनकार किया था.
1942 में शुरू हुआ ठियोग का प्रजामंडल
आजादी से पहले भारत छोटी-बड़ी रियासतों में बंटा था. अधिकांश रियासतों के शासक अत्याचारी थे. हिमाचल में भी छोटी-बड़ी कई रियासतें थीं, उन्ही में से एक रियासत थी ठियोग. हिमाचल के लोग रियासतों के शासक, जिन्हें राणा कहा जाता था, के अत्याचारों से तंग थे. राणा शासक जनता से बेगार करवाते थे और उन्हें शारीरिक यातना दिया करते थे. ठियोग के शासक राणा कर्मचंद ठाकुर थे. सैंज उनकी राजधानी थी. पूरे हिमाचल में रियासती राजाओं के खिलाफ प्रजामंडल आंदोलन शुरू हुआ था. ये आंदोलन 1942 में ही शुरू हो गया था. अंग्रेजों के साथ-साथ आम जनता अंग्रेजों के पिट्ठू रियासती शासकों से भी लोहा ले रही थी.
सूरतराम प्रकाश और उनके साथियों ने रियासत से हासिल की थी आजादी