उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

उत्तराखंड में वनाग्नि के तांडव के बीच गहराने लगा पेयजल संकट, चारधाम यात्रा से पहले सरकार की बढ़ गई चिंता - CM Pushkar Dhami meeting

इस वक्त उत्तराखंड बड़े ही मुश्किल दौर से गुजर रहा है. प्रदेश में एक तरफ जहां वनाग्नि का तांडव देखने को मिल रहा है तो वहीं दूसरी ओर पेयजल संकट भी गहराने लगा है.

उत्तराखंड में वनाग्नि
उत्तराखंड में वनाग्नि (ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 4, 2024, 8:09 PM IST

Updated : May 4, 2024, 8:48 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की जनता पर इस वक्त दोहरी मार पड़ रही है. एक तरफ जहां सूरज की तपिश से लोग बेहाल है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के जंगलों में लगी आग शांत होने का नाम नहीं ले रही है. इन सबके बीच पहाड़ी इलाकों में पानी की किल्लत ने लोगों और खासा परेशान कर दिया है. गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक लोग पेयजल संकट का सामना कर रहे है.

उत्तराखंड में पेयजल संकट से लोगों की किस तरह जूझना पड़ रहा है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिल्ली से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जब अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की तो उन्होंने सबसे पेयजल संकट पर अपटेड लिया. साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिए है कि उत्तराखंड की जनता के साथ-साथ चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की किसी भी तरह के पेयजल संकट का सामना न करना पड़े.

वनाग्नि से परेशान उत्तराखंड: उत्तराखंड में इस वक्त सबसे बड़ी आपदा कोई आ रखी है तो वो है वनाग्नि. मई का महीना शुरू हो चुका है. भीषण गर्मी ने पहले ही लोगों का जीना मुहाल कर रखा है, ऊपर से जंगलों में धधक रही आग ने उत्तराखंड का तापमान और बढ़ा दिया है. जंगलों ने लगी आग अब रिहायशी इलाकों तक पहुंचने लगी. कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले में वनाग्नि की चपेट में आने से तीन लोगों की जान चली गई.

आग बुझाने के लिए सरकार को लेनी पड़ी थी सेना की मदद: उत्तराखंड के चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल, पिथौरागढ़ बागेश्वर और यहां तक अब राजधानी देहरादून के आसपास के इलाकों में भी जंगलों की आग के कारण आसमान में धुआं ही धुआं दिखाई दे रहा है. वनाग्नि पर काबू पाने में वन विभाग के भी पसीने छूट रहे है. बीते दिनों नैनीताल जिले के जंगलों में लगी आग इतनी भायवह हो गई थी कि आग पर काबू पाने के लिए एयरफोर्स की मदद लेनी पड़ी थी. एयरफोर्स ने एमआई-17 हेलीकॉप्टर की मदद से जंगल की आग का शांत किया था.

पेयजल संकट और वनाग्नि को लेकर सीएम धामी ने अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की (ETV Bharat)

जंगलों में लगी आग से सरकार भी काफी चिंतित नजर आ रही है. यहीं कारण है कि आज चार मई को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वनाग्नि को लेकर हाई लेवल बैठक की और सभी अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए कि अगले एक हफ्ते के अंदर जंगलों में लगी आग पर पूरी तरह काबू पा लिया जाए. इसकी जिम्मेदारी देहरादून में बैठे तमाम विभाग के अधिकारी और जिलों में बैठे अधिकारी लें.

चमोली जिले में जंगलों में लगी आग सड़कों के किनारे तक पहुंच गई थी. (ETV Bharat)

चमोली के जंगलों में लगी आग नहीं हुई शांत: वन विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद वनाग्नि के मामले कम होने के बचाए बढ़ते ही जा रहे है. चमोली के कई इलाको में आज चार मई भी आग भड़की हुई थी. बताया जा रहा है कि यहां किसी ने अपने खेत में आग लगाई थी, जो फैलते हुए जंगलों तक पहुंच गई. कर्णप्रयाग और अलकनंदा के आसपास के जंगलों में लगी आग विकराल होती जा रही है. कुछ इलाकों में तो आग जंगल ले निकलकर सड़क के किनारे तक पहुंच गई थी. हालांकि समय रहते वनकर्मियों ने आग पर काबू पा लिया था. चिंता की बात ये है कि शांत होने के बाद भी आग कई जगहों पर सुलगती रहती है जो कभी-कभी विकराल रूप धारण कर लेती है.

बैठक लेते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी. (ETV Bharat)

सीएम धामी के कड़े निर्देश:मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को स्पष्ट तौर पर कहा है कि सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारी को सही से निभाएं. एक हफ्ते के अंदर जंगलों में लगी आग पर हर हाल में काबू पा लिया जाए. क्योंकि दस मई से चारधाम यात्रा का सीजन शुरू हो रहा है. प्रदेश में आने वाले श्रद्धालुओं कोई दिक्कत नहीं होना चाहिए.

क्या कहते है वन विभाग के जिम्मेदार: उत्तराखंड के वन प्रमुख धनंजय मोहन के मुताबिक प्रदेश में वनाग्नि के 350 मामले सामने आए है, जिसमें 60 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है. वन प्रमुख धनंजय मोहन ने बताया कि जहां से भी आग की सूचना मिल रही है, वहां तुरंत ही वन विभाग की टीम को भेजा जा रहा है और आग पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है. सीएम धामी के निर्देश पर आग को बुझाने के लिए अतिरिक्त प्रयास भी किए जा रहे है.

इसके साथ ही पिरूल को लेकर एनटीपीसी के साथ राज्य सरकार का करार हो चुका है. एनटीपीसी जल्द ही पिरूल को खरीदना शुरू कर देगी, जिसके बाद उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं में कमी आएगी. क्योंकि जंगलों में आग लगने का बड़ा कारण पिरूल होता है.

गहराने लगा पेयजल संकट: उत्तराखंड में जहां जनता भीषण गर्मी और वनाग्नि से परेशान है तो वहीं अब पेयजल संकट भी गहराने लगा है. गंगा और यमुना जैसी नदियों के जरिए देश की बड़ी आबादी के प्यास बुझाने वाला उत्तराखंड खुद प्यासा है. उत्तराखंड जल निगम की तरफ से जो आंकड़े जारी किए गए हैं, वो तो इसी तरफ इशारा रहे है.

राजधानी देहरादून के कई इलाकों में भी पेयजल संकट गहराने लगा है. (ETV Bharat)

जल निगम से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश भर के शहरी इलाकों में लगभग 118 तो वहीं पहाड़ी और मैदान के ग्रामीण इलाकों में करीब 100 से अधिक ऐसी बस्तियां है, जहां पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है. राजधानी देहरादून में ही लोगों को पानी नहीं मिल रहा है. कई इलाकों में टैंकरों से पानी भिजवाया जा रहा है.

चिंता की बात ये है कि पेयजल की सबसे ज्यादा समस्या पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और उत्तरकाशी जिले में है और ये जिले चारधाम यात्रा मार्ग पर आते है, जहां रोजाना लाखों यात्री गुरजरेंगे.

कुमाऊं में भी पानी के लिए हाहाकार: गढ़वाल के साथ-साथ कुमाऊं में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. कुमाऊं मंडल में भी नैनीताल, हल्द्वानी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और चंपावत जैसे शहरों में भी पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा है. उधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले को छोड़कर प्रदेश के अधिकाश इलाकों में पेयजल संकट गहराने लगा है.

पेयजल को लेकर प्रदेश में पहली बार इस तरह की समस्या नहीं बन रही है, आमूमन हर साल आम जनता को गर्मी में पानी के लिए दो चार होना पड़ता है. वहीं, सीएम धामी ने आज दो मई को अधिकारियों के निर्देश दिए है कि जहां भी पानी की कमी है, वहां पर टैंकरों और अन्य सोर्स के माध्यम से पानी भिजवाया जाए.

पढ़ें--

Last Updated : May 4, 2024, 8:48 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details