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व्हाट्सएप पर रिश्वत मांगने के आरोपी कॉन्स्टेबल की गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नोएडा में तैनात पुलिस कांस्टेबल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप पर बिना जांच किए बर्खास्त करने पर पुलिस कमिश्नर नोएडा से कारण पूछा है. इसके साथ ही पिछले तीन माह में नोएडा में पुलिस वालों पर दर्ज़ भ्रष्टाचार के मुकदमों का ब्यौरा तलब किया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 28, 2024, 9:47 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप पर बिना जांच किए उसे बर्खास्त कर देने पर गंभीर रुख अपनाया है. कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर नोएडा से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है कि किन परिस्थितियों में कांस्टेबल के खिलाफ वीडियो वायरल होने वाले दिन ही बिना उसे कारण बताओं नोटिस दिए बर्खास्त कर दिया. कोर्ट ने मामले की जांच कर रहे असिस्टेंट कमिश्नर पुलिस रामकृष्ण तिवारी और कांस्टेबल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाले सीनियर इंस्पेक्टर चंद्र प्रकाश शर्मा को भी अगली सुनवाई पर हाजिर रहने का निर्देश दिया है. साथ ही अदालत ने आरोपी कांस्टेबल अंकित बालियान की गिरफ्तारी पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है. अंकित बालियान की ओर से दाखिल अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने दिया है.

मुकदमा दर्ज होते ही कर दिया बर्खास्त
रबूपुरा थाने में कांस्टेबल पद पर तैनात अंकित बालियान के खिलाफ 7 सितंबर 2023 को एक व्हाट्सएप वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. आरोप है कि उसने वसीम कबड्डी से एक लाख रुपए रिश्वत मांगी. एक अन्य वीडियो में वह हर माह 25000 और एक लाख रुपए अलग से देने की मांग कर रहा है. इस वीडियो के आधार पर सीनियर इंस्पेक्टर थाना बीटा टू चंद्र प्रकाश शर्मा ने अंकित बालियान के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. इसी दिन उसे पुलिस कमिश्नर ने बर्खास्त भी कर दिया. मुकदमे में गिरफ्तारी पर रोक के लिए अंकित बालियान ने जिला जज के यहां अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया, जिसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद उसने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जित दाख़िल की.

कारण बताओ नोटिस जारी किए ही बिना किया बर्खास्त
याची के अधिवक्ता का कहना था कि बिना किसी जांच और साक्ष्य के उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया. प्राथमिक में यह नहीं बताया गया है कि किसी अधिकारी के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया. अधिवक्ता का कहना था कि व्हाट्सएप कॉल रिकॉर्ड नहीं की जा सकती है.फिर यह वीडियो किस सोर्स से आया इसका भी पता नहीं लगाया गया. कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दे दिया गया. जबकि कथित शिकायतकर्ता वसीम कबाड़ी ने 25 अक्टूबर 2023 को अपर जिला जज नोएडा की कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है और पूरी कहानी मनगढ़ंत है. अपने प्रार्थना पत्र में यह भी कहा कि वह अंकित बालियान को जानता ही नहीं है.

कोर्ट ने पूछा आखिर कांस्टेबल को बर्खास्त करने की जल्दी क्यों थी

इस पर कोर्ट ने गंभीर रुख अख्तियार करते हुए पुलिस कमिश्नर नोएडा को व्यक्तिगत हालतनामा दाखिल कर बताने के लिए कहा है कि किन परिस्थितियों में यह सारी कार्रवाई की गई. ऐसी क्या जल्दी थी कि बिना किसी जांच या कारण बताओ नोटिस के आरोपी पुलिस कांस्टेबल को बर्खास्त कर दिया गया. कोर्ट ने कमिश्नर को यह भी बताने को कहा है कि पिछले 3 महीनों में कितने पुलिस कर्मियों के खिलाफ नोएडा में भ्रष्टाचार निवारण के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं. कितने मामलों में बिना जांच और कारण बताओ नोटिस जारी किए पुलिस कर्मियों को बर्खास्त किया गया है. कोर्ट ने अगली सुनवाई 12 मार्च को मामले की जांच कर रहे असिस्टेंट कमिश्नर पुलिस रामकृष्ण तिवारी और वादी मुकदमा सीनियर इंस्पेक्टर चंद्रप्रकाश शर्मा को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. उनसे बताने को कहा है कि एक ही दिन में बिना कारण बताओ नोटिस दिए कार्रवाई करने की क्या जल्दी थी.

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