घुड़दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन जैसलमेर. चार दिवसीय मरु महोत्सव 2024 के चौथे दिन घुड़दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जैसलमेर जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित लाणेला गांव के रण क्षेत्र में इस प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. आयोजक संजयसिंह भाटी ने बताया कि गेलफ घुड़ दौड में अमराराम लोहार प्रथम, दीन गिरी दूसरे और अंकित का घोड़ा तीसरे स्थान पर रहा. वहीं, मादरी घुड़दौड़ में गोलू पहले, सादल खान दूसरे और भवानी सिंह का घोड़ा तीसरे स्थान पर रहा.
इसी क्रम में छोटी रेवाल घुड़दौड़ में खुमान सिंह शिव पहले, सुजान सिंह दूसरे और असरफ खान गांगड़ का घोड़ा तीसरे स्थान पर रहा. सबसे तेज चाल वाली बड़ी रेवाल घुड़दौड़ में गोस खान पहले, रूप सिंह खारा दूसरे और वसीम का घोड़ा तीसरे स्थान पर रहा. वहीं, उदंत रेस में वली मौहम्मद पहले, शेरू फकीर दूसरे और स्वरूप सिंह का घोड़ा तीसरे स्थान पर रहा. साथ ही श्रृंगार टैटू शो में रूप सिंह खारा पहले, रमेशनाथ दूसरे और प्रदीप व्यास स्वरूप तीसरे स्थान पर रहे. उन्हें अतिथियों की ओर से सम्मानित किया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे.
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लोक कलाकारों ने दी विभिन्न प्रस्तुतियां :इससे पहले प्रातःकालीन सत्र में प्राचीन ऐतिहासिक कुलधरा गांव और खाभा में आयोजित कार्यक्रमों का देसी-विदेशी सैलानियों ने आनंद लिया. साथ ही आयोजित लोक संगीत कार्यक्रमों का भी लुत्फ उठाया. प्राचीन खाभा फोर्ट पर जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग के तत्वावधान में मयूर के दृश्यावलोकन और संगीत कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. यहां पर पहुंचे देसी-विदेशी पर्यटकों ने नाचते हुए मयूरों को देखा और अपने कैमरों में कैद किया. वहीं, यहां लोक कलाकारों की ओर से प्रस्तुत किए जा रहे कार्यक्रमों को भी तन्मयता के साथ सुना.
लोक कलाकारों ने दी विभिन्न प्रस्तुतियां सैलानियों ने पहाड़ों के बीच उगते हुए सूर्य के दृश्य को निहारा और प्राचीन कला संस्कृति को भी बारीकी से देखा. वहां स्थापित जियोलॉजिकल संग्रहालय का भी अवलोकन किया. कुलधरा गांव में जैसलमेर विकास समिति के सचिव चन्द्रप्रकाश व्यास के निर्देशन में प्राचीन घरों पर रंगोली की गई. साथ ही मरु महोत्सव 2024 का लोगो प्रदर्शित किया गया. इसके साथ ही वहां पर मकानों पर बेहतरीन एवं आकर्षक मांडणा बनाए गए. इस अवसर पर लोक कलाकार तगाराम भील अनवर खान आदि ने लोक संस्कृति के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी. इस दौरान लोक वाद्य यंत्रों अलगोजा, मोरचंग, खड़ताल, रावण हत्था, कमायचा, मटका आदि का वादन भी किया गया.