फतेहाबाद: रतिया और भट्टू के बाद अब फतेहाबाद ब्लाक समिति चेयरपर्सन की कुर्सी खतरे में आ गई है. अविश्वास प्रस्ताव की मांग को लेकर एडीसी से सदस्यों ने मुलाकात की है. सदस्यों ने चेयरपर्सन पर काम नहीं करने के आरोप लगाए हैं. इस दौरान वाइस चेयरमैन मदन लाल भी उनके साथ मौजूद थे.
फतेहाबाद के रतिया और भट्टू ब्लाक समिति सदस्यों द्वारा चेयरपर्सनों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की मुहिम छेड़ने के बाद अब फतेहाबाद ब्लाक समिति के सदस्य भी चेयरपर्सन पूजा रानी के खिलाफ लामबंद हो गए हैं.
अब फतेहाबाद चेयरपर्सन की कुर्सी खतरे में (Etv Bharat) 20 सदस्य मीटिंग में होने जरूरी : बता दें कि आज काफी संख्या में ब्लाक समिति सदस्य एडीसी से मिले और अविश्वास प्रस्ताव के लिए तारीख की मांग की. इससे पहले रतिया और भट्टू के सदस्य भी अविश्वास प्रस्ताव के लिए मीटिंगों की मांग कर चुके हैं, जिस पर बीते दिवस प्रशासन द्वारा 4 दिसंबर को सुबह 11 बजे भट्टू ब्लाक व शाम 4 बजे रतिया ब्लाक समिति के सदस्यों को अविश्वास प्रस्ताव की मीटिंग के लिए फतेहाबाद बुलाया गया है. फतेहाबाद ब्लाक समिति में 30 सदस्य शामिल हैं, इसलिए अविश्वास प्रस्ताव के लिए 20 सदस्य मीटिंग में होने जरूरी हैं. आज ज्ञापन देने पहुंचे सदस्यों ने उनके पास 22 लोगों की संख्या होने का दावा किया और बताया कि आज 21 सदस्य ज्ञापन देने पहुंचे हैं. एडीसी ने जल्द ही मीटिंग की तारीख का आश्वासन दिया है.
मीटिंग बुलाने की मांग की : आज एडीसी से मिलने पहुंचे ब्लाक समिति सदस्य वीरेंद्र भादू एडवोकेट, सीमा रानी आदि ने बताया कि चेयरपर्सन पूजा रानी की ओर से ब्लाक समिति के वार्डोंं में भेदभाव से काम करवाया जा रहा है. किसी वार्ड में काम ज्यादा हो रहे हैं तो किसी में काम हो ही नहीं रहे. जिस कारण सदस्यों में अविश्वास है और सदस्य नाराज हैं. इसीलिए आज अविश्वास प्रस्ताव की मीटिंग बुलाने की मांग के लिए सदस्य यहां पहुंचे.
अविश्वास प्रस्ताव का कारण- "भेदभाव पूर्ण कार्य" : बता दें कि रतिया और भट्टू के ब्लाक समिति प्रधानों की कुर्सी के ऊपर पहले से ही खतरा मंडराया हुआ है. हालांकि वहां कारण राजनीतिक हैं, लेकिन फतेहाबाद में अविश्वास का कारण भेदभाव बताया गया है. यहां यह भी काबिलेगौर है कि भट्टू चेयरपर्सन ज्योति लूणा पंचायत चुनाव के बाद तत्कालीन भाजपा विधायक दुड़ाराम के आशीर्वाद से ही चेयरपर्सन बनी थी. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में ज्योति पर आरोप लगा कि उन्होने भाजपा की मदद नहीं की. जिसके बाद से अविश्वास प्रस्ताव को लेकर यह सुगबुगाहट शुरू हुई.