लखनऊःपर्यटन विभाग की तरफ से उत्तर प्रदेश के हर बड़े शहर को उसकी पुरानी पहचान दिलाने के लिए कई तरह के निर्माण कार्य और पर्यटन जोन-हेरिटेज जोन आदि का निर्माण करा रहा है. इसी कड़ी में राजधानी लखनऊ में पर्यटन विभाग और LDA ने मिलकर हेरिटेज जोन की घोषणा साल 2021 में की. इसमें कैसरबाग क्षेत्र से लेकर पुराने इमामबाड़ा क्षेत्र के करीब 3 किलोमीटर लंबे रूट को हेरिटेज जोन में तब्दील करना था. जिसमें सबसे बड़ी चुनौती कैसरबाग चौराहे को उसकी पुरानी शान शौकत वापस दिलानी थी. अब कैसरबाग चौराहा बनकर लगभग पूरी तरह तैयार हो चुका है.
कैसरबाग सर्किल या कैसरबाग चौराहा लखनऊ की पहचान:लखनऊ के लोग कैसरबाग चौराहे से पूरी तरह से परिचित हैं. पर्यटकों के लिए भी कैसरबाग एक बड़ा टूरिस्ट पॉइंट है. लखनऊ विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ.एसए रिजवी बताते हैं कि कैसरबाग चौराहे का निर्माण सन 1850 में वाजिद अली शाह के सपनों के अनुसार किया गया था. इसका नाम सबसे पहले मिर्जा केसर जमा भी था. कुछ विद्वानों का मत है कि उनके नाम पर इसका नाम कैसरबाग रखा गया था. कैसरबाग के दो विशाल दरवाजे जिन्हें लखी गेट कहा जाता है, यहां की शान में इजाफा करते हैं.
चौलक्खी कोठी में रहती थीं बेगम हजरत महल :वहीं पूर्वी दरवाजे के बाहर यहां चार लाख की एक कोठी थी, जिसे चौलक्खी कोठी कहा जाता था. यहीं पर बेगम हजरत महल निवास करती थीं. इसी के अंदर और भी अनेक भवनों के साथ पूरा खानदान रहता था. यहां पर एक अनोखा और खूबसूरत बगीचा के साथ कैसरबाग पैलेस भी बनवाया गया था. वहीं चौराहे पर जो गोल सर्कल बना है, उसे अंग्रेजों ने जिस वस्तुकला से कैसरबाग का निर्माण हुआ था, उसी के अनुसार तैयार करवाया था. इस चौराहे पर 6 सड़कें मिलती हैं. इस चौराहे की खूबसूरती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके चारों तरफ बने भवन नवाबों के काल के आर्किटेक्चर और डिजाइन को दिखाते हैं. हेरिटेज जोन में आने के बाद इस चौराहे को दोबारा से रिनोवेट करने का काम शुरू हुआ था जो अब लगभग पूरा हो चुका है.