देहरादून: उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों का अपना-अपना अलग-अलग इतिहास है. हर कोई सीट कुछ ना कुछ कहानी बयां करती है. उत्तराखंड की अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट भी खास है. अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट में धारचूला, डीडीहाट, पिथौरागढ़, गंगोलीहाट, कापकोट, बागेश्वर, द्वाराहाट, सल्ट, रानीखेत, सोमेश्वर अल्मोड़ा, जागेश्वर, लोहाघाट जैसी विधानसभाएं आती हैं. अभी अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है. यहां के अजट टम्टा अभी सांसद हैं. आज भले ही अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा हो, मगर कभी इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था.
अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट का सियासी इतिहास:अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव 1957 में हुआ. उसके बाद जितने भी चुनाव 1971 तक यहां हुए उनमें कांग्रेस के उम्मीदवार हमेशा जीते. यहां से पहली बार सांसद महान स्वतंत्रता सेनानी बद्री दत्त पांडे चुनाव जीते. उन्होंने शोभन सिंह जीना को हराकर इस सीट पर कब्जा किया था. इस पूरे इलाके की खास बात यह भी है कि इस लोकसभा सीट पर सबसे कम प्रतिशत में मतदान होता है. शुरुआती चुनाव में तो मात्र 30% ही लोगों ने ही वोट डाले. धीरे-धीरे आंकड़ा बढ़कर अब लगभग 52 से 55% तक पहुंच गया है. इस सीट पर 1962 में कांग्रेस ने जंग बहादुर सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा. उन्होंने जनसंघ के उम्मीदवार प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में पटकनी दी. इसके बाद हुए 1967 के चुनाव में भी जंग बहादुर दोबारा चुनाव जीतकर सांसद बने. इसके बाद हुए चुनाव में भी कांग्रेस उम्मीदवारों के आगे कोई नहीं टिक पाया. 1971 में कांग्रेस के टिकट से लड़े नरेंद्र सिंह बिष्ट ने एक बार फिर से शोभन सिंह जीना को चुनावी मैदान में हराकर संसद की कुर्सी पर कब्जा किया.
1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार डॉ मुरली मनोहर जोशी ने कांग्रेस के दिग्गज नरेंद्र सिंह बिष्ट को हराया. मुरली मनोहर जोशी अल्मोड़ा सीट पर चुनाव जीतने के बाद एकाएक चर्चाओं में आये. मुरली मनोहर जोशी और जनता पार्टी का विश्वास जनता पर ज्यादा समय तक नहीं रहा. इसके बाद हुए चुनाव में 1980 से लेकर 1984 और 1989 में हरीश रावत यहां से सांसद चुने गए. हरीश रावत ने न केवल डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी को इस सीट से हराया, बल्कि उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता काशी सिंह ऐरी को भी चुनावी मैदान में पटकनी दी. 1991 में हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के जीवन शर्मा ने हरीश रावत को हराकर भारतीय जनता पार्टी का खाता खोला. इसके बाद बीजेपी ने यहां पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1996 से लेकर 1998 और 1999 में हुए चुनाव में बच्ची सिंह रावत ने लगातार हरीश रावत को हराया. साल 2004 में भी बच्ची सिंह रावत ने कांग्रेस की उम्मीदवार रेणुका रावत को हराया. कांग्रेस लगातार अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर चार बार चुनाव हारी.
2009 में आरक्षित हुईअल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट:इसके बाद साल 2009 में हुए चुनाव में अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया. साल 2009 में कांग्रेस के उम्मीदवार प्रदीप टम्टा ने भाजपा के उम्मीदवार अजय टम्टा को हराकर अल्मोड़ा सीट पर कब्जा किया. इसके बाद साल 2014 और साल 2019 में लगातार बीजेपी के अजय टम्टा इस लोकसभा सीट से चुनाव जीते.
अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीटमें तीन जिले शामिल:मौजूदा समय में अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. अल्मोड़ा सीट के तहत 4 जिले आते हैं. जिसमें बागेश्वर, चंपावत, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा शामिल हैं. इस लोकसभा सीट में विधानसभा की 14 सीटें आती हैं, जिसमें अल्मोड़ा, द्वाराहाट, जागेश्वर, रानीखेत, सोमेश्वर और सल्ट सीट हैं. पिथौरागढ़ जिले की बात की जाए तो पिथौरागढ़, धारचूला और डीडीहाट के साथ-साथ गंगोलीहाट विधानसभा सीट भी इसी लोकसभा सीट के तहत आती है. चंपावत जिले की लोहाघाट और चंपावत सीट इस लोकसभा क्षेत्र के तहत आती हैं. बागेश्वर की कपकोट और बागेश्वर सीट भी इसी लोकसभा सीट के तहत आती हैं.
अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीटपर आबादी की आंकड़ा:साल 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी लगभग 1,625,491 (16 लाख 25 हजार 491) है. अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट में 90% आबादी आज भी गांवों में रहती है. 10% आबादी शहर में निवास करती है. अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट में अनुसूचित जातियों की संख्या 24.04 फीसदी है.
2014 में मतदाताओं की करें तो यहां कुल 12 लाख 54 हजार 328 मतदाता थे. जिनमें 6 लाख 56 हजार 525 मतदाताओं ने वोट डाला था. जिनमें 3 लाख 12 हजार 965 पुरुष मतदाता थे जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 3 लाख 43 हजार 560 थी.
2014 में मतदाता
- मतदाता- 6 लाख 56 हजार 525
- पुरुष- 3 लाख 12 हजार 965
- महिला- 3 लाख 43 हजार 560
साल 2014 में इस सीट पर 52 फीसदी वोटिंग हुई थी.
बात अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की करें को इस बार यहां कुल संख्या 13 लाख 21 हजार 658 रही. जिनमें पुरुषों की संख्या 6 लाख 57 हजार 992 है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 6 लाख 35 हजार 705 रही.