सागर: शहर के सर्राफा बाजार इलाके को बुंदेलखंड का वृंदावन कहा जाता है. क्योंकि यहां पर भगवान कृष्ण के कई मंदिर हैं. वहीं दूसरी तरफ यहां इतवारा बाजार इलाके में बना सरस्वती देवी का मंदिर सर्राफा बाजार ही नहीं, बल्कि पूरे शहर में आस्था का केंद्र है. मनोकामना पूर्ति के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. क्योंकि कहा जाता है कि अगर किसी की शादी में देरी हो रही हो, तो वह माता सरस्वती को 108 बादाम की माला चढ़ाए. तो उसका रिश्ता जल्दी हो जाता है.
वहीं, पढ़ाई में माता के आशीर्वाद के लिए 108 मखाने की माला चढ़ाई जाती है. इस मंदिर की खास बात ये है कि बुंदेलखंड में उत्तरमुखी सरस्वती मंदिर और कहीं नहीं है. इस बार बसंत पंचमी के अवसर पर यहां विशेष तैयारियां की जा रही हैं.
आस्था का केंद्र है सरस्वती देवी का मंदिर (ETV Bharat) 9 साल में बनकर तैयार हुआ मंदिर
शहर के इतवारा बाजार में प्रवेश करते ही मां सरस्वती का उत्तरमुखी मंदिर नजर आता है. इस मंदिर को बने करीब 50 साल से ज्यादा समय बीत गया है. कहा जाता है कि आदमकद (आदमी के कद के बराबर) उत्तरमुखी प्रतिमा का यह एक मात्र मंदिर है. मंदिर के पुजारी यशोवर्धन चौबे बताते हैं कि, ''इस मंदिर की स्थापना की शुरूआत 1962 में उनके पिता प्रभाकर चौबे ने की थी. उन्होंने बाजार में बने बरगद के पेड़ के सहारे मंदिर बनाना शुरू किया. धीरे-धीरे और लोग भी जुड़ गए और 1971 में 9 साल में ये मंदिर पूरा हो पाया.''
108 बादाम की माला चढाने से जल्द होती है शादी (ETV Bharat) सर्वधर्म समभाव की मिसाल है मंदिर
सरस्वती मंदिर की अपनी खूबियां तो हैं, साथ ही ये मंदिर सर्वधर्म समभाव की मिसाल है. मंदिर निर्माण में प्रभाकर चौबे की लगन को देखते हुए सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों ने उनकी मदद की. शहर के तत्कालीन सांसद मणिभाई पटेल, जाने माने व्यवसायी काले खां, मोहम्मद हनीफ और कपूर चंद डेंगरे के अलावा कई लोगों ने मंदिर निर्माण में अहम योगदान दिया.
मनोकामना पूर्ति के लिए लोग दूर-दूर से मंदिर आते हैं (ETV Bharat) मनोकामना पूर्ति का विशेष तरीका
मां सरस्वती का मंदिर उत्तरमुखी होने के कारण इसका विशेष महत्व है. मां सरस्वती ज्ञान की देवी तो हैं ही, साथ में उत्तर दिशा की अधिष्ठात्री हैं. एकल उत्तरमुखी प्रतिमा का यह एकमात्र मंदिर है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यदि किसी की शादी में देरी हो रही हो, तो वो लड़का या लड़की मां सरस्वती के लिए 108 बादाम की माला चढ़ाए, तो जल्द शादी हो जाती है.
वहीं, जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं, वो 108 मखाने की माला चढ़ाकर मां सरस्वती को प्रसन्न करते हैं और पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करते हैं. लेकिन यहां ये ध्यान रखा जाता है कि मां को माला अर्पित सूर्यास्त के पहले करें. मां की प्रतिमा पर ही माला चढ़ाएं. किसी चित्र या मां की खड़ी हुई प्रतिमा पर माला नहीं चढ़ाएं.
बसंत पंचमी पर होगा अक्षर आरंभ संस्कार
यहां बसंत पंचमी के अवसर पर विशेष संस्कार अक्षर आरंभ संस्कार किया जाता है. जिसमें अनार की लकड़ी से छोटे बच्चों की जीभ के अग्रभाग पर 'ऊं 'की आकृति बनायी जाती है. ताकि बच्चा विद्या अध्ययन में अच्छा रहे.