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बिल आधारित कर्मियों को भी डेली वेजर्स की तरह नियमित करने के आदेश, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला - Himachal High Court

Himachal Pradesh High Court ordered to regularize bill based workers: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बिल आधारित कर्मियों के पक्ष में बड़ा फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने प्रार्थी की याचिका पर सुनवाई करते हुए बिल आधारित कर्मियों को भी डेली वेजर्स की तरह नियमित करने के आदेश दिए हैं. पढ़िए पूरी खबर...

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 6, 2024, 7:39 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बिल आधारित अस्थाई कर्मियों को भी दैनिक भोगी कर्मचारियों की तरह नियमित करने के आदेश पारित किए हैं. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने राम सिंह के मामले में दिए अपने निर्णय में कहा कि प्रतिवादी वन विभाग अब दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी और बिल आधार पर काम करने वाले कर्मचारी के बीच जो अंतर पैदा कर रहा है, वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है.

हाईकोर्ट ने कहा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हो या बिल आधारित कर्मचारी, वह विभाग को एक जैसी सेवा दे रहे हैं. इसलिए, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी और बिल बेस कर्मचारी के बीच विभाग द्वारा जो वर्गीकरण किया गया है, वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 की कसौटी पर खरा नहीं उतर सकता. राज्य सरकार की दिनांक 22.04.2020 की नीति के अनुसार नियमितीकरण के अधिकार से प्रार्थी को केवल इस आधार पर इनकार नहीं किया जा सकता है कि अब उसका नामकरण दैनिक वेतनभोगी नहीं, बल्कि बिल बेस कर्मचारी है. यदि याचिकाकर्ता नियमितीकरण के मानदंडों को पूरा करता है, तो, उसे भी नियमितीकरण प्राप्त करने का अधिकार है और इसे केवल उस नामकरण के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता है, जो अब प्रतिवादी द्वारा उसे सौंपा गया है.

प्रार्थी और प्रार्थी की तरह कार्य करने वाले कर्मियों के मामले में विभाग की ओर से हालांकि दो बार नियमितीकरण करने बाबत स्क्रीनिंग की गई. हर वर्ष 240 दिनों से अधिक कार्य करने के बावजूद उन्हें नियमित नहीं किया गया. अंततः प्रार्थी को हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल करनी पड़ी. जिस पर यह अहम निर्णय आया है. हाईकोर्ट ने वन विभाग को निर्देश दिए कि वह प्रार्थी को राज्य सरकार की दिनांक 22.04.2020 की नियमितीकरण नीति के अनुसार छह सप्ताह की अवधि के भीतर वर्क चार्ज/नियमितीकरण प्रदान करें. हालांकि, प्रार्थी को दिए जाने वाले वित्तीय लाभ याचिका दायर करने की तारीख से तीन साल तक सीमित रहेंगे.

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