ग्वालियर:सोशल नेटवर्किंग जितनी लोगों के लिए सुविधाजनक है, उतनी ही खतरनाक भी हो चुकी है, क्योंकि इंटरनेट के जमाने में लोग एक दूसरे से जुड़ने के लिए अलग-अलग सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपनी ID बनाते हैं और फिर उनसे पोस्ट और चैट करते हैं. जिनमे वॉट्सऐप और टेलीग्राम जैसे एप्स सबसे ज्यादा उपयोग होते हैं. यही ऐप्स ठगों के लिए ठगी का साधन बन गए हैं. ऐसे ही ठगों के गिरोह को ग्वालियर पुलिस ने हिरासत में लिया है और इनमें एक बैंक का डिप्टी मैनेजर भी शामिल हैं.
इंस्टेंट प्रॉफिट का दिया झांसा
असल में इन ठगों ने ग्वालियर के सिटी सेंटर के रहने वाले बलविंदर सिंह गिल को अपना शिकार बनाया था. इसके लिए ठगों ने पीड़ित बलविंदर को वॉट्सऐप के जरिए संपर्क किया और उन्हें टेलीग्राम ऐप पर पार्ट टाइम टास्क बेस जॉब का लालच दिया. जिसमें प्रतिदिन हजारों में प्रॉफिट कमाने का मौका दिए जाने की बात कही गई थी. जब बलविंदर इस झांसे में आ गया और टेलीग्राम पर टास्क ग्रुप जॉइन कर लिया. उसमें दिए गए टास्क करते हुए अपना पैसा प्रॉफिट के चक्कर में इन्वेस्ट करते गया. आखिर में ठगों ने उन्हें 9 लाख 45 हजार रुपया का चूना लगा दिया.
ग्वालियर के खातों में ट्रांसफर हुई थी राशि
पीड़ित बलवीर ने ग्वालियर पुलिस अधीक्षक राकेश सगर को अपने साथ हुए साइबर ठगी की लिखित शिकायत दी. जिस पर एसपी ने ग्वालियर क्राइम ब्रांच को इस केस की गुत्थी सुलझाने का काम दिया. इस पूरे मामले को क्राइम ब्रांच में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया. विवेचना के दौरान पाया गया कि अधिकतर राशि ग्वालियर के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हुई है और कुछ राशि ग्वालियर से ही निकाली गई है.
मनी ट्रैकिंग से आरोपी तक पहुंची साइबर सेल
इसके बाद जांच में पुलिस टीम को तकनीकी सहायता के आधार पर पता चला कि जिस बैंक खाते में फ्रॉड की राशि ट्रांसफर हुई है. वह ग्वालियर के सोहेल खान का है. साइबर पुलिस ने सबसे पहले खाता धारक सोहेल खान को हिरासत में लेकर पूछताछ की और उसकी निशानदेही पर उसके अन्य साथियो को हिरासत में लिया गया.
पुलिस हिरासत में 6 आरोपी बैंक डिप्टी मैनेजर भी शामिल
पकड़े गये आरोपियों से पूछताछ करने पर पता चला कि आरोपी प्रयल अष्ठाना द्वारा अपने साथी इमरान खान, आकाश कोहली, वीर सिंह कौरव व साथी फैडरल बैंक के डिप्टी मैनेजर ऋतिक सनोटिया के साथ मिलकर ऑनलाइन ठगी के लिये लोगों के खाते खोलकर सायबर फ्रॉड़ के लिए उपलब्ध कराते थे. इनमें इमरान व आकाश ऐसे लोगों को ढूंढते थे. जिन्हें पैसों की जरूरत होती थी. उन्हें पैसे देकर खाता खुलवाने के लिये प्रयल अष्ठाना के पास भेजते थे. इसके बाद प्रयल अष्ठाना अपने साथी वीरू कौरव के साथ मिलकर खाता खुलवाने व पैसे निकालने के लिये बैंक जाता था.