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दक्षिणी और सेंट्रल रिज इलाके में पेड़ों की कटाई का खुद मुआयना करेंगे हाईकोर्ट के जज - tree felling case

दिल्ली में पेड़ों की कटाई का मामला गरम है. मंगलवार को हाईकोर्ट ने इस मामले पर खुद मुआयना करने का फैसला किया. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार और एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट में काफी अंतर है, इस कारण जज 17 जुलाई को दोनों पक्षों के साथ खुद मुआयना करेंगे.

दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 2, 2024, 8:50 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली के दक्षिणी और सेंट्रल रिज इलाके में पेड़ों की कटाई को लेकर दिल्ली सरकार और एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट में काफी अंतर होने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने खुद मौके का मुआयना करने का फैसला किया है. जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने 17 जुलाई को सभी पक्षों के साथ रिज इलाके का मुआयना करने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने इस मामले के एमिकस क्यूरी गौतम नारायण, याचिकाकर्ता के वकील आदित्य नारायण, दिल्ली सरकार के वकील अनुज अग्रवाल, दिल्ली सरकार के प्रमुख वन सचिव, वन विभाग के मुख्य संरक्षक और डीडीए के वकील को 17 जुलाई को हाईकोर्ट आने को कहा.

हाईकोर्ट से सभी पक्ष जस्टिस जसमीत सिंह के साथ रिज इलाके का भौतिक परीक्षण करेंगे कि कितने पेड़ों की हटाई हुई है और उनके बदले कितने पेड़ लगाए गए हैं. बता दें, 18 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने दक्षिणी रिज लैंड के पास साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के पास एक पहुंच मार्ग बनाने के लिए एक हजार से ज्यादा पेड़ों को काटने पर डीडीए के वाइस चेयरमैन और वन विभाग के मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया था.

कोर्ट ने कहा था कि प्रशासन ने कोर्ट के आदेशों का खुला उल्लंघन किया है. डीडीए की भूमि पर चार सौ पेड़ और वन विभाग की जमीन पर सात सौ पेड़ काटे गए हैं. पेड़ों को काटा जाना कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज करने की जीती-जागती मिसाल है. कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए? कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि वे इस बात को सुनिश्चित करें कि बिना ट्री अफसर की अनुमति के पेड़ों को न गिराया जाए.

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सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को ये बताया गया कि फरवरी में दिल्ली सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए पहुंच मार्ग के लिए 4.9 एकड़ भूमि पर निर्माण की छूट दे दी, लेकिन अंतिम आदेश आने तक दक्षिणी रिज इलाके के डीडीए और वन भूमि पर करीब एक हजार पेड़ गिरा दिए गए. हाईकोर्ट को ये भी बताया गया कि फरवरी में डीडीए ने पेड़ों को गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी थी. इस पर हाईकोर्ट ने आपत्ति जताते हुए डीडीए और वन विभाग से कहा कि आप न तो कानून का पालन कर रहे हैं और न कोर्ट के आदेश का. ऐसे में आपको जेल में होना चाहिए.

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