शिमला: भारत देश के महान सर्जन डॉ. पी. वेणुगोपाल बेशक इस धरा पर देह रूप में मौजूद नहीं हैं, लेकिन देश में दिल की धड़कनों को जिंदा रखने में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. हिमाचल जैसे छोटे से पहाड़ी राज्य में दिल की सर्जरी को सफलता का विस्तार देने की भूमिका डॉ. पी. वेणुगोपाल ने ही लिखी थी.
वर्ष 2004 में हिमाचल सरकार ने डॉ. वेणुगोपाल को स्टेट गेस्ट का दर्जा देकर शिमला बुलाया और उनकी देखरेख में आईजीएमसी अस्पताल में सीटीवीएस यानी कार्डियोथोरेसिक एंड वस्कुलर सर्जरी डिपार्टमेंट ने नन्हें कदमों से बड़े सफर की शुरुआत की.
डॉ. वेणुगोपाल उस समय एम्स दिल्ली के निदेशक थे और विश्व के विख्यात हार्ट सर्जन की सूची में उनका नाम प्रमुखता से लिया जाता था. डॉ. वेणुगोपाल व उनकी टीम की देखरेख में आईजीएमसी अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी के आरंभिक केस लिए गए.
आज आलम ये है कि आईजीएमसी अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी सफलता के शिखर पर है. यहां की सक्सेस रेट 96 फीसदी से अधिक है. डॉ. वेणुगोपाल के मार्गदर्शन में शिमला आईजीएमसी में ओपन हार्ट सर्जरी डिपार्टमेंट के पहले मुखिया यानी एचओडी प्रोफेसर डॉ. रजनीश पठानिया ने उनकी विरासत को नए आयाम दिए.
डॉ. रजनीश पठानिया ने लंबे अरसे तक यहां गरीब व साधनहीन मरीजों की सेवा की. उनके कार्यकाल में यहां डेढ़ हजार से अधिक ओपन हार्ट सर्जरी के केस सफलता से पूरे किए गए. अब डॉ. रजनीश पठानिया रिटायर हो गए हैं, लेकिन उन्होंने सारा सेवाकाल सरकारी अस्पताल में ही पूरा किया.