करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत और त्योहार का बहुत ज्यादा महत्व होता है. बड़ी श्रद्धा के साथ प्रत्येक व्रत त्योहार सनातन धर्म में बनाए जाते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन का महीना चल रहा है और सावन महीने का समापन सावन पूर्णिमा के साथ होगा. सावन पूर्णिमा को सनातन धर्म में सबसे ज्यादा फलदायी पूर्णिमा माना जाता है. क्योंकि यह भगवान भोलेनाथ का प्रिय माह होता है. इस महीने में पूर्णिमा के दिन दान, स्नान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. कई जन्मों के पाप से मुक्ति मिलती है. शास्त्रों में बताया गया है कि सावन महीने की पूर्णिमा के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और अनुष्ठान कर्म भी किए जाते हैं. तो आईए जानते हैं कि सावन महीने की पूर्णिमा कब है और दान व स्नान करने का शुभ मुहूर्त का समय क्या है.
कब है सावन महीने की पूर्णिमा:पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि सावन महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा की शुरुआत 19 अगस्त को सुबह 3:04 से हो रही है. जबकि इसका समापन रात के 11:55 पर होगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को उदय तिथि और चंद्रोदय के अनुसार मनाया जाता है. इसलिए सावन पूर्णिमा को 19 अगस्त के दिन मनाया जाएगा और इसका व्रत रखा जाएगा.
दान व स्नान का शुभ मुहूर्त का समय:पंडित ने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने उपरांत दान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. कुछ लोग इस दिन पूर्णिमा का व्रत भी रखते हैं. पूर्णिमा के दिन स्नान करने का शुभ ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:25 से शुरू होकर 5:09 तक रहेगा. जबकि दूसरा शुभ मुहूर्त 5:53 से शुरू होकर 8:10 तक रहेगा. तीसरा ब्रह्म मुहूर्त दोपहर 12:04 से शुरू होकर 12:55 तक रहेगा. जो भी लोग पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहते हैं, उनके लिए यह समय सबसे शुभ है. वहीं, पूर्णिमा के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 5:53 से 8:10 तक हैं.
पूर्णिमा के दिन बन रहे शुभ योग:पंडित ने बताया कि इस बार पूर्णिमा का बहुत ही ज्यादा महत्व है. क्योंकि इस बार सावन महीने की पूर्णिमा के दिन तीन शुभ योग भी बनते हुए दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि पूर्णिमा के दिन शोभन योग पूरा दिन बना रहेगा. इसके साथ-साथ सर्वार्थ सिद्धि योग ओर रवि योग सुबह 5:53 से 8:10 तक रहेगा. इस दिन श्रवण नक्षत्र सुबह 8:00 बजे समाप्त होने के बाद घनिष्ठा नक्षत्र शुरू हो जाएगा.
सावन पूर्णिमा का महत्व:उन्होंने बताया कि सावन महीने की पूर्णिमा का सबसे ज्यादा महत्व शास्त्रों में बताया गया है. क्योंकि यह भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना होता है. इस दिन दान स्नान करने के साथ-साथ व्रत रखने का भी महत्व होता है. सावन पूर्णिमा के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि धन की देवी लक्ष्मी माता का गायत्री स्वरूप में जन्म सावन पूर्णिमा के दिन ही हुआ था. जिसके चलते सावन महीने की पूर्णिमा का और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है.