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रफ्तार का शिकार तेंदुआ! पानी की तलाश में भटक रहे तेंदुए को वाहन ने कुचला, मौके पर मौत - chhindwara Leopard died - CHHINDWARA LEOPARD DIED

छिंदवाड़ा के रामाकोना के पास सड़क हादसे में तेंदुए की मौत हो गई. जिससे वन विभाग में हड़कंप मच गया. माना जा रहा है कि तेंदुआ पानी की तलाश में जंगल से निकलकर सड़क पर आया होगा. इसी दौरान किसी वाहन ने उसको टक्कर मार दी होगी. जिससे उसकी मौत हो गई.

CHHINDWARA LEOPARD DIED
तेंदुए की सड़क हादसे में मौत (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 26, 2024, 11:42 AM IST

छिंदवाड़ा। पानी की तलाश में भटक रहे तेंदुए की रामाकोना के पास शनिवार देर रात किसी अज्ञात वाहन की टक्कर से मौत हो गई. इस मामले में वन विभाग तेंदुए का पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार करेगा. वहीं अज्ञात वाहन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. कुछ दिन पहले ही ईटीवी भारत ने जंगलों में पानी की व्यवस्था नहीं होने की जानकारी प्रकाशित भी की थी.

रोड पर पड़ा था तेंदुए का शव

रामाकोना सवरनी रोड के घोटी गांव के पास शनिवार की रात वन्यप्राणी तेंदुए की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत हो गई. आशंका जताई जा रही है कि सड़क पार करने के दौरान किसी बडे़ वाहन से तेंदुए की टक्कर हो गई. मौके पर पहुंचे कन्हान वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपक तीरपुडे ने पंचनामा कर तेंदुए के शव को रेस्क्यू कर पीएम के लिए सौंसर भेजने की कार्रवाई की. रेंजर दीपक तीरपुडे का कहना है कि ''अज्ञात वाहन के खिलाफ केस दर्ज कर वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में आगे की कार्यवाही की जा रही है.''

पेंच टाईगर रिजर्व से पानी की तलाश में आया होगा तेंदुआ

ग्रामीणों ने बताया कि यह इलाका टाइगर रिजर्व के बफर जोन से लगा हुआ है. गर्मी के दिनों में जंगल के भीतर पानी की कमी हो जाती है. जिसकी वजह से जंगली जानवर पानी की तलाश में रहवासी इलाकों में पहुंचते हैं और इसी कारण वे हादसों का शिकार हो जाते हैं. पहले भी ऐसे कई मामले आए हैं जिनमें तेंदुआ, बाघ सहित दूसरे वन्य प्राणी भी सड़क हादसे के शिकार हुए हैं.

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टेंपरेरी वाटर होल बनाने के लिए नहीं आया बजट

जंगलों में जानवरों के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के मामले में ईटीवी भारत ने कुछ दिन पहले ही खबर भी प्रकाशित की थी. छिंदवाड़ा जिले में तीन वन मंडल आते हैं जिनमें करीब 150 टेंपरेरी पानी के लिए वॉटर होल बनाए जाते हैं जिससे की जंगली जानवर गर्मी के दिनों में प्यासे ना रहे और उन्हें पानी की तलाश में जंगल से बाहर न आना पड़े. लेकिन इस बार बजट नहीं होने की वजह से टेंपरेरी वाटर होल नहीं बनाए गए. पश्चिम वनमंडल के डीएफओ ईश्वर जरांडे ने बताया था कि ''वन विभाग को पिछले वर्षों में हुई अच्छी बारिश और ग्रीष्म ऋतु के पूर्व हुई बारिश से काफी राहत मिली थी. यहां पर बारिश अच्छी होने के कारण जलकुंड बनाने की आवश्यकता नहीं हुई थी. पिछले एक माह से भी रुक-रुककर हो रही बारिश के कारण प्राकृतिक जल स्त्रोत में पानी है.

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