आगरा:Agra Land Scandal:ताजनगरी आगरा के जगदीशपुरा के जमीन कांड में बीते दिनों पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया था. इसके बाद से इस मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं. अब बहुचर्चित जमीन कांड के एक बैनामे में 1.50 करोड़ रुपये की स्टांप चोरी का खुलासा होने से प्रशासन में खलबली मच गई है.
ये बैनामा सन 2016 में सरदार टहल सिंह ने मैनपुरी निवासी प्रियांशु यादव के नाम किया था. जो स्टांप चोरी का मामला है. जिसका मुकदमा लंबित है. बुधवार को बहुचर्चित जमीन पर सीसीटीवी लगाने पहुंचे तीन लोगों की गिरफ्तारी से जगदीशपुरा थाने में एक और मुकदमा दर्ज किया गया है. जिसमें मैनपुरी निवासी प्रियांशी यादव और मनोज यादव समेत पांच लोग नामजद हैं. मनोज यादव की सपा में अच्छी पैठ बताई जाती है.
जगदीशपुरा थाना प्रभारी निरीक्षक आनंदवीर सिंह ने बताया कि बहुचर्चित 10 हजार वर्ग गज जमीन पर सीसीटीवी लगाने को लेकर पांच लोगों के नाम मुकदमा दर्ज किया गया है. जिसमें मैनपुरी निवासी मनोज यादव और प्रियांशु यादव शामिल हैं. पुलिस ने बुधवार को इस जमीन पर कैमरे लगाने पहुंचे जयपाल सिंह, प्रदीप और उपेंद्र को हिरासत में लिया था.
दरअसल, बोदला-लोहामंडी रोड पर बैनारा फैक्टरी के बराबर स्थिति बहुचर्चित 10 बीघा जमीन का विवाद चल रहा है. इस जमीन में से 6810 वर्ग मीटर भूमि एक मार्च 2016 को सरदार टहल सिंह ने प्रियांशु यादव को बेची थी. भूमि का सौदा महज एक करोड़ रुपये में हुआ था.
यानी ये करोड़ों की भूमि कौड़ियों के भाव बिकी थी. बैनामा के बाद क्रेता कब्जा नहीं ले सका था. इस बैनामे में 1.50 करोड़ रुपये की स्टांप चोरी हुई थी. जिसका नोटिस तत्कालीन डीएम प्रभु एन सिंह ने भेजा था. जिसे लेकर हाईकोर्ट तक मामला पहुंच गया था. लेकिन, क्रेता को राहत नहीं मिली. सरदार टहल सिंह ने बैनामा से पूर्व अन्य लोगों से इकरारनामा भी किया था. जिसके बाद मामले में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी.
इस जमीन पर जिले के नेता, पुलिस, बिल्डर सबकी नजर थी. क्योंकि, ये करोड़ों की भूमि कौड़ियों के भाव हथियाने के लिए जहां समय-समय पर माननीय से लेकर पुलिस अधिकारियों ने अपनी चालें चलीं. इसके साथ ही इस जमीन के कब्जेदारों ने भी फर्जी दस्तावेज तैयार करा लिए. इस पूरे जमीनकांड में आगरा के दो माननीय पर्दे के पीछे शामिल रहे हैं.
जमीन हथियाने के लिए कागजों में हेराफेरी की पटकथा सदर तहसील में लिखी गई. पहले फर्जी मृत्यु, वारिसान व अन्य प्रमाणपत्र तैयार हुए. आंख मूंद कर लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार से लेकर एसडीएम तक ने हस्ताक्षर किए.
फिर उनके आधार पर उमा देवी मालकिन बन गईं. जब आपत्तियां आईं तो तहसील में अफरातफरी मच गई. तहसीलदार ने आननफानन में पूर्व के आदेश निरस्त किए. ऐसे में दोषी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कब कार्रवाई होगी यह बड़ा सवाल बना हुआ है.
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