कुल्लू:हिमाचल प्रदेश में साल 2018 से अब तक 15 पैराग्लाइडिंग हादसों में पर्यटकों व पायलट की जान गई है. हालांकि इसे लेकर न तो प्रदेश सरकार गंभीर नजर आ रही है और न ही पर्यटन विभाग. हर साल हादसे होने के बाद नियम तो बनाए जाते हैं, लेकिन ये नियम कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं. इन पर सख्ती से अमल नहीं होता है. हालांकि पैराग्लाइडिंग के लिए एयरो स्पोर्ट्स नियम बनाए गए हैं, मगर अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान मनाली में साल 1984 से आज तक एरो स्पोर्ट्स अधिकारी का पद ही नहीं भरा गया है. ऐसे में तकनीकी कार्य को देखरेख करने के लिए हर समय चुनौती बनी रहती है.
हिमाचल में 1500 पैराग्लाइडर पायलट
प्रदेशभर में 25 से ज्यादा पैराग्लाइडिंग साइट रजिस्टर हैं. इनमें 1500 के करीब रजिस्टर पायलट हैं. नियम के मुताबिक इन सभी 1500 पायलट को अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान से एडवांस कोर्स करने के आदेश दिए जाते हैं, लेकिन अभी तक महज 432 पायलटों ने एडवांस कोर्स किया है. 1068 के करीब पायलट ने ट्रेनिंग ही नहीं की है. हर साल प्रदेश में लाखों सैलानी पैराग्लाइडिंग व राफ्टिंग करने के लिए आते हैं. एडवांस कोर्स में आपस में टकराव, दबाव, तेज हवा के विपरीत परिस्थिति में अपने व पर्यटक की जान बचाने के गुर सिखाए जाते हैं. इसमें आपातकालीन स्थिति में रिजर्व सीट के नीचे पैराशूट रखा जाता है, ताकि विपरीत हालातों में पायलट अपनी व पर्यटक की जान बचा सके. साल 2021 में एरो स्पोर्ट्स अधिनियम में पुराने पायलट को भी यह कोर्स करना अनिवार्य था. इसके लिए दो साल का समय दिया गया था.