नई दिल्लीः दिल्ली के दक्षिणी और सेंट्रल रिज इलाके में पेड़ों की कटाई को लेकर दिल्ली सरकार और एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट में काफी अंतर होने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने खुद मौके का मुआयना करने का फैसला किया है. जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने 17 जुलाई को सभी पक्षों के साथ रिज इलाके का मुआयना करने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने इस मामले के एमिकस क्यूरी गौतम नारायण, याचिकाकर्ता के वकील आदित्य नारायण, दिल्ली सरकार के वकील अनुज अग्रवाल, दिल्ली सरकार के प्रमुख वन सचिव, वन विभाग के मुख्य संरक्षक और डीडीए के वकील को 17 जुलाई को हाईकोर्ट आने को कहा.
हाईकोर्ट से सभी पक्ष जस्टिस जसमीत सिंह के साथ रिज इलाके का भौतिक परीक्षण करेंगे कि कितने पेड़ों की हटाई हुई है और उनके बदले कितने पेड़ लगाए गए हैं. बता दें, 18 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने दक्षिणी रिज लैंड के पास साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के पास एक पहुंच मार्ग बनाने के लिए एक हजार से ज्यादा पेड़ों को काटने पर डीडीए के वाइस चेयरमैन और वन विभाग के मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया था.
कोर्ट ने कहा था कि प्रशासन ने कोर्ट के आदेशों का खुला उल्लंघन किया है. डीडीए की भूमि पर चार सौ पेड़ और वन विभाग की जमीन पर सात सौ पेड़ काटे गए हैं. पेड़ों को काटा जाना कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज करने की जीती-जागती मिसाल है. कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए? कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि वे इस बात को सुनिश्चित करें कि बिना ट्री अफसर की अनुमति के पेड़ों को न गिराया जाए.